रिक्टर स्केल के आधार पर भूकंप की तीव्रता और उसका प्रभाव और 2000 के बाद आए हुए घातक भूकंपों की सूची

रिक्टर स्केल के आधार पर 'Earthquake - भूकंप' की तीव्रता और उसके असर | 7.8 तीव्रता वाले भूकंप की ताकत

आज के इस लेख में हम रिक्टर स्केल के आधार पर ‘Earthquake – भूकंप’ की तीव्रता और उसके असर के बारे में जानेंगे, साथ ही 2000 के बाद आए घातक भूकंपों के बारे में भी संक्षिप्त रूप से जानेंगे।

तो आइए जानते हैं……

चर्चा में क्यों?

6 फरवरी 2023, दिन सोमवार को सुबह मिडिल ईस्ट के 4 देश तुर्किये (पुराना नाम तुर्की), सीरिया, लेबनान और इजराइल भूकंप से हिल गए। इस भूकंप से सबसे ज्यादा तबाही तुर्किये को उठानी पड़ी। यहां कई हजार लोगों की जान चली गई। सीरिया में भी कई लोग मारे गए। लेबनान और इजराइल में भी झटके महसूस किए गए, लेकिन यहां नुकसान की कोई खबर नहीं है।

गाजियांटेप कैसल

भूकंप का एपिसेंटर (जहां पर भूकंप सबसे पहले आया) तुर्किये का गाजियांटेप शहर था। यह सीरिया बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर है, इसलिए इसके आसपास के इलाकों में ज्यादा तबाही हुई।

रिक्टर स्केल के आधार पर भूकंप का असर- Effect of earthquake on the basis of Richter scale

क्रमांक रिक्टर स्केलभूकंप का असर
01.0 से 1.9सिर्फ सिस्मोग्राफ (भूकंप मापन यंत्र) से ही पता चलता है।
02.2 से 2.9हल्का कंपन।
03.3 से 3.9कोई बस या ट्रक के नजदीक से गुजरने जैसा असर।
04.4 से 4.9दीवारों पर टंगी ट्रेन दिल सकती है। घरों की खिड़कियां टूट सकती हैं।
05.5 से 5.9कुर्सी, टेबल और बिस्तर जैसे भारी समान तक हिल सकते हैं।
06.6 से 6.9बड़ी-बड़ी इमारतों की नींव हिल सकती है या दरारे आ सकती हैं, साथ ही ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा रहती है।
07.7 से 7.9इमारतें धराशाही हो जाती हैं। जमीन के अंदर डले हुए पाइप फट जाते हैं।
08.8 से 8.9इमारतें और बड़े बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
09.9 या उससे ज्यादापूरी तबाही। कोई व्यक्ति मैदान में खड़ा हो, तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। जैसे पानी में पत्थर फेंकने से लहरें दिखती हैं। समंदर नजदीक हो तो सुनामी का खतरा बढ़ जाता है।
भूकंप रिक्टर स्केल

नोट: भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।

तुर्किये में भूकंप आया, तो आइए इस विषय पर चर्चा कर लेते हैं कि तुर्किये में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं? ऐसी कौन सी भौगोलिक परिस्थितियां तुर्किये को लेकर बनती है, जिसकी वजह से यह भूकंप का शिकार होता है? इसके अलावा तुर्किये में जो भूकंप आया, वह 7.8 तीव्रता का था। तो हम यहां पर यह भी जानेंगे की 7.8 तीव्रता का भूकंप कितना स्ट्रांग होता है।

तीन बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स के बीच फंसा है तुर्किये

दरअसल, हमारी पृथ्वी बड़ी-बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई परतों से बनी हुई है, उन्हीं परतों में से एक मध्यवर्ती परत है मैंटल, जिसमें तरल पदार्थ मैग्मा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने की वजह से कई बार ऐसा होता है कि इन प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगते हैं। ऐसे में मैंटल के अंदर भरा हुआ मैग्मा अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त करने की वजह से बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजने लगता है। बस इसी डिस्टरबेंस के बाद भूकंप आता है।

यानी पृथ्वी के जिस क्षेत्र में प्लेटें आपस में टकराती हैं, वहां कंपन होने लगता है और इसी कंपन होने को भूकंप आना कहा जाता है। वैसे देखा जाए, तो इसके नाम में ही इसका मतलब छिपा हुआ है। भूकंप यानी भूमि का कांपना।

नीचे इमेज को देखिए। देखने पर पता चलता है कि तुर्किये का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट पर बसा हुआ है। यह प्लेट यूरेशियन, अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट के बीच में फंसी हुई है। जब अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं, तो तुर्किये सैंडविच की तरह फंस जाता है और इसी वजह से यह अधिकतर भूकंप का शिकार होता है।

तुर्की की भौगोलिक स्थिति

7.8 तीव्रता का भूकंप कितना स्ट्रांग होता है ?

