गंगा नदी कहां से निकलती है ? वास्तव में निकलती है या फिर कई नदियों से मिलकर बनती है ?

आज के इस लेख में हम ये जानेंगे कि गंगा नदी कहां से निकलती है? वास्तव में निकलती है या फिर कई नदियों से मिलकर बनती है? गंगा नदी का उद्गम जानने से पहले थोड़ा इसकी प्रस्तावना को समझते है।

तो आइये जानते है…..

गंगा नदी

गंगा नदी का अवलोकन भारतीयों के दृष्टिकोण से

जैसा की हम सभी जानते है कि गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। जब गंगा नदी की बात होती है तो एक अलग ही आस्था का भाव उभर कर सामने आता है। इसमें स्नान करके मनुष्य अपने आप को पवित्र महसूस करता है।धार्मिक आस्था के रूप में सदियों से ‘माँ गंगा’ के नाम वर्णित गंगा नदी धार्मिक आस्था के अलावा भारत से लेकर बांग्लादेश तक कई विशाल उपजाऊ क्षेत्र का निर्माण करती है। जिससे इसके बहाव क्षेत्र वाले इलाके में कृषि सरप्लस होती है।

गंगा नदी

कई लोगो का जीवन इसी नदी पर आश्रित है। गंगा नदी क्षेत्र पर्यटन का केंद्र है जिसकी वजह से दूर-दूर से लोग यहाँ स्नान करने और यहाँ का प्राकृतिक नजारा देखने आते है, खासतौर से संगम देखने। पर्यटकों के आने की वजह से यह क्षेत्र कई लोगों के रोजी-रोटी का सहारा बना हुआ है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले गंगा नदी सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है। कुलमिलाकर ऐसा कहे कि धार्मिक-आर्थिक-भावनात्मक तीनों रूप में महत्व होने के कारण गंगा भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी बन जाती है।

सुंदरवन डेल्टा
सुंदरवन डेल्टा का एक अनोखा नजारा।

गंगा नदी परीक्षा की दृष्टिकोण से

अक्सर जब गंगा नदी की बात होती है कि गंगा नदी निकलती कहा से है, तो हम में से बहुत सारे लोग केवल याद करके रखे है कि गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री के पास गोमुख से निकलती है। साफतौर से पूरी जानकारी नहीं है कि हम किसी को विधिवत समझा सके। वनडे एग्जाम के नजरिये से तो ठीक है कि आप याद करके रखे है केवल टिक लगाना है।

लेकिन कोई भी तथ्य हो उसकी जानकारी साफतौर पर होना चाहिए। सही जानकारी आत्मविश्वास के लिए बहुत आवश्यक होती है। आपको बता दे कि वास्तव में, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री के पास गोमुख से भागीरथी नदी निकलती है, जो गंगा नदी की प्रधान शाखा है। प्रधान शाखा होने की वजह से ये दर्जा दे दिया गया कि गंगा नदी यही से निकलती है। देखा जाय तो गंगा कही से निकलती नहीं है। वास्तव में, ये कई नदियों के समूह से मिलकर बनी है। वो कैसे? तो आइये इस तथ्य को विस्तृत रूप से समझते है।

गंगा नदी की उत्पत्ति (Origin of river Ganges)

वास्तव में, कई नदियों के समूह से गंगा नदी की उत्पत्ति कैसे हुई इसको समझने के लिए चलते है उत्तराखंड, जो कि सन 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर बना। नदियों को समझने के लिए हम उत्तराखंड को दो भागों में विभाजित कर लेते है। नदियों का सम्बन्ध पश्चिमी भाग गढ़वाल से है, इसलिए इसको दो भागों में विभाजित करके समझ रहे है।

  • पूर्वी भाग – कुमायूँ
  • पश्चिमी भाग – गढ़वाल

गढ़वाल क्षेत्र में बहुत बड़े-बड़े हिमानी है। हिमानी मतलब ग्लेशियर। बर्फ के पहाड़ों को हिमानी या ग्लेशियर कहते है। इन्ही हिमानियों से कई नदियों का उद्गम हुआ है। जैसा की हम सभी जानते है कि समतल या नीचे से ऊपर की ओर जाने पर तापमान में प्रति 165 मीटर पर 1 डिग्री सेंटीग्रेट की कमी हो जाती है, तो इस हिसाब से इन हिमानियों में नीचे का तापमान ज्यादा होने की वजह से ये पिघलती है और यही से नदियों का उद्गम होता है।

