नोस्ट्रो और वोस्ट्रो (Nostro and Vostro) बैंक खाते क्या होते हैं?

नोस्ट्रो और वोस्ट्रो (Nostro and Vostro) बैंक खाते

आज के इस लेख में हम नोस्ट्रो और वोस्ट्रो (Nostro and Vostro) बैंक खाते के बारे में जानेंगे कि ये क्या हैंऔर किस प्रकार से काम करते हैं, साथ ही इनके महत्व के बारे में भी जानेंगे।

तो आइए जानते हैं……

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और UAE ने अपनी-अपनी लोकल मुद्राओं में व्यापार करने पर समझौता किया है, यानी कि रुपया और दिरहम में व्यापार। जैसा कि भारत और यूएई के बीच 2022 में ही FTA (Free Trade Agreement) के अंतर्गत व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA – Comprehensive Economic Partnership Agreement) नाम से मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है। इसी क्रम में एक कदम और आगे बढ़ते हुए दोनों देशों ने डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने और अपनी मुद्रा को सशक्त करने के उद्देश्य से अपनी-अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने में सहमत हुए हैं।

नोस्ट्रो और वोस्ट्रो (Nostro and Vostro) बैंक खाते

नोस्ट्रो और वोस्ट्रो लैटिन शब्द हैं, जिनका अर्थ क्रमशः हमारा और तुम्हारा होता है। नोस्ट्रो और वोस्ट्रो टर्म्स का उपयोग बैंक खाते का वर्णन करने के लिए किया जाता है। देखा जाए, तो दोनों शब्दों का इस्तेमाल एक ही बैंक खाते का वर्णन करने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इनका संबंध अंतरराष्ट्रीय व्यापार से होता है।

जैसा कि आपने ऊपर जाना कि भारत और यूएई आपस में अपनी-अपनी स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने के लिए सहमत हुए हैं। यहां पर एक प्रश्न उठता है कि भारत की मुद्रा रुपया है, वहीं यूएई की मुद्रा दिरहम है, जबकि किसी भी देश में उसकी स्थानीय मुद्रा ही मान्य की जाती है, तो व्यापार कैसे संभव हो पाएगा। तो इसी समस्या को दूर करने का जो कांसेप्ट है, उसे ही नोस्ट्रो और वोस्ट्रो के नाम से जाना जाता है।

इनको उदाहरण के माध्यम से समझेंगे तो बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। जैसे- मान लीजिए कि भारत ने यूएई से पेट्रोल खरीदा और यूएई ने भारत से गेहूं खरीदा, चूँकि व्यापार हमें स्थानीय मुद्रा में करना है, तो इसके लिए एक कांसेप्ट लाया गया। कांसेप्ट ये रहा कि दोनों देश एक-दूसरे देश के बैंक में खाता खुलवाएंगे। जैसे- भारत, यूएई के किसी बैंक में खाता खुलवाया, तो वह भारत का नोस्ट्रो खाता होगा और यूएई के लिए वोस्ट्रो खाता होगा। इसी प्रकार से यूएई, भारत के किसी बैंक में खाता खुलवाएगा, तो वह यूएई का नोस्ट्रो खाता होगा और भारत के लिए वोस्ट्रो खाता होगा।

नोस्ट्रो और वोस्ट्रो खातों के माध्यम से लेन-देन कैसे किया जाता है?

ऊपर आप सभी ने नोस्ट्रो और वोस्ट्रो खातों के बारे में जाना। अब यह जानते हैं कि इनके माध्यम से लेन-देन कैसे किया जाता है। तो, जैसे- मान लीजिए कि भारत ने यूएई से पेट्रोल मंगवाया और भारत उस पेट्रोल का पैसा, रुपए में देना चाहता है, तो भारत क्या करेगा कि यूएई का भारत के जिस बैंक में नोस्ट्रो खाता खुला हुआ है, उसमें पैसा जमा करेगा और भारतीय बैंक इस पैसे को यूएई के जिस बैंक में भारत का नोस्ट्रो खाता खुला हुआ है, उसमें दिरहम के रूप में भेज देगा। ठीक ऐसी ही प्रक्रिया यूएई भारत से जब गेहूं खरीदेगा, तो उसे भी अपनानी पड़ेगी।

यहां पर आप लोगों को थोड़ा सा कन्फ्यूजन हुआ होगा कि भारत ने जब यूएई से पेट्रोल मंगवाया, तो भारत के जिस बैंक में यूएई का जो नोस्ट्रो खाता खुला हुआ है, उसमें रुपया जमा किया, तो भारतीय बैंक यूएई के वोस्ट्रो खाते में दिरहम कैसे ट्रांसफर करेगा। तो इसको ऐसे समझिए कि जब यूएई, भारत से गेहूं खरीदेगा, तो भारत का यूएई के जिस बैंक में नोस्ट्रो खाता खुला हुआ है, उसमें दिरहम।

कुल मिलाकर भारत के बैंक में रुपया जमा होगा और यूएई के बैंक में दिरहम जमा होगा। यानी कि बैंक से बैंक के बीच रुपया और दिरहम ट्रांसफर होते रहेंगे। तो इस प्रकार से रुपया और दिरहम आते-जाते रहेंगे।

मुक्त व्यापार समझौता (FTA – Free Trade Agreement) क्या है?

मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात की बाधाओं को कम करने के लिए एक समझौता होता है। इसमें जो मुक्त शब्द आ रहा है उसका मतलब कर मुक्त व्यापार से है, यानी कि दोनों देश एक-दूसरे के आयात और निर्यात में कर (Tax) नहीं लगाते हैं। इस वजह से दोनों देशों के बीच व्यापार में सहूलियत बढ़ जाती है और महंगाई का स्तर भी नियंत्रित रहता है। साधारण सी बात है, जो सामान किसी देश में सस्ता पहुंचेगा तो सस्ता बिचेगा भी।

नोस्ट्रो और वोस्ट्रो खातों का महत्व

  • नोस्ट्रो और वोस्ट्रो के रूप में व्यापार होने पर स्थानीय मुद्रा का प्रभाव बढ़ेगा।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार होने पर व्यापार करने में सहूलियत रहेगी।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार होने पर डॉलर में निर्भरता कम होगी।
  • व्यापार के लिए डॉलर में निर्भरता कम होने की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार संग्रहण की चुनौती कम होगी।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार होने पर डॉलर की वैल्यू धीरे-धीरे कम होगी।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार होने पर अमेरिका के प्रभुत्व में कमी आएगी।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार होने पर व्यापार में निरंतर बढ़ोतरी ही दिखेगी।
  • स्थानीय मुद्रा में व्यापार होने पर व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए दोनों देश ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करने की कोशिश करेंगे और इससे देश विकास की ओर बढ़ेगा।

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