AUKUS: संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता

AUKUS समझौता और डील

आज के इस लेख में हम AUKUS सुरक्षा समझौते के अंतर्गत AUKUS डील के बारे में जानेंगे, साथ ही इसके उद्देश्य और महत्व के बारे में भी चर्चा करेंगे।

तो आइए जानते हैं…….

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज से मुलाकात कर AUKUS त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते के तहत 368 अरब डालर की परमाणु पनडुब्बियों की डील की।

AUKUS क्या है?

AUKUS- संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है, जिसे ऑकस या औकस भी कहा जाता है। इसकी घोषणा 15 सितंबर 2021 को की गई थी। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को कम करने और उसकी आक्रामकता को नियंत्रित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा आस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी संपन्न राष्ट्र बनाने में मदद करना है।

AUKUS का उदय (Rise of AUKUS)

बात है 2016 की। 2016 में ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से 12 डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन्स 50 बिलियन डॉलर में लेने का अनुबंध किया और इस पर काम भी शुरू हो गया, लेकिन जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे कि अमेरिका चाहता है कि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा हथियार वही बेचे और वह इधर-उधर एक-दूसरे को लड़ाकर हथियार बेचने के लिए बाजार ढूंढता ही रहता है। अमेरिका को फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ यह अनुबंध चुभ रहा था। उसे लग रहा था कि 50 बिलियन डॉलर कोई और मार ले जाएगा।

तब उसने ब्रिटेन के साथ मिलकर प्लान बनाया कि क्यों ना फ्रांस की डीजल इलेक्ट्रिक सबमरींस की जगह परमाणु सबमरीन्स का लालच देकर यह डील और भी ज्यादा पैसे में अपने नाम कर लूँ और हुआ भी यही। जैसे ही अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया को परमाणु सबमरीन्स का ऑफर दिया, ऑस्ट्रेलिया तुरंत इनके पक्ष में आ गया और फ्रांस के साथ हुई डील को कैंसिल कर दिया। इस प्रकार से AUKUS का उदय हुआ

AUKUS में AU मतलब Australiya, UK मतलब United Kinfdom और US मतलब United States, यानी कि United States of America.

ऑस्ट्रेलिया के इस रवैये से फ्रांस बहुत नाराज हुआ। यहां तक कि उसने आस्ट्रेलिया में नियुक्त अपने एंबेसडर को वापस फ्रांस बुला लिया, साथ ही फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगाए कि आपने ऐसा काम किया। इसके बाद आस्ट्रेलिया को 800 मिलियन डॉलर की राशि फ्रांस को हर्जाने के रूप में चुकानी पड़ी।

AUKUS डील क्या है?

AUKUS डील अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है, जिसके तहत अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी संपन्न राष्ट्र बनाने में मदद करेंगे, साथ ही तीनों देश आपस में खुफिया जानकारी भी साझा करेंगे। परमाणु पनडुब्बी से संपन्न होते ही आस्ट्रेलिया की नौसेना दक्षिणी चीन सागर, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में और ताकतवर होगी।

2030 के दशक की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका की तीन मौजूदा आधुनिक तकनीकी की वर्जीनिया क्लास की पनडुब्बियां 50 अरब डालर की कीमत पर मिलेंगी। ऑस्ट्रेलिया के पास विकल्प होगा कि वह 58 अरब डालर देकर दो अन्य पनडुब्बियों को खरीद सके। आस्ट्रेलिया पनडुब्बी निर्माण की औद्योगिक क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन में 3 अरब डालर का निवेश करेगा।

इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन एक नई तरह की पनडुब्बी बनाएंगे, जिसका नाम SSN-AUKUS होगा, जो दोनों देशों की नौसेना में शामिल होंगी। ये ब्रिटिश डिजाइन और अमेरिकी टेक्नोलॉजी वाली पनडुब्बी होंगी। इनमें न्यूक्लियर रिएक्टर, हथियार प्रणाली और वर्टिकल लॉन्च सिस्टम होगा। ब्रिटेन 2030 के दशक के अंत तक इस पनडुब्बी को अपनी नौसेना में शामिल करेगा। जबकि आस्ट्रेलिया इस दौरान एडिलेट में पनडुब्बियों का निर्माण शुरू करेगा।

