सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कैसे होती है ? जानें पूरी प्रक्रिया……..

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया

आज के इस लेख में हम सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया के बारे में जानेंगे कि किन प्रक्रियाओं के तहत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है।

तो आइये जानते है……

किन्हे बनाया जाता है सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश ?

सुप्रीम कोर्ट के अंदर जो सबसे वरिष्ठतम (SeniorMost) जज होता है, उसे भारत का मुख्य न्यायधीश या सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश (CJI – Chief Justice Of India) बनाया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज की CJI बनने के लिए वरिष्ठता किस आधार पर तय की जाती है?

सामान्यतः ये प्रश्न हर किसी के दिमाग में आ रहा होगा की वरिष्ठता उम्र के आधार पर तय होती होगी या सुप्रीम कोर्ट के अंदर अनुभव (Experience) के आधार पर। तो आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की वरिष्ठता सुप्रीम कोर्ट के अंदर अनुभव के आधार पर तय की जाती है।

मान लीजिए की कभी ऐसी स्थिति आ जाए कि दोनों के पास अनुभव एक-समान है, तो इस स्थिति में क्या किया जाएगा, तो इस प्रकार की स्थिति में देखा जाता है की शपथ पहले किसने ग्रहण की। जिसने भी पहले शपथ ग्रहण की होगी उसे ही मुख्य न्यायाधीश बनाया जाएगा।

चर्चा में क्यों ?

सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनने की प्रक्रिया चर्चा में इसलिए है, क्योंकि 26 अगस्त को 48वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश नूतलपाटि वेंकट रमण (एन. वी. रमण) सेवानिवृत होने वाले है और अपने उत्तराधिकारी व 49वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश के लिए उन्होंने उदित उमेश ललित (यू. यू. ललित) के नाम की घोषण की है?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने की प्रक्रिया ?

सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया में सबसे पहला चरण कॉलेजियम का आता है। कॉलेजियम में वर्तमान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश होते है। मुख्य न्यायाधीश कॉलेजियम का अध्यक्ष होता है। तो मुख्य न्यायाधीश कॉलेजियम से विचार विमर्श करके वरिष्ठतम न्यायाधीश का नाम बनने वाले अगले मुख्य न्यायाधीश के लिए चुनता है और फिर इसकी घोषणा भी मुख्य न्यायाधीश ही करता है।

नाम की घोषण करने के पश्चात फाइल भेजी जाती है कानून मंत्रालय के पास। कानून मंत्रालय नामित किए गए नाम का बैकग्राउंड चेक करवाता है। बैकग्राउंड चेक करवाने से मतलब जिनको नामित किया गया है उनके ऊपर कोई आरोप-प्रत्यारोप तो नहीं है, उनका करियर बेदाग तो रहा है, उनके ऊपर पक्षपात का तो आरोप नहीं है।

जांच करने के पश्चात कानून मंत्रालय अपना सुझाव प्रधानमंत्री के पास भेजता है। सुझाव प्राप्त करने के पश्चात प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के पास जाते है और बताते है कि फला व्यक्ति को मुख्य न्यायधीश बनाना है, तो संविधान के अनुच्छेद 124(2) के नियम की पालने करते हुए कृपया करके आप उनकी नियुक्ती कर दे।

संविधान के अनुच्छेद 124(1) में इस बात का उल्लेख है कि देश में एक सुप्रीम कोर्ट होगा और उसमें एक CJI होगा, वही अनुच्छेद 124(2) में इस बात का उल्लेख है कि मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इसके अलावा किस प्रक्रिया के तहत होगी इस बात का कहीं भी कोई उल्लेख नहीं है। ये जो प्रक्रिया आपने ऊपर देखी, वो परम्परागत चली आ रही है।

यहाँ पर एक सवाल बनता है कि क्या केंद्र सरकार मुख्य न्यायाधीश के लिए नामित नाम में प्रश्न चिन्ह लगा सकती है या नाम बदलने की पेशकश कर सकती है, तो उत्तर है जी नहीं, केंद्र सरकार केवल फाइल दबा सकती है, मतलब देरी से अप्रूवल दे सकती है या ऐसा कहे की प्रतीक्षा करवा सकती है, ये कहकर की इतनी भी क्या जल्दी है रुकिए जरा, बाकी नाम नहीं बदलवा सकती।

आइए जरा 49वें क्रम के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले ललित जी के बारे में जान लेते है।

यू. यू. ललित

1957 में जन्में यू. यू. ललित इस समय सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज है। ये 1983 में एडवोकेट के लिए पंजीकृत हुए। 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की इसके बाद प्रैक्टिस करने के लिए 1986 में दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे। अप्रैल 2004 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किए गए और कई मामलों में न्यायालय मित्र (Amicus Curiae) के रूप में पेश हुए।

इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सुनवाई करने के लिए उन्हें सीबीआई के लिए विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) नियुक्त किया गया था। ये सुप्रीम कोर्ट में दो बार कानूनी सेवा समिति के सदस्य भी रह चुके है। 13 अगस्त 2014 को इन्हें सीधे BAR (BCI – Bar Council Of India, एडवोकेट बनने की योग्यता) से पदोन्नत करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

मतलब एडवोकेट से डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनने वाले व्यक्ति है यू. यू. ललित जी। न्यायाधीश के रूप में त्रिपल तलाक मामलें का ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इन्होने त्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। इसके अलावा राम मंदिर मामलें में जो जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी उसमें इनका भी नाम था।

लेकिन जब ये एडवोकेट हुआ करते थे, तो उस समय कल्याण सिंह का इन्होने केस लड़ा था और कल्याण सिंह भाजपा के थे, इसलिए इन्होने बेंच से अपना नाम वापस ले लिया था, क्योंकि राम मंदिर मामले की जब सुनवाई चल रही थी उस समय केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों जगह भाजपा की सरकार थी। अपनी सत्यनिष्ठा और गरिमा को बरकरार रखने के लिए इन्होंने अपना नाम वापस लेना ठीक समझा।

यू. यू. ललित जी का मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल

27 अगस्त को यू. यू. ललित सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और 08 नवंबर को सेवानिवृत होंगे। केवल 74 दिन के लिए ये सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे, क्योंकि हमारे देश में 65 वर्ष ही रिटायर होने की सीमा है। मतलब 08 नवंबर को यू. यू. ललित जी 65 वर्ष के हो जाएंगे।

अमेरिका में मरणोपरांत ही सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिटायर किया जाता है। इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में 75 वर्ष की उम्र में जजों को सेवानिवृत किया जाता है। इन देशों का ऐसा मानना है कि इनके अनुभव की वैल्यू 65 वर्ष के बाद भी बनी रहती है।

कम अवधि के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले जज

27 अगस्त को यू. यू. ललित सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और 08 नवंबर को सेवानिवृत होंगे, मतलब वो केवल 74 दिन के लिए ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे, इनके अलावा एक और ऐसे न्यायाधीश है जो केवल 17 दिन के लिए मुख्य न्यायाधीश बने थे, जिनका नाम है कमल नारायण सिंह।

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