पुनर्जागरण काल (RENAISSANCE) | पुनर्जागरण के प्रमुख लीडर

पुनर्जागरण | पुनर्जागरण के प्रमुख लीडर | लियोनार्दो दा विन्ची | मोनालिसा

आज के इस लेख में हम मध्य काल और आधुनिक काल के बीच की बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी पुनर्जागरण (RENAISSANCE) तथा पुनर्जागरण के प्रमुख लीडर के बारे में जानेंगे।

तो आइये जानते है……

पुनर्जागरण (RENAISSANCE)।

जब हम इतिहास को पढ़ते है तो एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी (टर्म) बीच में आती है पुनर्जागरण। मध्य काल और आधुनिक काल के बीच की बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी है पुनर्जागरण (RENAISSANCE)। विश्व सन्दर्भ में मध्य काल की शुरुआत 500 AD के आसपास मानी जाती है तथा यह 1500AD तक चला (500AD-1500AD)। वही आधुनिक काल की शुरुआत 16वीं शताब्दी से मानी जाती है जो आज भी चल रहा है।

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हालांकि, आधुनिक काल को दो भागो में बांटा गया है, पूर्वी आधुनिक काल और पश्चात् आधुनिक काल। अभी हम पश्चात् आधुनिक काल में है, पश्चात् आधुनिक काल से हमारा आशय पूर्वी आधुनिक काल के बाद के समय से है।

पुनर्जागरण (RENAISSANCE) इस शब्द के बहुत खास मतलब है। जहां प्राचीन काल में हम बहुत तेजी से विकास कर रहे थे, मतलब हम जग रहे थे और विज्ञान की प्रगति बहुत तेजी से आगे बढ़ रही थी। वही मध्य काल आते ही हम सो गये। मतलब विज्ञान का विकास रुक गया और रुढ़िवादी विचारधारा हम पर हावी हो गयी और यह रूढ़िवादी विचारधारा लम्बे समय तक चली।

विज्ञान की प्रगति दुबारा फिर से शुरू हुई ईटली (यूरोप) के FLORENCE नामक स्थान से। यही से पुनर्जागरण की शुरुआत मानी जाती है। पुनर्जागरण को खोगो का युग भी कहा जाता है।

पुनर्जागरण से हमारा तात्पर्य यह है कि प्राचीन काल में विज्ञान का विकास हो रहा था, लेकिन मध्य काल आते ही हम सो गए और आधुनिक काल शुरू होते ही जैसे ही विज्ञान का विकास शुरू हुआ मतलब हम जग गए, इसे ही पुनर्जागरण कहा जाता है।

पुनर्जागरण के प्रमुख लीडर।

पुनर्जागरण के प्रमुख लीडर थे मिशेल एन्जेलो और लियोनार्दो दा विंची

पुनर्जागरण के प्रमुख लीडर थे मिशेल एन्जेलो और लियोनार्दो दा विंची। इन दोनों की वजह से यूरोप में विज्ञान की प्रगति एक बार फिर शुरू हुई। ज्ञान और तर्क शक्ति बढ़ी। मिशेल एन्जेलो 16वीं शताब्दी के विव्दान थे, ये मुख्य रूप से मूर्तिकार थे तथा लियोनार्दो दा विन्ची 15वीं और 16वीं शताब्दी के विव्दान थे, साथ ही ये पेंटर भी थे और सर्जरी भी कर लेते थे।

लियोनार्दो दा विन्ची की दो महत्वपूर्ण पेंटिंग।

  1. मोनालिसा (MONALISA)
  2. THE LAST SUPPER

MONALISA, पेरिस के म्यूजियम में रखी हुई है। यह एक विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग है। इस पेंटिंग को बनाने में लियोनार्दो दा विन्ची को चार साल (1503 से 1506) लगे थे। इसमें एक विचार मग्न स्त्री का चित्रण है जो बहुत ही हल्की मुस्कान लिए हुए है।

दृश्य कला की पर्याय मानी जाने वाली यह पेंटिंग संभवतः संसार की सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है। यह पेंटिंग 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है। इस पेंटिंग को बचाए रखने के लिए इसे एक ख़ास किस्म के शीशे के पीछे रखा गया है जो कि न चमकता है और न ही टूटता है।पुनर्जागरण

मिशेल एन्जेलो और लियोनार्दो दा विन्ची को क्यों कहा जाता है पुनर्जागरण का लीडर?

