मोदी जी का पंजाब दौरा | दौरे में रुकावट की वजह, क्या गलतियां हुई, कौन है जिम्मेदार ?

मोदी जी के पंजाब दौरे में रुकावट | कौन है इन गलतियों का जिम्मेदार

आज के इस लेख में जानेंगे कि मोदी जी का पंजाब दौरा किस रुकावट की वजह से स्थगित हो गया? दौरे के दौरान क्या गलतियां हुई, कौन है गलतियों का जिम्मेदार और क्या सावधानी बरती जा सकती थी?

तो आइये जानते है…..

मोदी जी का पंजाब दौरा।

अभी हाल ही मोदी जी का पंजाब दौरा था, लेकिन रास्ते में कुछ रुकावट की वजह से मोदी जी का काफिला कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुँच पाया, जिसकी वजह से दौरा रद्द करना पड़ा। रास्ते में किस प्रकार की रुकावट की वजह से मोदी जी का काफिला कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुँच पाया।

सिक्योरिटी में कहा चूक हुई, रास्ता प्लान करने में कहा गलती हुई और किनकी है ये गलतियां और आने वाले भविष्य में ऐसी कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए कि इस प्रकार की गलतियां न हो। इन सभी मुद्दों के बारे में विश्लेषण करते है। 

पंजाब दौरे में मोदी जी चुनावी रैली के साथ ही कई योजनाओ का उदघाटन और कई नई विकाश योजनाओ की घोषणा करने वाले थे। पंजाब रवाना होने के लिए मोदी जी पहले दिल्ली से फ्लाइट के माध्यम से बठिंडा के लिए रवाना हुए, बठिंडा से हेलीकॉप्टर के माध्यम से जाना था हुसैनीवाला फिर उसके बाद फिरोजपुर।

हेलीकॉप्टर था MI 17 V5। इसी हेलीकॉप्टर के ख़राब मौसम होने की वजह से क्रैश होने से भारत के पहले सीडीएस विपिन रावत सर की मृत्यु हो गयी थी। 

हेलीकॉप्टर को पहले दो बार उड़ाकर चेक किया गया, लेकिन मौसम ज्यादा ख़राब होने की वजह से लास्ट टाइम में इस प्लान को बदलकर सड़क के माध्यम से जाने की योजना बनाई गयी। बठिंडा से सड़क के माध्यम से जाना था हुसैनीवाला और फिर यहाँ से 25km दूर फिरोजपुर। ये दोनों ही जगहे पाकिस्तान बॉर्डर के करीब है, लेकिन हुसैनीवाला से पहले ही मोदी जी का काफिला फ्लाई ओवर में फंस गया। 

इसको थोड़ा विधिवत कई टुकड़ो में समझते है, क्योंकि मामला है देश के प्रधानमंत्री का काफिला फंसने का।

विशेष सुरक्षा समूह (SPG- Special Protection Group)।

  • Prime Minister की Security बहुत ही Prime लेवल की होती है या फिर ऐसा कहे की सबसे Best Security मानी जाती है। 
  • इनके काफिले में जितनी भी गाड़िया होती है सब बुलेट प्रूफ रहती है। 
  • आप सुने होंगे 7 करोड़ की एक बुलेट प्रूफ कार आई है। ये बहुत ही जबरदस्त गाड़िया होती है। 
  • प्रधानमंत्री की सिक्योरिटी में जो सबसे प्रमुख सिक्योरिटी होती है वह है विशेष सुरक्षा समूह (SPG- Special Protection Group)। 
  • इसमें आप कभी डायरेक्ट भर्ती नहीं हो सकते।
  • Army, Paramilitary या Police में बहुत ही बेहतरीन कार्य करने वालो को मौका मिलता है इसमें जाने का।
  • SPG दिखती भले सूट में है, लेकिन अंदर से पूरा बुलेट प्रूफ रहता है। इनके पास लेटेस्ट हथियार होते है। आँख में काला चश्मा होता है, वो इसलिए की वो किस तरफ देख रहे है किसी को पता न चले।