अब चित्र और भाषा दोनों के माध्यम से समझते है। चित्र में देखिये गढ़वाल क्षेत्र में एक स्थान है बद्रीनाथ। बद्रीनाथ में संतोपत हिमानी से एक नदी निकलती है विष्णु गंगा और उसके दाई तरफ से एक नदी निकलती है धौली गंगा। ये दोनों नदियाँ आगे चलकर जिस जगह पर मिलती है उसे विष्णु प्रयाग कहते है। इन दोनों नदियों की गहराई समान है इसलिए इस प्रयाग से जैसे ही नदी एक रूप लेकर आगे बढ़ेंगी तो इसका नाम बदल जाएगा। मतलब अब यहाँ से ये दोनों नदियाँ एक होकर अलकनंदा नाम से आगे बढ़ेगी।

नोट:- 
  • जिस जगह पर नदियाँ आपस में मिलती है उसे प्रयाग कहते है।
  • अगर नदियों की गहराई समान है, तो मिलने वाले स्थान से जैसे ही ये नदियाँ एक रूप लेकर आगे बढ़ती है, तो नाम बदल दिया जाता है। मतलब दोनों नदियों का नाम बदलकर एक अलग नाम दे दिया जाता है। जैसे विष्णु गंगा और धौली गंगा आपस में मिलने के बाद अलकनंदा नाम से आगे बढ़ती है।
  • यदि नदियों की गहराई में अंतर है, तो मिलने के बाद गहरी वाली नदी के नाम से नदी आगे बढ़ेगी। ऊपर चित्र में देखिए, जैसे- अलकनंदा और नंदाकनी नदी नंद प्रयाग में आपस में मिलती हैं, लेकिन यहाँ से जैसे ही नदी आगे की तरफ बढ़ती है, तो इसका नाम अलकनंदा ही रहता है, क्योंकि अलकनंदा नदी की गहराई ज्यादा थी।

फिर चित्र में देखिये अलकनंदा से आगे मिलती है नंदाकनी नदी। इस मिलन स्थान को नंद प्रयाग नाम से जाना जाता है। चूँकि अलकनंदा नदी की गहराई ज्यादा है इसलिए नदी अब अलकनंदा नाम से ही आगे बढ़ेगी। फिर आगे अलकनंदा से मिलती है पिंडार नदी। इन दोनों के मिलन स्थान को कर्ण प्रयाग के नाम से जाना जाता है। पिंडार नदी की भी गहराई अलकनंदा से कम है, इसलिए नदी अलकनंदा नाम से ही आगे बढ़ेगी।

अब चित्र में देखिये बद्रीनाथ के बाए साइड एक स्थान है केदारनाथ। यहाँ से मंदाकनी नदी निकलती है, जो आगे चलकर अलकनंदा नदी से मिलती है। इन दोनों के मिलन स्थान को रूद्र प्रयाग के नाम से जाना जाता है। यहाँ से भी नदी अलकनंदा नाम से आगे बढ़ेगी, क्योकि अलकनंदा नदी की गहराई मंदाकनी नदी से ज्यादा है। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि इस लाइन में अलकनंदा नदी की गहराई सबसे ज्यादा है।

अब फिर से चित्र में देखिये। केदारनाथ के बांए साइड में उत्तराखंड का एक जिला उत्तरकाशी है। उत्तरकाशी के गंगोत्री के पास गोमुख से एक नदी निकलती है, जिसका नाम है भागीरथी। वास्तव में, उत्तराखंड में भागीरथी नदी को ही गंगा नदी मानते है। भागीरथी आगे बढ़ते हुए जाकर मिलती है भिलांगना नदी से। भिलांगना नदी की गहराई भागीरथी से कम होने की वजह से भागीरथी नदी के नाम से ही नदी आगे बढ़ती है।

और भागीरथी आगे जाकर अलकनंदा से मिलती है। इन दोनों के मिलन स्थान को देव प्रयाग कहा जाता है। इन दोनों नदियों की गहराई समान होने की वजह से, जब दोनों नदियाँ एक रूप लेकर आगे बढ़ेगी तो नदी का नाम बदल जाएगा। देव प्रयाग से जैसे ही नदी आगे बढ़ती है तो इसका नाम गंगा हो जाता है। मतलब इस संगम के बाद गंगा बनती है। इस सम्पूर्ण विवरण के हिसाब से तो यही कहा जा सकता है कि गंगा नदी निकलती नहीं है, बल्कि कई नदियों से मिलकर बनी है।

देव प्रयाग उत्तराखंड में पड़ता है। यहाँ से आगे बढ़ते हुए गंगा नदी उत्तरप्रदेश में प्रवेश करती है। उत्तरप्रदेश से होते हुए बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

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