अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना क्या है और इसका विरोध क्यों हो रहा है?

अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना - Willow Oil Project

आज के इस लेख में हम अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना (Alaska Oil Drilling Project) के बारे में जानेंगे, जिसे विलो आयल प्रोजेक्ट (Willow Oil Project) के नाम से जाना जाता है कि यह क्या है, इसका विरोध क्यों हो रहा है और इसको लेकर भविष्य क्या है?

तो आइए जानते हैं……..

चर्चा में क्यों?

156 साल पहले (30 मार्च 1867) रूस से खरीदे गए अमेरिकी राज्य अलास्का में विवादास्पद तेल खनन परियोजना को बाइडेन सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इस पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। लोग सड़कों पर स्टॉप विलो (Stop Willow) की तख्तियां दिखाकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। बता दे कि यहां नेचुरल गैस व पेट्रोलियम पदार्थो समेत हीरे-सोने का अथाह भंडार है।

ड्रिलिंग को लेकर विवाद क्या है?

अलास्का प्रशासन ने बाइडेन सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए दलील दी है कि इससे हजारों लोगों को नौकरियां मिलेंगी और राज्य को करोड़ों डॉलर का राजस्व प्राप्त होगा, वहीं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई है। उनका मानना है कि इससे पर्यावरण पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ेगा और वन्यजीवों की बड़ी आबादी इससे प्रभावित होगी।

दरअसल, अलास्का के जिस जगह पर तेल के भंडार पाए गए हैं, वहां बर्फ ही बर्फ है। बर्फ यानी ग्लेशियर। जाहिर सी बात है, अगर ड्रिलिंग होगी, तो ड्रिलिंग के दौरान काफी मात्रा में कार्बन बाहर आएगा, जिसकी वजह से प्रदूषण फैलेगा। प्रदूषण बढ़ने से ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ेगा। ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ने से तेजी से ग्लेशियर पिघलेंगे। ग्लेशियर के पिघलने से समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से कुछ देश के हिस्से डूब जाएंगे।

जैसे आप सभी ने हाल ही में सुना होगा कि इंडोनेशिया अपनी राजधानी जकार्ता से बोर्नियो केवल इस वजह से ले जा रहा है, क्योंकि आने वाले भविष्य में वर्तमान में जो उसकी राजधानी वाला क्षेत्र है, वह समुद्र में डूब जाएगा। ऐसे में अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना को लेकर वहां रह रहे स्थानीय लोगों को अपना क्षेत्र समुद्र में डूब जाने का डर सता रहा है।

स्वाभाविक सी बात है, जिन्हें डूबने का डर लगेगा वो विरोध करेंगे ही और सबसे मुसीबत और भविष्य में चिंता पैदा करने वाली बात यह है कि ग्लेशियर के पिघलने से ना तो नदियों में जल बचेगा और ना ही सही तरीके से बारिश होगी। यानी कि इस तरह की परिस्थिति पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है।

इस लाइन को हमेशा याद रखिएगा “विकास के साथ-साथ पर्यावरण की क्षति भी होना निश्चित है”

अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना – Alaska Oil Drilling Project – Willow Oil Project

सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी ConocoPhillips करीब 8 अरब डालर की लागत से तेल और गैस का खनन करेगी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से अगले 30 सालों में 600 मिलियन बैरल तेल मिलेगा, जो कि अमेरिका के मौजूदा तेल भंडार से करीब डेढ़ गुना ज्यादा है। ONGC Recruitment द्वारा भारत में इस तरह के प्रोजेक्ट चलाये जाते है जो की भारत की बड़ी तेल कंपनी है। हालांकि, ConocoPhillips कंपनी का दावा है कि इससे अमेरिका को 17 बिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त होगा, जबकि ढाई हजार लोगों को नौकरी मिलेगी।

इसे अलास्का के इतिहास में संसाधन जुटाने की सबसे बड़ी परियोजना माना जा रहा है। हालांकि, प्रशासन ने पांच की वजह तीन ड्रिल साइट्स को ही मंजूरी दी है, ताकि जलवायु पर इसका दुष्प्रभाव कम हो। चूँकि यह ड्रिलिंग देश की ऐसी सबसे बड़ी जमीन पर हो रही है, जहां सिर्फ बर्फ ही बर्फ है, इस वजह से पर्यावरण के जानकारों का कहना हैं कि ड्रिलिंग प्रोजेक्ट शुरू होने से वहां रहने वाले और अन्य प्रवासी जानवरों पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

अलास्का के वन्य जीव

इस प्रोजेक्ट को कार्बन बम बताया जा रहा है, क्योंकि इससे 260 मिलियन टन ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित होगी, जो कि 70 नए कोयला प्लांट के बराबर है।

अलास्का तेल खनन परियोजना को मंजूरी देना बाइडेन प्रशासन की मजबूरी

इस परियोजना को मंजूरी देना बाइडेन प्रशासन के लिए मजबूरी है, क्योंकि खनन करने वाली कंपनी ConocoPhillips ने संभावित ड्रिलिंग साइट वाली जमीन Willow को पिछले दो दशक से पट्टे पर ले रखा है, अगर सरकार मंजूरी नहीं देती, तो कंपनी कोर्ट जाएगी और तब सरकार को करीब 5 अरब डॉलर का भुगतान हर्जाने के रूप में कंपनी को करना पड़ेगा। इस वजह से बाइडेन प्रशासन ने तय किया कि हर्जाना देने से अच्छा है कि मंजूरी ही दे दो।

अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना को विलो आयल प्रोजेक्ट (Willow Oil Project) नाम दिया गया?

संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का राज्य के जिस जगह पर तेल ड्रिलिंग होनी है, वह विलो क्षेत्र में आता है। इस वजह से अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना को विलो आयल प्रोजेक्ट (Willow Oil Project) नाम दिया गया। नीचे इमेज में आप लोकेशन देख सकते हैं। यह क्षेत्र आर्कटिक सर्कल में आता है, इस वजह से यहां बहुत ज्यादा बर्फ होती है।

विलो परियोजना बाइडेन के जलवायु लक्ष्यों के साथ पूरी तरह से असंगत

दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप जब सत्ता में थे, तो उन्होंने अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना को मंजूरी दी थी। तब डेमोक्रेटिक पार्टी और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने उनके इस निर्णय का कड़ा विरोध किया था, साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान डेमोक्रेटिक पार्टी के लीडर जो बाइडेन ने यह वादा किया था कि जब वह सत्ता में आएंगे, तब वह इस प्रकार की परियोजनाओं को बंद करा देंगे। यानी कि अलास्का में कोई तेल ड्रिलिंग नहीं होगी और अब वो अपनी बात से मुकरते हुए अलास्का तेल ड्रिलिंग परियोजना को मंजूरी दे दी है।

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