प्रधानमंत्री की Security

  • Prime Minister के पास 3 लेयर की सिक्योरिटी होती है। 
  • प्रधानमंत्री के सबसे पास SPG के कमांडो होते है। 
  • SPG के घेरे के बाहर Paramilitary के कमांडो होते है। 
  • Paramilitary के घेरे के बाहर पुलिस होती है और इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस भी रहती है इसको एक्स्ट्रा के रूप में समझ सकते है। अब आप अंदाजा लगा सकते है कि कितनी जबरदस्त सिक्योरिटी रहती है। 
  • SPG कमांडो में भी कई लेयर होती है। कुछ प्रोटेक्शन देते है तो कुछ हमला  करते है। SPG के कुछ कमांडो प्रधानमंत्री जी के बगल में बैग लेकर चलते है।
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इनके पास हथियार नहीं होते। वो दिखने में तो बैग जैसा लगता है लेकिन रहता बुलेट प्रूफ है। जब भी अटैक होता है तो कमांडो इस बैग को एक क्लिक से खोलकर प्रधानमंत्री की सुरक्षा करते है। ये बैग जब खुलता है तो इसकी कई लेयर हो जाती है। इसको खोलकर प्रधानमंत्री जी को चारो तरफ से घेर लिया जाता है, ताकि उनको बुलेट्स न लगे।

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पंजाब दौरे में होने वाली गलतियां।

मोदी जी दिल्ली से पंजाब के बठिंडा एयरपोर्ट प्लेन के माध्यम से पहुंचे। पंजाब का पाकिस्तान से अच्छा ख़ासा बॉर्डर लगता है। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की बठिंडा एशिया की सबसे बड़ी सैनिक छावनी है। यहाँ लगभग डेढ़ लाख फौजी रहते है। अब बठिंडा से हुसैनीवाला होते हुए मोदी जी को हेलीकॉप्टर से जाना था फिरोजपुर, लेकिन ख़राब मौसम होने की वजह से हेलीकॉप्टर की वजाय अचानक सड़क माध्यम से जाना पड़ा। यही से गलतियों का सिलसिला शुरू होता है। 

एक-एक करके गलतियों को समझते है।

पंजाब पुलिस की गलती।

100 km लम्बी रोड लाइन क्लियर कराने की जिम्मेदारी पंजाब पुलिस की थी। सड़क से जाने का प्लान पहले से तय नहीं था, अचानक मौसम ख़राब होने की वजह से ये निर्णय लिया गया। अमूमन इस रास्ते में ढाई घंटे का समय लगता है। महज तीन घंटे की सूचना पर इसे खाली करा लिया गया।

इस पर SPG को सवाल उठाना चाहिए था कि जहां ढाई घंटे लगते है जाने में उस पर आप इतना जल्दी कैसे मंजूरी (Clearance) दे सकते है। मतलब रास्ते का पूरी तरह से मायना किये बिना Clearance दे दिया गया। इसके अलावा पंजाब पुलिस के DGP (Director General Of Police) को साथ रहना चाहिए था, लेकिन वो उपलब्ध नहीं थे। यहाँ पर गलती है पंजाब पुलिस की। 

इसके अलावा जब भी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का काफिला जाता है तो गाड़ियों का काफिला लम्बा होता है। लगभग 25 से 40 गाड़ियों का काफिला रहता है। इन गाड़ियों के आगे भी 5-7 गाड़ियों का काफिला रहता है, इन्हे पॉयलट गाड़िया कहते है। इनमे सबसे पहले बाइक वाले रहते है।

मोदी जी की रैली

जो ये देखते रहते है की सामने कोई दिक्कत तो नहीं। इसके बाद एक पुलिस की जिप्सी रहती है, इसे Route Clearing Party कहा जाता है, ये मेन काफिले से लगभग 3-4 km आगे रहते है, ताकि ये पहले ही देख ले की आगे रास्ते में कोई दिक्कत तो नहीं है।