मेलबर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भूकंप वैज्ञानिक जानुका अट्टानायके के मुताबिक 7.8 तीव्रता वाले भूकंप को बेहद खतरनाक माना जाता है। इसकी वजह यह है कि इससे करीब 32 पेटाजूल ऊर्जा निकलती है। यानी इससे न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहर को 4 दिन से ज्यादा बिजली मिल सकती है। जानुका ने कहा कि 5.9 तीव्रता वाले भूकंप की तुलना में 7.8 तीव्रता वाला भूकंप 708 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।

फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी के निदेशक रेनाटो सॉलिडम का मानना है कि 7 तीव्रता वाले भूकंप से हिरोशिमा में हुए परमाणु हमले में निकलने वाली ऊर्जा से 32 गुना ज्यादा ऊर्जा निकलती है। हालांकि, इस तरह के भूकंप की वजह से होने वाली क्षति दो बातों पर निर्भर करती है। पहली- जहां भूकंप के झटके महसूस हुए वहां का जलघनत्व कितना ज्यादा है। दूसरी- भूकंप का केंद्र धरती के कितना नीचे रहा।

साल 2000 के बाद दुनियाभर में आए कुछ घातक भूकंपों की सूची

क्रमांककब आयाकहां आयातीव्रतामौत का आंकड़ा
01.22 जून 2022अफगानिस्तान6.11100 से अधिक लोगों की मौत हुई
02.14 अगस्त 2021हैती7.22200 से अधिक लोगों की मौत हुई
03.28 सितंबर 2018इंडोनेशिया7.54300 से अधिक लोगों की मौत हुई
04.24 अगस्त 2016इटली6.2300 से अधिक लोगों की मौत हुई
05.25 अप्रैल 2015नेपाल7.88800 से अधिक लोगों की मौत हुई
06.3 अगस्त 2014चीन6.2700 से अधिक लोगों की मौत हुई
07.24 सितंबर 2013पाकिस्तान7.7800 से अधिक लोगों की मौत हुई
08.11 मार्च 2011जापान9.020,000 से अधिक लोगों को मौत हुई
09.27 फरवरी 2010चिली 8.8524 से अधिक लोगों की मौत हुई
10.12 जनवरी 2010हैती7.031,600 से अधिक लोगों की मौत हुई
11.30 सितंबर 2009इंडोनेशिया7.5 1100 से अधिक लोगों की मौत हुई
12.6 अप्रैल 2009इटली6.3300 से अधिक लोगों की मौत हुई
13.12 मई 2008चीन7.987,500 से अधिक लोगों की मौत हुई
14.15 अगस्त 2007पेरू8.0500 से अधिक लोगों की मौत हुई
15.26 मई 2006इंडोनेशिया6.35700 से अधिक लोगों की मौत हुई
16.8 अक्टूबर 2005पाक अधिकृत कश्मीर (PoK)7.680,000 से अधिक लोगों की मौत हुई
17.28 मार्च 2005इंडोनेशिया8.61300 से अधिक लोगों की मौत को
18.26 दिसंबर 2004इंडोनेशिया9.1हिंद महासागर में सुनामी आने की वजह से आसपास के करीब 12 देशों में 2,30,000 से अधिक लोगों की मौत हुई
19.26 दिसंबर 2003ईरान6.650,000 से अधिक लोगों की मौत हुई
20.21 मई 2003अल्जीरिया6.82200 से अधिक लोगों की मौत हुई
21.25 मार्च 2002अफगानिस्तान6.11000 से अधिक लोगों की मौत हुई
22.26 जनवरी 2001भारत7.720,000 से अधिक लोगों की मौत हुई
सन 2000 के बाद से अब तक के आए हुए घातक भूकंपों की सूची

दुनिया में हर साल 20,000 भूकंप आते हैं

हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं, लेकिन उनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इनफॉरमेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है, इसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं, जिनसे नुकसान ज्यादा होता है। भूकंप कुछ सेकंड या कुछ मिनट तक रहता है। अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। वह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।

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