कैसे तय होती है पेट्रोल और डीजल की कीमतें ? साथ ही जानिए, किस सेक्टर में पेट्रोल और डीजल की कितनी खपत होती है ?

पेट्रोल और डीजल की कीमत कैसे तय की जाती है?

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे तय होती है पेट्रोल और डीजल की कीमतें – How are the prices of petrol and diesel decided? साथ ही तेल की कीमत बढ़ने में सरकारों द्वारा लगाए गए टैक्स के योगदान के बारे में भी जानेंगे।

तो आइए जानते हैं…..

चर्चा में क्यों ?

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तेल कंपनियों से पेट्रोल और डीजल के दाम घटाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें नियंत्रण में है और तेल कंपनियां भी अब घाटे से उबर चुकी हैं, ऐसे में मेरा उनसे अनुरोध है कि वह पेट्रोल डीजल के दाम कम करें।

पुरी जी ने पुरानी बात याद दिलाते हुए और कुछ राज्यों की खिंचाई करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ने के बावजूद भी केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 और मई 2022 को एक्साइज ड्यूटी कम की थी, लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने वेट नहीं हटाया, इस कारण उन राज्यों में अन्य राज्यों की अपेक्षा अभी भी तेल की कीमतें ज्यादा हैं।

कैसे तय होती है पेट्रोल और डीजल की कीमतें – How are the prices of petrol and diesel decided?

  • जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण आयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी आयल कंपनियों को सौंप दिया।
  • अभी आयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, पेट्रोल और डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

तेल की कीमत में बड़ा हिस्सा टैक्स का – Major part of tax in oil price

आज जब आप ₹100 का पेट्रोल लेते हैं, तो ₹52 टैक्स के रूप में सरकार की जेब में जाता है। इससे आम लोगों की जेब खाली होती है, वहीं सरकार का खजाना तेजी से भरता है। ऐसे में अगर सरकार चाहे, तो टैक्स में कटौती करके आम आदमी को राहत दे सकती है। टैक्स वसूलने में महाराष्ट्र सबसे आगे है।

मुख्य रूप से चार बातों पर निर्भर करते हैं पेट्रोल और डीजल के दाम – Petrol and diesel prices mainly depend on four factors

  • कच्चे तेल की कीमत
  • रुपए के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की कीमत
  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भारी मात्रा में लिए जाने वाला टैक्स
  • देश में फ्यूल की मांग

भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल आयात करता है – India imports 85% of its crude oil requirement

भारत अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता है और इसकी कीमत हमें डॉलर में चुकानी होती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल और डीजल महंगे होने लगते हैं। कच्चा तेल बैरल में आता है। एक बैरल यानी 159 लीटर तेल होता है।

ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में डीजल की सबसे ज्यादा खपत – Highest consumption of diesel in transport and agriculture sector

भारत में डीजल के सबसे ज्यादा खपत ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर में होती है। दाम बढ़ने पर यही दोनों सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। डीजल के दाम बढ़ने से खेती से लेकर उसे मंडी तक लाना महंगा हो जाता है। इससे आम आदमी और किसान दोनों का बजट बिगड़ जाता है

जानिए, किस सेक्टर में पेट्रोल और डीजल की कितनी खपत होती है – Know, in which sector, how much petrol and diesel is consumed ?

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