आज के इस लेख में हम रिक्टर स्केल के आधार पर ‘Earthquake – भूकंप’ की तीव्रता और उसके असर के बारे में जानेंगे, साथ ही 2000 के बाद आए घातक भूकंपों के बारे में भी संक्षिप्त रूप से जानेंगे।
तो आइए जानते हैं……
चर्चा में क्यों?
6 फरवरी 2023, दिन सोमवार को सुबह मिडिल ईस्ट के 4 देश तुर्किये (पुराना नाम तुर्की), सीरिया, लेबनान और इजराइल भूकंप से हिल गए। इस भूकंप से सबसे ज्यादा तबाही तुर्किये को उठानी पड़ी। यहां कई हजार लोगों की जान चली गई। सीरिया में भी कई लोग मारे गए। लेबनान और इजराइल में भी झटके महसूस किए गए, लेकिन यहां नुकसान की कोई खबर नहीं है।
भूकंप का एपिसेंटर (जहां पर भूकंप सबसे पहले आया) तुर्किये का गाजियांटेप शहर था। यह सीरिया बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर है, इसलिए इसके आसपास के इलाकों में ज्यादा तबाही हुई।
रिक्टर स्केल के आधार पर भूकंप का असर- Effect of earthquake on the basis of Richter scale
क्रमांक | रिक्टर स्केल | भूकंप का असर |
01. | 0 से 1.9 | सिर्फ सिस्मोग्राफ (भूकंप मापन यंत्र) से ही पता चलता है। |
02. | 2 से 2.9 | हल्का कंपन। |
03. | 3 से 3.9 | कोई बस या ट्रक के नजदीक से गुजरने जैसा असर। |
04. | 4 से 4.9 | दीवारों पर टंगी ट्रेन दिल सकती है। घरों की खिड़कियां टूट सकती हैं। |
05. | 5 से 5.9 | कुर्सी, टेबल और बिस्तर जैसे भारी समान तक हिल सकते हैं। |
06. | 6 से 6.9 | बड़ी-बड़ी इमारतों की नींव हिल सकती है या दरारे आ सकती हैं, साथ ही ऊपरी मंजिलों को नुकसान पहुंचने की संभावना ज्यादा रहती है। |
07. | 7 से 7.9 | इमारतें धराशाही हो जाती हैं। जमीन के अंदर डले हुए पाइप फट जाते हैं। |
08. | 8 से 8.9 | इमारतें और बड़े बड़े पुल भी गिर जाते हैं। |
09. | 9 या उससे ज्यादा | पूरी तबाही। कोई व्यक्ति मैदान में खड़ा हो, तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। जैसे पानी में पत्थर फेंकने से लहरें दिखती हैं। समंदर नजदीक हो तो सुनामी का खतरा बढ़ जाता है। |
नोट: भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
तुर्किये में भूकंप आया, तो आइए इस विषय पर चर्चा कर लेते हैं कि तुर्किये में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं? ऐसी कौन सी भौगोलिक परिस्थितियां तुर्किये को लेकर बनती है, जिसकी वजह से यह भूकंप का शिकार होता है? इसके अलावा तुर्किये में जो भूकंप आया, वह 7.8 तीव्रता का था। तो हम यहां पर यह भी जानेंगे की 7.8 तीव्रता का भूकंप कितना स्ट्रांग होता है।
तीन बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स के बीच फंसा है तुर्किये
दरअसल, हमारी पृथ्वी बड़ी-बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई परतों से बनी हुई है, उन्हीं परतों में से एक मध्यवर्ती परत है मैंटल, जिसमें तरल पदार्थ मैग्मा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने की वजह से कई बार ऐसा होता है कि इन प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगते हैं। ऐसे में मैंटल के अंदर भरा हुआ मैग्मा अत्यधिक ऊर्जा प्राप्त करने की वजह से बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजने लगता है। बस इसी डिस्टरबेंस के बाद भूकंप आता है।
यानी पृथ्वी के जिस क्षेत्र में प्लेटें आपस में टकराती हैं, वहां कंपन होने लगता है और इसी कंपन होने को भूकंप आना कहा जाता है। वैसे देखा जाए, तो इसके नाम में ही इसका मतलब छिपा हुआ है। भूकंप यानी भूमि का कांपना।
नीचे इमेज को देखिए। देखने पर पता चलता है कि तुर्किये का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट पर बसा हुआ है। यह प्लेट यूरेशियन, अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट के बीच में फंसी हुई है। जब अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं, तो तुर्किये सैंडविच की तरह फंस जाता है और इसी वजह से यह अधिकतर भूकंप का शिकार होता है।
7.8 तीव्रता का भूकंप कितना स्ट्रांग होता है ?