इन दोनों ही विद्वानों ने पुनर्जागरण को भारी मात्रा में बल दिया। इन्होने ही तथ्यों को प्रश्नचिन्हित करना सिखाया और बताया कि जो आप मानते है वो गलत है, उसके पीछे के सत्य और वैज्ञानिक कारण का पता लगाने की कोशिश करो। इन्होंने ही जोर दिया कि हर चीज के पीछे एक वैज्ञानिक कारण होता है, मतलब वैज्ञानिक सोच विकसित होना यही से शुरू हुई।

इनके काम से तो आप ये जान ही गये होंगे कि ये दोनों अपने मुख्य कार्य करने के साथ-साथ विज्ञान की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोगो की सोच बदली और पूरा विश्व एक बार फिर प्रगति की ओर लौट पाया। जहां पूरा विश्व मध्य काल के शुरू होते ही सो गया था वही इन दोनों ने अपने काम और अपनी विचारधारा से लोगो को जगाने की कोशिश की। इसी वजह से इन दोनों को पुनर्जागरण काल का प्रमुख लीडर माना जाता है। साफ़ शब्दों में कहा जाए तो पुनर्जागरण, मध्य काल से आधुनिक काल के मध्य संक्रमण है।

लियोनार्दो दा विन्ची की कुछ खास प्रतिभाएँ।

लियोनार्दो दा विन्ची का जन्म ईटली के फ्लोरेंस शहर में स्‍थित विन्ची नामक एक छोटे से कस्बे में सन् 1452 को हुआ था। इनके पिता सर पियरें द विन्ची एक नोटरी थे। बचपन से ही कला में लियोनार्दो की गहरी रूचि देखते हुए पिता ने कला की उच्च शिक्षा के लिए उन्हें पैरिस भेज दिया। जो कि उस समय कला शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र था।

पेरिस में रहकर लियोनार्दो एक बेराकिया के स्टूडियों में कला की शिक्षा लेने लगे। यहाँ रहकर उन्होंने अपने गुरु से चित्रकला का व्यापक ज्ञान प्राप्‍त किया व इसकी बारीकियों से परिचित हुए। जल्द ही गुरु ने महसूस किया कि उनका शिष्य उनसे भी कहीं गुणी व प्रतिभावान है, इसलिए गुरु के पास जितना भी ज्ञान था उन्होंने अपने शिष्य लियोनार्दो को दे दिया।

लियोनार्दो को चित्रकला (पेंटिंग) के अतिरिक्त इंजीनियरिंग, मानव शरीर संरचना के अध्ययन में भी महारत हासिल थी। आपको बता दे कि राइट बंधुओं के जन्म से सैकड़ो वर्ष पहले जब हवाई जहाज की कल्पना भी मुश्किल थी, तब लियोनार्दो ने हवा में उड़ने वाली मशीन का माडल बनाया था।

मानव शरीर की जटिल संरचना को समझने का जुनून (पागलपन) लियोनार्दो पर इस हद तक सवार था कि वो रात के अंधेरे में कब्रिस्तान से शव खोद कर स्टूडियों में लाकर उसकी चीरफाड़ करते थे। मानव शरीर को समझने के लिए लियोनार्दो मानव शरीर के आंतरिक अंगों को काटते और उनकी चित्रकारी कर उन पर विस्तृत नोट्स लिखते थे।

उनके ये ऐतिहासिक रेखाचित्र और नोट्स आज भी सुरक्षित हैं। वैसे तो लियोनार्दो ने अपने जीवन में सैकड़ों चित्र व रेखाचित्र बनाये हैं। जैसे- दा लास्ट सपर, मेडोना इन इत्यादि पर जितनी अधिक ख्याति मोनालिसा नामक पेंटिंग को मिली वास्तव में वह हैरतंगेज है।

आपका लियोनार्दो दा विन्ची जैसे महान ज्ञानी, कलाकार शख्स के बारे में क्या कहना है, आप अपनी रॉय कमेंट के माध्यम से शेयर कर सकते है।

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