क्रिमिनल कानून | भारतीय दंड संहिता (IPC) | दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC)

आज के इस लेख में हम ये जानेंगे कि क्रिमिनल कानून क्या है, क्रिमिनल कानून के अंतर्गत किसी भी संदेही या अपराधी पर भारतीय दंड संहिता (IPC – Indian Penal Code) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC – Code Of Criminal Procedure) की प्रक्रिया के तहत कैसे कार्यवाही की जाती है ।

तो आइये जानते है……

सबसे पहले हम क्रिमिनल कानून और क्रिमिनल कानून के अंतर्गत क्रिमिनल मामलें जिन्हे फौजदारी मामला भी कहा जाता है, के बारे में जान लेते है कि कोई मामला कैसे क्रिमिनल मामला बन जाता है। उसके बाद इन मामलों में पहले भारतीय दंड संहिता (IPC – Indian Penal Code) और उसके बाद दंड प्रक्रिया संहिता (Crpc – Code Of Criminal Procedure) की प्रक्रिया कैसे चलाई जाती है इसके बारे में जानेंगे।

क्रिमिनल कानून (Criminal law)।

जिस प्रकार से सिविल कानून होता है उसी प्रकार से एक क्रिमिनल कानून होता है। समस्त आपराधिक मामले/क्रिमिनल मामले, क्रिमिनल कानून के अंतर्गत आते है। कुछ प्रकार के मानवीय व्यवहार ऐसे होते है जिन्हे कानून इजाजत नहीं देता है और ये अपराध की श्रेणी में आते है। इन समस्त आपराधिक मामलों की सुनवाई क्रिमिनल कानून के अंतर्गत होती है। क्रिमिनल कानून दो प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है।

क्रिमिनल या आपराधिक मामलें (Criminal Cases)।

सरल शब्दों में समझे तो जैसे मान लीजिये कि आप किसी को गोली मार दिए, धमकी दे दिए कि देख लेंगे तुमको, रेप कर दिए, अपहरण कर लिए, फिरौती मांग लिए। मतलब इसी प्रकार से कोई खतरनाक मामला कर दिए तो यह मामला बन जाएगा फौजदारी मामला।

फौजदारी मामला तो हो गया, अब ये फौजदारी मामला 2 प्रक्रियाओं से होकर गुजरेगा। पहली प्रक्रिया ये कि पुलिस आपको गिरफ्तार करेगी। दूसरी प्रक्रिया ये कि गिरफ्तार करने के बाद पुलिस आपको न्यायालय में पेश करेगी। न्यायालय में आप पर मुकदमा चलेगा। मुकदमे के पश्चात् पता चलेगा की आपने कितना बड़ा मामला कर दिया है या फिर आप दोषी है या नहीं है।

तो आइये अब इन क्रिमिनल कानून की दोनों प्रक्रियाओं को विधिवत समझते है।

1.भारतीय दंड संहिता (IPC – Indian Penal Code)।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं का उपयोग पुलिस करती है। जैसे मान लीजिये कि किसी ने फौजदारी मामला कर दिया तो पुलिस इन IPC की धाराओं का उपयोग करते हुए अपराधी को गिरफ्तार कर लेगी। लेकिन पुलिस सजा नहीं सुना सकती, इसलिए IPC की धाराओं के माध्यम से पुलिस अपराधी पर चार्जशीट लगाकर न्यायालय में जज साहब को दे देती है, इसके बाद कोर्ट में प्रक्रिया शुरू होती है।

IPC केवल अपराध की परिभाषा है और पुलिस को केवल यह अधिकार देती है कि इन धाराओं के माध्यम से पुलिस अपराधी को गिरफ्तार कर सके। IPC की धाराओं में परिभाषाए लिखी रहती है। जैसे- मर्डर करना किसे कहा जाता है, अपहरण करना किसे कहा जाता है, हत्या करने की कोशिश करना किसे कहा जाता है। इसी प्रकार से समस्त फौजदारी मामलों का उल्लेख रहता है।

IPC की कुछ चर्चित और महत्वपूर्ण धाराएँ।

  • धारा 307 – हत्या की कोशिश
  • धारा 302 – हत्या
  • धारा 376 – बलात्कार
  • धारा 395 – डकैती
  • धारा 377 – अप्राकृतिक कृत्य
  • धारा 396 – डकैती के दौरान हत्या
  • धारा 120 – षड्यंत्र रचना
  • धारा 365 – अपहरण
  • धारा 201 – सबूत मिटाना
  • धारा 412 – छीनाझपटी

2. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC – Criminal Procedure Code)। 

पुलिस हिरासत से अपराधी जैसे ही न्यायिक हिरासत में पहुँचता है तो उस पर CrPC की धारा के तहत कार्यवाही शुरू होती है। मतलब IPC की धारा का प्रयोग करते हुए पुलिस केवल अपराधी को गिरफ्तार कर लेती है, उसके बाद कोर्ट में अपराधी पर जिन धाराओं के तहत मुकदमा चलता है उसे Crpc कहते है और इन्ही धाराओं के तहत मुकदमा चलाते हुए दोष या निर्दोष सिद्ध किया जाता है।

क्रिमिनल कानून के अंतर्गत IPC और CrPC

मतलब आप ये समझ गए होंगे की IPC और CrPC एक ही सिक्के के दो पहलू है। पिछली पोस्ट में अगर आपने CPC के बारे में पढ़ा होगा तो अब आपको तीनों ही धाराओं के बारे में जानकारी मिल गयी। अंतर् स्पष्ट है कि CPC सिविल लॉ की प्रक्रिया है और IPC-CrPC क्रिमिनल लॉ की प्रक्रिया है।

CPC-CrPC का प्रयोग न्यायालय में किया जाता है, जबकि IPC का प्रयोग पुलिस करती है। इसको याद रखने का एक तरीका है। वो तरीका ये है कि CPC और CrPC में जो P आता है उसका फुल फॉर्म Procedure होता है, मतलब प्रक्रिया और सुनवाई की प्रक्रिया कहा चलती है न्यायालय में। IPC में जो P आता है उसका फुल फॉर्म Penal होता है।

यह भी पढ़े: सिविल कानून | CPC (Civil Procedure Code) की प्रक्रिया।

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