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भूकंप वैज्ञानिक जानुका अट्टानायके के मुताबिक 7.8 तीव्रता वाले भूकंप को बेहद खतरनाक माना जाता है। इसकी वजह यह है कि इससे करीब 32 पेटाजूल ऊर्जा निकलती है। यानी इससे न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहर को 4 दिन से ज्यादा बिजली मिल सकती है। जानुका ने कहा कि 5.9 तीव्रता वाले भूकंप की तुलना में 7.8 तीव्रता वाला भूकंप 708 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी के निदेशक रेनाटो सॉलिडम का मानना है कि 7 तीव्रता वाले भूकंप से हिरोशिमा में हुए परमाणु हमले में निकलने वाली ऊर्जा से 32 गुना ज्यादा ऊर्जा निकलती है। हालांकि, इस तरह के भूकंप की वजह से होने वाली क्षति दो बातों पर निर्भर करती है। पहली- जहां भूकंप के झटके महसूस हुए वहां का जलघनत्व कितना ज्यादा है। दूसरी- भूकंप का केंद्र धरती के कितना नीचे रहा।
साल 2000 के बाद दुनियाभर में आए कुछ घातक भूकंपों की सूची
क्रमांक | कब आया | कहां आया | तीव्रता | मौत का आंकड़ा |
01. | 22 जून 2022 | अफगानिस्तान | 6.1 | 1100 से अधिक लोगों की मौत हुई |
02. | 14 अगस्त 2021 | हैती | 7.2 | 2200 से अधिक लोगों की मौत हुई |
03. | 28 सितंबर 2018 | इंडोनेशिया | 7.5 | 4300 से अधिक लोगों की मौत हुई |
04. | 24 अगस्त 2016 | इटली | 6.2 | 300 से अधिक लोगों की मौत हुई |
05. | 25 अप्रैल 2015 | नेपाल | 7.8 | 8800 से अधिक लोगों की मौत हुई |
06. | 3 अगस्त 2014 | चीन | 6.2 | 700 से अधिक लोगों की मौत हुई |
07. | 24 सितंबर 2013 | पाकिस्तान | 7.7 | 800 से अधिक लोगों की मौत हुई |
08. | 11 मार्च 2011 | जापान | 9.0 | 20,000 से अधिक लोगों को मौत हुई |
09. | 27 फरवरी 2010 | चिली | 8.8 | 524 से अधिक लोगों की मौत हुई |
10. | 12 जनवरी 2010 | हैती | 7.0 | 31,600 से अधिक लोगों की मौत हुई |
11. | 30 सितंबर 2009 | इंडोनेशिया | 7.5 | 1100 से अधिक लोगों की मौत हुई |
12. | 6 अप्रैल 2009 | इटली | 6.3 | 300 से अधिक लोगों की मौत हुई |
13. | 12 मई 2008 | चीन | 7.9 | 87,500 से अधिक लोगों की मौत हुई |
14. | 15 अगस्त 2007 | पेरू | 8.0 | 500 से अधिक लोगों की मौत हुई |
15. | 26 मई 2006 | इंडोनेशिया | 6.3 | 5700 से अधिक लोगों की मौत हुई |
16. | 8 अक्टूबर 2005 | पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) | 7.6 | 80,000 से अधिक लोगों की मौत हुई |
17. | 28 मार्च 2005 | इंडोनेशिया | 8.6 | 1300 से अधिक लोगों की मौत को |
18. | 26 दिसंबर 2004 | इंडोनेशिया | 9.1 | हिंद महासागर में सुनामी आने की वजह से आसपास के करीब 12 देशों में 2,30,000 से अधिक लोगों की मौत हुई |
19. | 26 दिसंबर 2003 | ईरान | 6.6 | 50,000 से अधिक लोगों की मौत हुई |
20. | 21 मई 2003 | अल्जीरिया | 6.8 | 2200 से अधिक लोगों की मौत हुई |
21. | 25 मार्च 2002 | अफगानिस्तान | 6.1 | 1000 से अधिक लोगों की मौत हुई |
22. | 26 जनवरी 2001 | भारत | 7.7 | 20,000 से अधिक लोगों की मौत हुई |
दुनिया में हर साल 20,000 भूकंप आते हैं
हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं, लेकिन उनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इनफॉरमेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है, इसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं, जिनसे नुकसान ज्यादा होता है। भूकंप कुछ सेकंड या कुछ मिनट तक रहता है। अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। वह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।
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