शार्ली हेब्दो क्या है और यह बीच-बीच में विवादों में क्यों बनी रहती है ? जानिए यहां…..

शार्ली हेब्दो की कहानी और उसका इतिहास

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि ‘शार्ली हेब्दो – Charlie Hebdo’ क्या है और यह किस वजह से सुर्ख़ियों में रहता है, इसके अलावा बीच-बीच में इसका विरोध क्यों किया जाता है?

तो आइए जानते हैं…….

शार्ली हेब्दो – Charlie Hebdo

फ्रांस में बेहद चर्चित साप्ताहिक व्यंग पत्रिका है शार्ली हेब्दो। इस पत्रिका में रिपोर्ट्स, कार्टून, वाद-विवाद और मनोरंजक कटाक्ष आदि छपते हैं। यह पत्रिका खुद को धर्मनिरपेक्ष, नास्तिक, संशयवादी, लेफ्ट समर्थक (वामपंथी) और नस्लभेद विरोधी होने का दावा करती है, साथ ही धर्म, राजनीति और संस्कृति से जुड़े पहलुओं पर बहस और कटाक्षों को बढ़ावा देती है।

कब शुरू हुई शार्ली हेब्दो – when did charlie hebdo start ?

1970 में यह पत्रिका तब शुरू हुई जब मासिक पत्रिका हारा किरी – Hara Kiri को फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति चार्ल्स दी गॉल की मौत के बाद मजाक उड़ाने के मामले में प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके बाद 1981 में इस पत्रिका को बंद कर दिया गया, लेकिन 1981 में इस पत्रिका का प्रकाशन फिर शुरू हुआ। सामान्य तौर पर हर बुधवार को प्रकाशित होने वाली इस साप्ताहिक पत्रिका के वर्तमान प्रमुख संपादक गेरार्ड बियार्ड हैं।

1970 में जब यह पत्रिका शुरू की गई थी, तब इसका नाम हारा किरी हेब्दो रखा गया था, बाद में लोकप्रिय कार्टून श्रृंखला पीनट के चरित्र शार्ली ब्राउन के नाम पर इस पत्रिका का नाम शार्ली हेब्दो रखा गया। फ्रेंच शब्द हेब्दो का मतलब साप्ताहिक होता है।

चर्चा में क्यों ?

फ्रांस की विवादित मैगजीन शार्ली हेब्दो में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई का ऐसा कार्टून छपा है, जिसे लेकर विवाद हो गया। कार्टून से भड़के ईरान ने फ्रांस को अपनी हद में रहने की सलाह दी है। ईरान ने कहा है कि उनके किसी भी धार्मिक या राजनीतिक लीडर की बेइज्जती सही नहीं जाएगी। फ्रेंच पब्लिकेशन के अपमानित और बेइज्जती करने वाले इस रवैये का जवाब दिया जाएगा। फ्रांस की सरकार ने निश्चित रूप से गलत रास्ता चुना है। इससे पहले भी हम इस पब्लिकेशन को प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल कर चुके हैं।

अयातुल्लाह अली खामेनेई ईरान के लिए क्यों है महत्वपूर्ण

ईरान में सबसे ताकतवर होते हैं सर्वोच्च नेता। किसी भी जरुरी मुद्दे पर उनका फैसला आखिरी माना जाता है और वहीं दुनिया के लिए ईरान की नीतियों और तरीकों का फैसला करते हैं। ईरान दुनिया का सबसे ताकतवर शिया देश है और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के नेतृत्व में मध्य-पूर्व के अंदर ईरान का प्रभाव बढ़ा है।

शार्ली हेब्दो में पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून छपने पर भी हो चुका है विवाद

Charlie Hebdo मैगजीन में छपने वाले कार्टून कई बार विवादों में रह चुके हैं। सबसे ज्यादा विवाद उस समय हुआ था, जब मैगजीन में इस्लाम के आखिरी नबी कहे जाने वाले पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून छापा गया था। इस मामले में ना सिर्फ इस्लामिक राष्ट्रों ने विरोध और नाराजगी जताई थी, बल्कि दुनिया भर के कई देशों में मुस्लिम लोगों ने जमकर प्रदर्शन भी किया था। उसी समय कई देशों ने शार्ली हेब्दो मैगजीन को प्रतिबंधित लिस्ट में डाल दिया था।

शार्ली हेब्दो ने 2015 में पैगंबर मोहम्मद पर कुछ कार्टून प्रकाशित किए थे, जिस पर खूब हंगामा मचा था। कार्टून छपने के बाद फ्रांस की राजधानी पैरिस में शार्ली हेब्दो के दफ्तर पर 07 जनवरी 2015 की सुबह आतंकी हमला हुआ। शार्ली हेब्दो के दफ्तर में आम दिनों की तरह ही काम चल रहा था। किसी को अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है। सुबह 11:30 के करीब हमलावरों ने इमारत में प्रवेश किया। सैड और चेरिफ नाम के दो भाई दफ्तर में घुसकर अचानक फायरिंग करने लगें।

इस आतंकी हमले में पत्रिका के एडिटर स्टीफन चार्बोनियर, चार कार्टूनिस्ट, दो स्तंभकार, एक कॉपी एडिटर, एक केयरटेकर, एडिटर के अंगरक्षक, एक पुलिस अधिकारी और एक मेहमान की हत्या कर दी गई। इस हमले में 12 लोगों की जाने चली गई। इस घटना के कारण फ्रांस में कई दिनों तक लोग आतंक के खौफ में रहे थे।

साल 2020 में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को लेकर फिर विवाद तब बढ़ गया, जब पत्रिका ने उन्हीं कार्टूनों को फिर से प्रकाशित किया। इसी विवाद के बीच अक्टूबर 2020 में फ्रांस के एक टीचर सैमुएल पैटी की हत्या कर दी गई। आरोपी का कहना था कि टीचर ने अपनी क्लास में पैगंबर के कार्टून दिखाए थे।

शार्ली हेब्दो ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पर भी साधा निशाना

फ्रांस की व्यंग पत्रिका शार्ली हेब्दो ने अपने कार्टून के जरिए ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय पर भी निशाना साधा।मार्च 2021 के अंक में इस पत्रिका ने अमेरिका के जॉर्ज फ्लॉयड केस की तरह प्रिंस हैरी की पत्नी मेगन को ब्रिटिश महारानी के घुटनों के नीचे दबा दिखाया। इस कार्टून के वायरल होते ही ब्रिटेन में बवाल मच गया। कई लोगों ने शार्ली हेब्दो के कार्टून को लेकर कड़ी आपत्ति जताई।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मेगन ने कुछ दिन पहले अमेरिकी मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में ब्रिटिश शाही परिवार पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि उनके बेटे को इसलिए शाही गद्दी नहीं दी गई, क्योंकि उसका रंग काला था।

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