क्या है D2M Technology, जिसकी मदद से बिना इंटरनेट के सभी प्लेटफार्म में देख पाएंगे वीडियो !!!

D2M Technology | D2M Technology की मदद से बिना इंटरनेट के देख पाएंगे वीडियो

आज के इस लेख में हम D2M Technology के बारे में जानेंगे कि D2M Technology क्या है, इसका कैसे उपयोग किया जाएगा और इस तकनीक के क्या फायदे होंगे?

तो आइये जानते हैं…..

पहले थोड़ा सा तकनीक (Technology) के बारे में जान लेते हैं।

तकनीक (Technology)

तकनीक का संबंध केवल मशीन या मशीन से सम्बंधित उपकरणों से नहीं होता। तकनीक एक कला या कुशलता को प्रदर्शित करती है। कला या कुशलता अर्थात् कुछ करने या बनाने की प्रणाली। जैसे- वैज्ञानिक, सिद्धांतों या किसी ज्ञान को प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध करके उसे व्यहारिकता के अनुप्रयोग के लिए उपलब्ध कराते हैं, तो इसे ही तकनीक कहा जाता है।

D2M टेक्नोलॉजी – D2M Technology

D2M Technology को विधिवत समझने के लिए हम पहले तकनीकी के इतिहास को समझते है। आप सभी ने अपने समय में या कुछ वर्ष पहले या आज भी D2H (Direct To Home Services) शब्द का नाम तो जरूर सुना होगा। भारत सरकार इसी प्रकार की एक नई तकनीकी पर काम कर रही है, जिसका नाम है D2M (Direct To Mobile Services)।

D2M Technology

D2M को ऐसे समझे कि मान लीजिये की बिना इंटरनेट के आपके मोबाइल में एक फिल्म भेज दी जाए और वह FM रेडियो की तरह बिना नेट के चलने लगे। DoT (Department of Telecommunications) हाल ही में इस तकनीकी पर काम कर रहा है कि आपके मोबाइल में सीधा प्रसारण (Direct Broadcasting) कर दिया जाए। जैसे आपको अपनी मोबाइल में FM चलाने के लिए किसी भी प्रकार के नेट की आवश्यकता नही होती, वह डायरेक्ट रेडिएशन से कनेक्ट हो जाता है।

उसी प्रकार से भारत सरकार प्रयास में लगी हुई है की जितनी भी प्रकार की ब्राडकास्टिंग सेवाएँ है। जैसे- अमेजन, नेटफ्लिक्स, हॉट स्टार, सोनी टीवी, स्टार प्लस……. आदि, ये सब बिना इंटरनेट के चलने लगें। सोचिए कितना फायदा होगा आम लोगो का, अगर ये सेवाएँ D2M तकनीक से शुरू हो जाए। इसी प्रकार की प्रक्रिया को (D2M) डायरेक्ट टू मोबाइल सर्विस कहा जाता है।

D2M टेक्नोलॉजी कैसे करेगी काम?

  • बिना इंटरनेट सीधे होगा मोबाइल पर मल्टीमीडिया कंटेंट का प्रसारण।
  • ये टेक्नोलॉजी वैसे ही कुछ काम करेगी, जैसे मोबाइल पर FM रेडियो।
  • D2M टेक्नोलॉजी को ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट से मिलाकर बनाया जाएगा।
  • IIT कानपुर से साझेदारी कर DoT और प्रसार भारती कर रहे हैं इस पर काम।

प्रश्न: तकनीक का तेजी से बदलता हुआ यह स्वरूप भारत जैसे विकासशील देशों के लिए आर्थिक रूप से सकारात्मक है या नकारात्मक ?

देखिए, हम सभी ने भले ही फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) का ज़माना न देखा हो, लेकिन CD और DVD से तो जरूर परिचित होंगे। फ्लॉपी डिस्क एक तरह की डाटा स्टोरेज डिवाइस होती थी, इसमें बहुत कम स्टोरेज स्पेस रहता था। फ्लॉपी डिस्क 1970 से 1990 के दशक में बहुत लोकप्रिय थी। जापान जैसे विकसित और तकनीकी रूप से भरपूर देश में आज भी फ्लापी डिस्क का उपयोग किया जाता है। फ्लॉपी डिस्क के बाद हम सभी CD और DVD के युग में आए और इसके बाद प्रवेश किए पेन ड्राइव के युग में।

पेन ड्राइव का युग भी लगभग अपनी अंतिम अवस्था में चल रहा है, क्योंकि स्टोरेज के लिए पेन ड्राइव की जगह अब लेटेस्ट मोबाइल ले रहे हैं। जहां पहले 1 टीबी स्टोरेज के लिए बड़े-बड़े हार्ड डिस्क लेकर चलना पड़ता था, वही आज 01 टीबी स्टोरेज मोबाइलों में आने लगे हैं। इसके अलावा आजकल क्लाउड स्टोरेज है, जहां हम इंटरनेट के माध्यम से अपना डाटा सेव करके रख सकते हैं।

अब थोड़ा सा दूसरी तकनीक में चलते हैं। आप सभी ने एंटीना वाली टीवी देखी होगी, जिसमें कुछ चैनल आया करते थे। उसके बाद केवल टीवी आया, जैसे डिश टीवी, TATA Sky, D2H इनमें बहुते से चैनल देखे जा सकते हैं। ये आज भी बहुत चल रहे हैं, लेकिन उतना प्रभावी नहीं रह गए जितना आज से कुछ साल पहले थे।