तो यहाँ यह बात सामने आती है कि जब ये इतने आगे रहते है तो इन्हे ये नहीं दिखा की किसान आगे विरोध प्रदर्शन कर रहे है और बिल्कुल नजदीक ले जाकर प्रधानमंत्री जी के काफिले को रुकवा दिया, वो भी फ्लाई ओवर में।

इन लोगो की लापरवाही देखिये, जबकि वायरलेस के माध्यम से ये सभी एक-दूसरे से जुड़े रहते है। तो यहाँ रूट क्लीयरिंग पार्टी की गलती है कि जब सामने रूट क्लियर ही नहीं था तो मोदी जी के काफिले को विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगो के इतने करीब लाकर फ्लाई ओवर में क्यों रुकवा दिया।

SPG की गलती।

SPG ग्रुप बहुत ही बुद्धिमान होता है। A. K. सिन्हा जी इस समय इसके चीफ है। ये एक IPS अधिकारी है। इन्होने भी बहुत बड़ी लापरवाही की। अब सोचिये की प्रधानमंत्री का काफिला 15-20 मिनट फ्लाई ओवर में रोक के रखा है। यहाँ सोचने वाली बात यह है कि आगे से तो रास्ता जाम ही था अगर पीछे से भी जाम हो जाता तो प्रधानमंत्री का काफिला फ्लाई ओवर में ही फंस के रह जाता।

अगर SPG को लग रहा था कि आगे रास्ता जाम है और ज्यादा समय लग सकता है तो आपको काफिले को फ्लाई ओवर से पहले ही रोक लेना चाहिए था। फ्लाई ओवर में चढ़कर रोकने की क्या जरुरत थी।

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ये SPG से सवाल पूछा जाना चाहिए और ये प्रोटोकॉल में लिखना चाहिए और डिफेन्स में पढ़ाना चाहिए कि किसी भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या VVIP को आप फ्लाई ओवर में नहीं रोक सकते। अभी सोचिये अगर दोनों तरफ से विरोध प्रदर्शन करने वाले आ जाते तो क्या होता और यह इलाका पाकिस्तान बॉर्डर से महज 20 km दूर था।

दोनों तरफ से जाम लगने के बाद उन्ही प्रदर्शनकारियों में से कोई फ्लाई ओवर के नीचे RD या बम लगाकर फ्लाई ओवर को उड़ा देता तो काफिला नीचे आ जाता और SPG धरी की धरी रह जाती। अगर सड़क पर रहते तो इधर-उधर भाग तो सकते थे यहाँ गलती थी SPG की।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ जाम में फंसने के बाद मोदी जी जब वापस बठिंडा एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उन्होंने पंजाब के अधिकारियों से कहा- “अपने सीएम को थैंक्स कहना की मै बठिंडा एयरपोर्ट तक जिन्दा लौट पाया।” मतलब सिचुएशन क्रिटिकल रही होगी तभी मोदी जी ने ऐसा स्टेटमेंट दिया। तो यहाँ पर SPG की गलती साफ़ नजर आती है।

जब SPG को ऐसा महशूस हो गया था कि किसान आगे विरोध प्रदर्शन कर रहे है और मामला जल्दी सुलझने वाला नहीं है तो उन्हें जल्द ही निर्णय ले लेना चाहिए था कि रैली का कार्यक्रम स्थगित किया जाता है और यहाँ से जल्दी निकला जाय। 20 मिनट तक मोदी जी को फ्लाई ओवर में रोक कर रखने की क्या जरुरत थी। 

यहाँ पर एक बात और है, वो ये है कि SPG के पास IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट तो पहले से रही होगी कि यहाँ का माहौल कैसा है। क्योकि प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के दौरे से पहले IB वहा के माहौल का खूफिया रिपोर्ट SPG या गृह मंत्रालय को तलब करती है। 

गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है खूफिया एजेंसी IB। IB को ये पता होना चाहिए कि जब हेलीकॉप्टर से जाना मौशम की वजह से स्थगित हो गया है तो सड़क मार्ग से जा रहे है और ये मार्ग जाता है ग्रामीण मालवा होकर और ग्रामीण मालवा का क्षेत्र Heard Point बना हुआ है प्रदर्शनकारियों के लिए।

तो इस प्रकार से IB ने कैसे Clearance दे दिया जाने के लिए जब कि पिछले कुछ दिनों में सभी ने देखा की किसान आंदोलन में किस प्रकार दंगे हुए। ताजा उदाहरण है लखीमपुर खीरी का मामला। IB का भी यहाँ पर Failure है। प्रधानमंत्री किसी पार्टी का नहीं होता वह देश का होता है और यहाँ पर देश सर्वोपरि था। 

पार्टी की तवज्जो को समझते है।

गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर मुख्यमंत्री ऐसे किस काम में इतना व्यस्त थे कि प्रधानमंत्री जी को रिसीव करने नहीं आए। तो वहां के मुख्यमंत्री जी का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने की वजह से मै नहीं आ पाया। यहाँ पर बहानेबाजी साफ़ नजर आ रही है, अगर प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी का होता तो मुख्यमंत्री जी जरूर पहुँचते और उनका भव्य स्वागत करते। इसके अलावा भी जब ये लोग रैलियां करते है तब कोरोना प्रोटोकॉल नहीं आता है।

इसके अलावा उस राज्य के DGP को प्रधानमंत्री के काफिले में सबसे आगे रहना चाहिए था, लेकिन आगे रहने की बात छोड़िए वो तो उपलब्ध ही नहीं थे। अब आप यहाँ पर समझ लीजिये की देश के प्रधानमंत्री दौरे पर आ रहे है और DGP उपलब्ध नहीं है। अब जब DGP ही ऐसे है तो वहां की पुलिस कैसी होगी। हालांकि, गृह मंत्रालय ने जवाब माँगा है कि वहां DGP उपलब्ध क्यों नहीं थे। 

मोदी जी के स्टेटमेंट का प्रभाव।

जाम में फंसने के बाद प्रधानमंत्री मोदी जी जब वापस बठिंडा एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उन्होंने पंजाब के अधिकारियों से कहा- “अपने सीएम को थैंक्स कहना की मै बठिंडा एयरपोर्ट तक जिन्दा लौट पाया।” आप खुद सोचिये ये स्टेटमेंट सुनकर आपको थोड़ा अजीब नहीं लग रहा। अगर ये स्टेटमेंट केवल भारत तक रह जाए तो कोई बात नहीं, लेकिन जरा सोचिये जब ये स्टेटमेंट एक विदेशी मीडिया सुनेगी तो हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में क्या सोचेगी?

वो सोचेंगे कि जब देश का प्रधानमंत्री इस प्रकार से कह रहा है कि जिन्दा लौट पाया इसके लिए धन्यबाद, तो देश की जनता अपने आपको कैसे सुरक्षित महशूस करती होगी। यहाँ ये जिन्दा लौट पाया शब्द कॉफी Hard Word हो जाता है, क्योकि हमारे देश की पहचान प्रधानमंत्री से ही है मुख्यमंत्री से नहीं। विदेश के लोग हमारे देश के प्रधानमंत्री को ही जानते होंगे न कि किसी राज्य के मुख्यमंत्री को। 

जैसे आप अमेरिका की बात कर लीजिये, वहां 50 राज्य है, क्या कोई किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री का नाम जानता है, नहीं न। नाम जानते है तो केवल वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन का। अगर मान लीजिये की रूस के पुतिन जी बोले कि मै उस राज्य के मुख्यमंत्री को धन्यबाद देता हूँ कि मै वहां से जिन्दा लौट पाया, तो ये स्टेटमेंट सुनकर यहाँ बैठे-बैठे आप उस देश की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में क्या सोचेंगे कि जब राष्ट्रपति ही सुरक्षित नहीं है तो वहां की आम जनता का क्या होगा? 

