इतिहास के जनक | ऐतिहासिक लेखन का प्रारंभ

इतिहास के जनक और ऐतिहासिक लेखन का प्रारंभ

आज के इस लेख में हम इतिहास के जनक (Father Of History) और ऐतिहासिक लेखन (historical writing) का प्रारंभ के बारे में जानेंगे। 

तो आइये जानते है……

इतिहास के जनक (FATHER OF HISTORY)।

हालांकि, चीन में इतिहास का जनक सुमा शुआन को माना जाता है, ये प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व के विद्वान थे। वैसे भी आप सभी देखते ही होंगे कि चीन की पॉलिसी हमेशा सब से अलग ही रहती है, वो सब कुछ अपना स्थापित करने और अपनी ही बातों को मानने में विश्वास रखता है।

सुमा शुआन हस साम्राज्य के ऐतिहासिक लेखक थे और इन्होने चीन का लगभग 2000 हजार वर्ष का इतिहास लिखा था। मृथको में वर्णित चीनी सभ्यता का जो इतिहास है, मतलब चीनी सभ्यता के आरम्भ से लेकर अपने तक का इतिहास लिखा।लेकिन पश्चिम में इतिहास का जनक हिरोडोटस (HERODOTUS) को माना जाता है।

ऐतिहासिक लेखन और इतिहास के जनक

हिरोडोटस पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व यूनानी (ग्रीस) इतिहासकार है। हिरोडोटस ने Persian साम्राज्य के उदय कीपूरी कहानी लिखी। लगभग नौ पुस्तके लिखी और पारस तथा यूनान के मध्य हुए युद्धों का भी वर्णन किया।

  • PERSIA = IRAN (आज का ईरान, हिंदी में पारस कहते है)
  • PRUSSIA = GERMANY+AUSTRIA (यूरोप में जहा आज जर्मनी और ऑस्ट्रिया है मध्य और आधुनिक काल में PRUSSIA था)

इसलिए पश्चिम के ये पहले प्रमाणित इतिहासकार माने गये। इसलिए इन्हें इतिहास का जनक (Father Of History) कहा जाता है। हिरोडोटस इतिहासकार होने के साथ-साथ भूगोलवेत्ता भी थे, इनका संस्कृत नाम हरिदत्त था, ये वास्तव में एक मेड थे इसी वजह से लगातार ये आर्यो के मेड इतिहास पर नजर बनाए रखे।

इनके द्वारा प्रसिद्ध लिखित पुस्तक है हिस्टोरिका। सुमा शुआन, HERODOTUS से 400 वर्ष बाद का है, इसलिए विश्व सन्दर्भ में HERODOTUS को ज्यादा मान्यता प्राप्त है। सुमा शुआन केवल चीनी इतिहास के जनक माने जाते है।

ऐतिहासिक लेखन का प्रारंभ।

इतिहास के जनक के बारे में तो हम जान गए। आइये अब हम ऐतिहासिक लेखन के बारे में जान लेते है।

ऐसा माना जाता है कि विश्व में ऐतिहासिक लेखन या व्यवस्थित इतिहास लिखने का सिलसिला चीन में प्रारंभ हुआ, क्योंकि 1000 BC के आसपास चीन में लिखे हुए ऐतिहासिक अभिलेख उपलब्ध है। ऐतिहासिक अभिलेख से हमारा आशय सिलसिले बार कालक्रमानुसार घटनाओं का वर्णन है, जो इतिहास को जानने और समझने में हमारी मदद करते है।

ऐतिहासिक लेखन को ऐसे भी समझ सकते है कि इतिहास या हमारे अतीत में ऐसा समय कब आया जब लोग उस समय के बारे में लिखने लगे हों। जब हम इतिहास पढ़ते है तो उसको तीन भाग में विभाजित करते है।

  1. प्राक इतिहास (Pre-history)
  2. आद्य इतिहास (Proto-history)
  3. इतिहास (History)

Pre-hisory में मानव ने तो कुछ लिखा ही नहीं तो इसका ऐतिहासिक लेखन के समय से कोई मतलब ही नहीं है। Protohisory में लिखे हुए साक्ष्य अभिलेख और शिलालेख के रूप में मिले है, लेकिन आजतक इन्हे कोई पढ़ ही नहीं पाया।

हमें व्यवस्थित और क्रमबद्ध लेखन Proto History के बाद के इतिहास में मिलता है इसलिए ऐतिहासिक लेखन का प्रारम्भ इतिहास में ही माना जाता है, क्योंकि ऐतिहासिक लेखन से तात्पर्य सिलसिले बार कालक्रमानुसार घटनाओं का वर्णन है।

मतलब व्यवस्थित रूप से घटनाओं का ऐसा क्रम जिससे इतिहास को समझा जा सके। ऐतिहासिक लेखन के स्त्रोतों की बात करे तो ये दो प्रकार के हो सकते है।

  • साहित्यिक स्त्रोत
  • पुरातात्विक स्त्रोत

साहित्यिक स्त्रोत।

साहित्यिक स्त्रोत से तात्पर्य, ऐतिहासिक लेखन का विवरण या इतिहास की जानकारी साहित्य में लिखे हुए लेख से मिले, तो वो साहित्यिक स्त्रोत कहलायेगा। साहित्यिक स्त्रोत के अंतर्गत वेद, पुराण, ग्रन्थ, ब्राह्मण, उपनिषद, बौद्ध ग्रन्थ, जैन ग्रन्थ, रामायण, महाभारत, विदेशी विवरण, जीवनियां आदि। भारतीय इतिहास का सबसे समृद्ध और सटीक विवरण ऋग्वेद में मिलता है।

पुरातात्विक स्त्रोत।

पुरातात्विक स्त्रोत से तात्पर्य, ऐतिहासिक लेखन का विवरण या इतिहास की जानकारी पुरातत्व के रूप में मिले, तो वो पुरातात्विक स्त्रोत कहलायेगा। पुरातात्विक स्त्रोत के अन्तर्गत अभिलेख, शिलालेख, मुद्राएँ और स्मारक आदि आते है। भारतीय इतिहास में सबसे प्रमुख अभिलेख सम्राट अशोक के काल के रहे है। अशोक के अभिलेखों में काफी स्पष्टता है और इतिहास की ये सही जानकारी उपलब्ध कराते है।

इसके आगे का : भारत का प्रागितिहास (Prehistory) और प्राचीन काल (Ancient History)

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