ऑस्ट्रेलिया का 2055 तक ऐसी पांच पनडुब्बियां बनाने का प्लान है। इस प्रकार से अमेरिका की तीन और इन 5 पनडुब्बियों से ऑस्ट्रेलिया के पास 8 परमाणु पनडुब्बियों का बेड़ा हो जाएगा।

पहली बार तकनीक साझा करेगा अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि ये सबमरीन न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल करेंगी। इन पर न्यूक्लियर हथियार नहीं होंगे। 1950 के बाद यह पहला मौका होगा, जब अमेरिका अपनी न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी किसी और देश के साथ साझा करेगा।

कितने अरब डॉलर की हुई डील

AUKUS डील के तहत परमाणु पनडुब्बियों के लिए अभी से लेकर 2055 तक 268 अरब डालर से 368 अरब डॉलर तक खर्च किए जाने की संभावना है, इसमें अमेरिका और ब्रिटेन की तरफ से भी वित्तीय सहायता दी जाएगी। जिसके अंतर्गत कई रक्षा विभाग में नौकरी के भी अवसर आ सकते है। रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल आस्ट्रेलिया परमाणु पनडुब्बी प्रोजेक्ट के लिए तीन अरब डॉलर ब्रिटेन और अमेरिका में टेक्नोलॉजी में निवेश करेगा।

फिलहाल, सबमरीन्स को लेकर आस्ट्रेलिया की स्थिति

फिलहाल, ऑस्ट्रेलिया के पास कॉलिंस क्लास की डीजल से चलने वाली इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं, जो साल 2038 तक सर्विस से बाहर हो जाएंगी। लिहाजा, आस्ट्रेलिया की कोशिश उस वक्त तक परमाणु पनडुब्बियां हासिल करने की है। इस डील के तहत 2030 तक आस्ट्रेलिया को परमाणु क्षमता वाली शुरुआती तीन पनडुब्बियां मिल जाएंगी। उसके बाद 5 पनडुब्बियों का निर्माण ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में ही किया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया को मिलने वाली परमाणु पनडुब्बियों का महत्व

AUKUS समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को दी जाने वाली परमाणु पनडुब्बियों को दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। जानकार इस समझौते को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं का मुकाबला करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम बता रहे हैं। यही वजह है कि चीन इस समझौते पर अपनी नाखुशी जताता है।

AUKUS समझौते पर चीन के विचार

चीन इस नौसैनिक सौदे का विरोध करता है। यहां तक की इस समझौते को चीन अवैध भी बताता है। AUKUS डील के पश्चात चीनी विदेश मंत्रालय ने तीनों देशों पर गलत और खतरनाक रास्ते पर चलने का आरोप लगाया। यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने इस तरह के समझौते का विरोध किया हो। चीन पहले भी तीन देशों पर अप्रसार संधि को कमजोर करने और क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ को बढ़ावा देने का आरोप लगा चुका है। इसके अलावा चीन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समझौते के खिलाफ लगातार अपनी बात रखता रहा है।

AUKUS डील को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का साझा बयान इस बात का सबूत है कि ये देश अपने हितों को साधने के लिए वैश्विक हितों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं। ये सभी देश लगातार खतरे की राह पर आगे बढ़े रहे हैं।

AUKUS डील पर अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के विचार

बाइडेन- ये डील हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता लाने की तरफ एक अहम कदम है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इसे एक मजबूत साझेदारी बताते हुए कहा- पहली बार ऐसा होगा कि अटलांटिक और प्रशांत महासागर में सबमरीन के 3 बेड़े एक साथ शांति बनाए रखने के लिए काम करेंगे।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने इसे सच्ची दोस्ती का प्रतीक बताया। वहीं आस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने इस डील को लेकर चीन की बेरुखी को देखते हुए कहा- हमने इस डील को लेकर चीन से जानकारी साझा करने की कोशिश की है। हालांकि, हमें उनके जवाब के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

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3 COMMENTS

  1. आप के द्वारा दी गई जानकारी बहुत सटीक और विश्वसनीय होती हैं। इसके के लिए आप को कोटि कोटि धन्यवाद

  2. देश दुनिया की नवीनतम जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपके द्वारा दी गई जानकारी हर उम्र के व्यक्तियो के लिए उपयोगी है ! आपके पोस्ट से आर्थिक, भौगोलिक,राजनीतिक आदि जानकारी के विषय में विस्तृत वर्णन मिलता है।

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