अभी आप से ही पूछ लिया जाय की आपने आखिरी बार टीवी पर मूवी या कुछ भी कब देखा है, तो आप याद करने लग जाएंगे, क्यों कि पूरी दुनिया बड़ी तेजी से मोबाइल पर शिफ्ट होती जा रही है। टेक्नोलॉजी ने पिछले 20 सालों में इतना तेजी से विकास कर लिया है कि सबकुछ मोबाइल में शिफ्ट हो गया है।

अगर इतना ही तेजी से सब कुछ चलता रहा तो फेसबुक तकनीकी के जिस दुनिया में प्रवेश कर रहा है, जिसका नाम है मेटावर्स। इस तकनीकी में शायद भविष्य में मोबाइल और टीवी की भी आवश्यकता न रहे, केवल आप अपने चेहरे पर एक ग्लास लगाएं और सब कुछ आपके सामने चलने लगे।

तो दूरसंचार विभाग (Dot – Department of Telecommunications) और प्रसार भारती (भारत का लोक सेवा प्रसारक) इस समय D2M तकनीकी के बारे में बात कर रहे हैं और इसके लिए इन्होंने IIT कानपुर के साथ मिलकर के ट्रायल्स भी कर लिए हैं कि किस प्रकार से इस तकनीक को लाया जाय।

D2M Technology के फायदे

इस टेक्नोलॉजी से बिना इंटरनेट कनेक्शन के सीधे मोबाइल फ़ोन पर लाइव न्यूज, स्पोर्ट्स और OTT कंटेंट का प्रसारण किया जा सकेगा। खास बात यह है कि सीधे मोबाइल में प्रसारित होने वाले वीडियो और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट बिना बफरिंग के अच्छी क्वालिटी में प्रसारित होंगे, क्योंकि इसके प्रसारण में इंटरनेट की आवश्यकता ही नहीं होगी।

इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह होगा की नागरिकों से जुड़ी किसी ख़ास जानकारी को सीधे उनके मोबाइल में प्रसारित किया जा सकेगा, जिससे फेक न्यूज रोकने, इमरजेंसी अलर्ट जारी करने और आपदा प्रबंधन में सहायता करने में मदद मिलेगी।

क्या होता है कि कभी-कभी किसी आपदा या समस्या की वजह से इमरजेंसी में नेट में बैन लगाना पड़ता है, इससे आम नागरिक न्यूज़ से अपडेट नहीं हो पाते हैं। इसलिए आपदा की परिस्थिति में भी D2M के माध्यम से लोगो तक सही जानकारी और न्यूज को पहुंचाया जा सकेगा।

डेटा नहीं खर्च होने से स्मार्टफोन यूजर्स को कम पैसों में मिलेगी सुविधा। इसके अलावा उन ग्रामीण यूजर्स को फायदा होगा, जिनके पास इंटरनेट सुविधा कम या सीमित है।

वीडियो का लोड हटने से मोबाइल ऑपरेटर्स कीमती स्पेक्ट्रम बचा पाएंगे। इसके अलावा मोबाइल ऑपरेटर्स को कॉल ड्राप घटाने और डेटा स्पीड बढ़ाने में मदद मिलेगी।

किस तकनीक की मदद से काम करेगा D2M

सेटेलाइट और ISRO की मदद से D2M कवर कर पायेगा इतने बड़े देश को। क्या है कि सेटेलाइट से चाहे वह इलाका कैसा भी हो कवर किया जा सकता है, लेकिन इंटरनेट की सुविधा वहीं मिल सकती है, जहाँ सम्बंधित कंपनी के टॉवर गड़े हों। इसलिए D2M तकनीकी की मदद से ब्रॉडकास्टर अपने कंटेंट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा पाएंगे, क्योंकि इस सुविधा का उपयोग वो लोग भी कर सकेंगे जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है।

इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत है दूसरे स्थान पर

  • चीन 100 करोड़ नेट यूजर्स के बाद 66 करोड़ नेट यूजर्स के साथ भारत दूसरे स्थान पर है।
  • भारत में स्मार्टफ़ोन यूजर्स 82% इंटरनेट वीडियो देखने में खर्च करते है।
  • भारत में हर सेकंड मोबाइल में 10.1 लाख मिनट के वीडियो देखे जाते हैं। इतना डाटा एक महीने में 100 अरब डीवीडी देखे जाने के बराबर।

भारत में मोबाइल देखने का अंदाज बदलेगी D2M टेक्नोलॉजी

  • देश में 1.2 अरब फ़ोन यूजर्स हैं।
  • 2026 तक भारत में 100 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स होंगे।
  • D2M टेक्नोलॉजी बढ़ते हुए स्मार्टफोन यूजर्स के लिए फायदेमंद होगी।
  • D2M टेक्नोलॉजी की वजह से ब्रॉडकास्टर (प्रसारणकर्ता) को होगा फायदा, क्योंकि उनका प्रसारण ज्यादा से ज्यादा लोंगो तक पहुंच पायेगा।
  • अभी ब्रॉडकास्टिंग सुविधा 20-21 करोड़ टेलीविजन वाले घरों तक ही सीमित।
  • D2M टेक्नोलॉजी आने से देश में न्यूज, स्पोर्ट्स देखना कई गुना बढ़ जाएगा।

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