प्रवासी और अप्रवासी में अंतर (Difference between Migrant and Immigrant)

आज के इस लेख में हम, हमेशा संदेह में रखने वाली महत्वपूर्ण शब्दावली प्रवासी और अप्रवासी के बीच अंतर (Difference between Migrant and Immigrant) के बारे में जानेंगे।

तो आइए जानते हैं…..

प्रवासी और अप्रवासी के बीच अंतर (Difference between Migrant and Immigrant)

अपनी हिंदी भाषा में कुछ शब्द समानार्थी या समरूपी लगते हैं या हमें ऐसा लगता है कि इनका मतलब एक ही है, लेकिन उनके अर्थ में भिन्नता होती है। कभी-कभी कुछ शब्दों को पढ़कर या सुनकर मन में ऐसा लगता है कि इनके अर्थ अलग होंगे, लेकिन हम उनका सही से वर्णन नहीं कर पाते हैं। ऐसे कई शब्द हैं, जिनका इस्तेमाल हम अक्सर करते हैं, किन्तु गलत शब्दों का चुनाव करने के कारण वाक्य के मायने या उनका मतलब बदल जाता है या कई बार उनके मायने होते ही नहीं। तो आइए ऐसे ही शब्दों में से दो शब्द प्रवासी और अप्रवासी में अंतर को समझते हैं।

प्रवासी (Migrant)

जब कोई व्यक्ति किसी भी कारण, जैसे- बेहतर शिक्षा, बेहतर नौकरी, बेहतर स्वास्थ्य या अन्य किसी कारण से अपना मूल निवास स्थान छोड़कर देश के अंदर एक शहर या राज्य से दूसरे शहर या राज्य या फिर देश से बाहर किसी अन्य देश में जाकर रहने लगता है, तो उसे प्रवासी कहा जाता है।

उदाहरण: जैसे- आपने सुना होगा कि बिहार राज्य के मजदूर बेहतर रोजगार के अवसर और अच्छी आय के लिए अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में जाते हैं और फिर जब उनकी इच्छा होती है वापस लौट आते हैं। इसी प्रकार से आपने यह भी सुना होगा कि कई भारतीय बच्चे बेहतर शिक्षा, बेहतर नौकरी और बेहतर स्वास्थ्य के लिए विदेशों में जाते रहते हैं और जब मन किया कि अपने देश आना है, तो लौट आते हैं।

अप्रवासी (Immigrant)

जब कोई व्यक्ति किसी भी कारण, जैसे- बेहतर शिक्षा, बेहतर नौकरी, बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर जीवन शैली या अन्य किसी कारण से अपना अपना मूल निवास स्थान छोड़कर विदेशों में रहने चले जाते हैं, यानी कि भारत की नागरिकता छोड़कर किसी अन्य देश की नागरिकता ले लेते हैं, तो उन्हें अप्रवासी कहा जाता है।

उदाहरण: जैसे- 2021 में गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में पेश की गई जानकारी के अनुसार, पिछले 3 साल में 3.92 लाख भारतीय बेहतर शिक्षा, बेहतर जीवन, बेहतर आय, बेहतर नौकरी, बेहतर स्वास्थ्य और बेहतर जीवन शैली या फिर अन्य कई कारणों की वजह से भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में जा बसे, तो उन्हें अप्रवासी कहा जाएगा। भारत की नागरिकता छोड़कर गए हुए भारतीयों में से सबसे ज्यादा भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता ली। भारत की नागरिकता छोड़ने का आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है। इसमें चौंकाने वाली एक बात यह है कि पता नहीं क्या सोचकर या फिर क्या देखकर 48 भारतीयों ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली।

भारतीय नागरिकता

जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि कुछ देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है और कुछ देशों में एकल नागरिकता का प्रावधान। भारत में एकल नागरिकता का प्रभाव प्रावधान है। अगर आप भारत का नागरिक होते हुए किसी अन्य देश की नागरिकता ली, तो आपकी भारतीय नागरिकता स्वतः ही निरस्त हो जाएगी।

इसके अलावा भारत के जम्मू और कश्मीर को जब तक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, तब वहां के नागरिकों के लिए दोहरी नागरिकता का प्रावधान था, यानी कि पहले वे जम्मू और कश्मीर के नागरिक है उसके बाद भारत के, लेकिन 31 अक्टूबर 2019 को जब जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा निरस्त करते हुए, दो भागों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया गया, तब से वहां के नागरिकों के लिए भी एकल नागरिकता का वही प्रावधान लागू हो गया, जो समाप्त भारतीयों के लिए है।

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