आपको जानकर ताजुब होगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले 2 साल से कही नहीं गए, क्योकि वहां गृहयुद्ध का माहौल चल रहा है, लेकिन उसकी मीडिया ने इस बात को छिपा के रखा है, वो केवल वर्चुअल मीटिंग अटैंड करता है। कुलमिलाकर इस प्रकार के स्टेटमेंट से विदेश में छवि ख़राब होती है।

World’s Leader इस प्रकार के स्टेटमेंट के बारे में क्या सोचेंगे। ऐसे में तो वो खुद भी यहाँ आने से कतराएंगे, क्योकि विदेश से जो लीडर आते है उनकी भी सुरक्षा का काम SPG या NSG करती है।

यहाँ पर प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा दिए गए स्टेटमेंट पर एक बात और कहना चाहूंगा कि खुद मोदी जी कहते है मै बहुत दिलेर हूँ। अब थोड़ा यहाँ पर उनकी दिलेरी को समझते है।

मोदी जी बिना बताए 2015 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पोती के निकाह में शामिल होने पाकिस्तान पहुँच गए थे, वो भी नवाज शरीफ के खुद क्वे हेलीकॉप्टर में, जिसे चाइना ने बनाया था, वो भी कब बिगड़ जाए पता नहीं और आप सभी जानते है कि पाकिस्तान हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है।

तब मोदी जी ने ये स्टेटमेंट नहीं दिया कि नवाज शरीफ जी आपका बहुत-बहुत धन्यबाद कि मै आपके मुल्क से भारत तक जिन्दा लौट पाया। इस प्रकार के मोदी जी के स्टेटमेंट में राजनीतिक सियासत देखने को मिलती है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब मोदी जी जाम में फंसे हो। 

मोदी जी 2017 में नोएडा में मेट्रो ट्रेन के उद्घाटन के दौरान जाम में फंस गए थे। उस समय ट्रैफिक के कुछ अधिकारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया था और दो बार फंसे 2018 में। कई बार ऐसा देखा गया कि रैली-दौरा-योजनाओ के उद्घाटन के दौरान काफी मात्रा में संख्या मोदी जी के काफिले के काफी करीब आ जाती है और जमकर उत्साहवर्धन होता है तब मोदी जी इस प्रकार के स्टेटमेंट नहीं देते।

इस फोटो को देखिये इस फोटो में एक गाड़ी में मोदी जी है और दूसरी में नितिन गडकरी जी।

मोदी जी की रैली

SPG या सुरक्षा बलों को ये भी ध्यान रखना चाहिए कि रैली या किसी कार्यक्रम के दौरान चाहे वह समर्थक हो या विरोधी काफिले के करीब कोई भी न आए। हो सकता है कि समर्थक के वेशभूषा में कोई उपद्रवी या विरोधी काफिले तक पहुँच जाए और कुछ नुकसान पहुंचा दे।

निष्कर्ष के रूप में बात करे तो समस्त मुद्दों की जड़ है अलग-अलग राज्यों में चुनाव अलग-अलग समय में होना। हम तो कहते है कि सभी राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो। अभी हाल ही में देखिये बंगाल चुनाव के दौरान कितने हंगामे हुए। जब-जब चुनाव होने वाला होता है तभी ऐसा होता है। 

बार-बार चुनाव होने से हमारे नेताओं को जो काम करना चाहिए वो भी काम नहीं करते है। थोड़ा-बहुत काम किये और फिर से व्यस्त हो गए चुनाव में। चुनाव एक साथ कराने से 60 हजार करोड़ रूपए की बचत होगी और समय भी बचेगा। राज्यों के चुनाव में 60 हजार करोड़ रूपए खर्च होता है। इतने पैसे से तो सारे किसानो का कर्जा माफ किया जा सकता है। 

आपको क्या लगता है, लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए या नहीं?   

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