कीड़ा जड़ी की कीमत है सोने से भी ज्यादा | जानें, कीड़ा जड़ी से होने वाले फायदे, इसकी कीमत और इसके लिए होने वाली मारामारी के बारे में

कीड़ा जड़ी | कीड़ा जड़ी के फायदे | कीड़ा जड़ी की कीमत | कीड़ा जड़ी - चीन

आज के इस लेख में हम सोने से भी महंगी जड़ी, ‘कीड़ा जड़ी – Keeda Jadi’ के बारे में जानेंगे, जिसे हिमालय का सोना या सेक्स पावर बढ़ाने की वजह से हिमालयी वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है।

तो आइए जानते हैं…..

कीड़ा जड़ी – Keeda Jadi

कीड़ा जड़ी एक तरह का जंगली मशरूम होता है। यह हैपिलस फैब्रिकस नाम के एक कीड़े की इल्लियों यानी कि कैटरपिलर्स को मारकर उसपर पनपता है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं, जैसे- हमारे घर में रखे अचार जब ख़राब होने लगते हैं, तो उनपर फंगस जमना (फफूंद लगना) शुरू हो जाती है, ठीक वैसे ही, जब हैपिलस फैब्रिकस नाम का कीड़ा मर जाता है, तो उसकी बाहरी सतह पर कीड़ा जड़ी पनपती है।

इस प्रकार से आप सभी समझें कि कीड़ा जड़ी जिसे हिमालय का सोना (Himalayan Gold) के नाम से भी जाना जाता है, यह एक प्रकार की फफूंद (Fungi) है, जिसे कॉर्डिसेप्स (Cordyceps) कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ओफिओ कॉर्डिसेप्स सिनेन्सिस (Ophio Cordyceps Sinensis) है। इसे चीन और नेपाल में यारसागुम्बा (Yarsagumba) के नाम से जाना जाता है। तिब्बत में इसे यारसागंबू (Yarsaganbu के नाम से जाना जाता है। इंग्लिश की बोलचाल की भाषा में इसे Caterpillar Fungus कहा जाता है। इतने सारे नाम सुनकर आप सभी हैरान होंगे, लेकिन वो कहते हैं न कि ज्यादा नाम उन्ही के होते हैं, जो ज्यादा प्रिय होते हैं।

कीड़ा जड़ी नाम क्यों पड़ा – Why was Keeda Jadi named ?

पीले भूरे रंग की इस जड़ी का आधा हिस्सा जड़ी जैसा दिखता है और आधा हिस्सा कीड़े जैसा, इसलिए इसका नाम कीड़ा जड़ी पड़ा।

कैसे बनती है कीड़ा जड़ी – How is Keeda Jadi made ?

सबसे पहले हैपिलस फैब्रिकस नामक कीड़े को मारती है फफूंद। उसके बाद धारे-धीरे उसको मिट्टी में दबाती जाती है। इसके बाद कीड़े के शरीर से पूंछ बनके बाहर निकलती है। लगभग 2 इंच ही यह जमीन से बाहर निकलती है। इसका वजन 300 से 500 मिलीग्राम होता है। नीचे इमेज में देख सकते हैं।

कीड़ा जड़ी मिलता कहां पर है – where is Keeda Jadi available?

कीड़ा जड़ी मुख्य रूप से भारतीय हिमालय, दक्षिण-पश्चिम चीन में किंघाई और तिब्बती पठार में काफी ऊंचाई पर पाया जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक यह सिक्किम में 4500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर भी पाया जाता है। इतनी ऊंचाई पर ट्रीलाइन खत्म हो जाती है, यानी जहां के बाद पेड़ उगने बंद हो जाते हैं। मई से जुलाई में जब बर्फ पिघलती है, तो इसके उगने या पनपने का चक्र शुरू होता है। यह भारत नेपाल और भूटान के अन्य भागों में भी पाया जाता है।

कीड़ा जड़ी की कीमत कितनी है – How much does Keeda Jadi cost??

चीन, भारत, भूटान और नेपाल के कई इलाकों में कीड़ा जड़ी की काफी ज्यादा डिमांड है। द वीक के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 किलोग्राम कीड़ा जड़ी की कीमत 65 लाख रूपए तक है, यानी यह सोने से भी महंगा है। 2009 तक इसकी कीमत 10 लाख रुपए के करीब थी। 2022 में कीड़ा जड़ी की मार्केट वैल्यू करीब 1072.50 मिलियन डॉलर, यानी 107 करोड़ रुपए आंकी गई है।

कीड़ा जड़ी का उपयोग क्या है?

चीन और भारतीय हिमालय वाले इलाकों में पारंपरिक चिकित्सक किडनी और नपुंसकता जैसी बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं। कीड़ा जड़ी के फायदे के बारे में सबसे पहले 15वीं शताब्दी के तिब्बती औषधीय ग्रन्थ ‘एन ओशन ऑफ एफ्रोडिसियाकल क्वालिटीज’ में बताया गया है। सिक्किम में पारंपरिक चिकित्सक और स्थानीय लोग 21 अलग-अलग बीमारियों में इस औषधि का उपयोग करने के लिए कहते हैं।

कीड़ा जड़ी से होने वाले इन 08 फायदों के बारे में जानिए

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने में बेहद असरकारक।
  • सूजन को कम करने में सहायक।
  • फौरी तौर पर (तुरंत) शरीर की ताकत (एनर्जी) को बढ़ाता है।
  • सेक्स क्षमता को बढ़ाता है।
  • याददाश्त को बढ़ाने में काम आता है।
  • दिल की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद।
  • इसमें नेचुरल एंटी कैंसर एजेंट पाया जाता है।
  • कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल में रखने में सहायक होता है।

वैज्ञानिकों को कीड़ा जड़ी (कार्डिसेप्स) में पाए जाने वाले बायोएक्टिव मॉलिक्यूल कॉर्डिसेपिन से बहुत उम्मीद है। वैज्ञानिक कहते है कि इसमें बड़ी चिकित्सीय क्षमता है और यह एक दिन एक प्रभावी नए एंटीवायरल और एंटी-कैंसर उपचार में बदल सकता है।

चीन में प्राकृतिक स्टेरॉयड की तरह एथलीट इसका इस्तेमाल करते हैं

  • हेल्थ वेबसाइट हेल्थलाइन के मुताबिक चीन में पारंपरिक चिकित्सा में सदियों से थकान, बीमारी, किडनी इंफेक्शन और सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए कीट और फंगस के अवशेषों के प्रयोग की सिफारिश की गई है।
  • चीन में कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल प्राकृतिक स्टेरॉयड की तरह किया जाता है। फौरी तौर पर या तुरंत शरीर की एनर्जी बढ़ाने की क्षमता की वजह से चीन में ये जड़ी खिलाड़ियों, खासकर एथलीटों को दी जाती है।
  • यह करामाती जड़ी 2009 में स्टुअटगार्ड वर्ल्ड चैम्पियनशिप के दौरान भी सुर्ख़ियों में आई थी। चैम्पियनशिप में 1500 मीटर, 3000 मीटर और 10 हजार मीटर वर्ग में चीन की महिला एथलीटों ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया था। इसके बाद उनकी ट्रेनर मा जुनरेन ने मीडिया में बयान दिया था कि एथलीटों को यारसागुम्बा यानी कीड़ा जड़ी को नियमित रूप से खिलाया गया था, इसी वजह से महिला एथलीटों ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया।

हेल्थलाइन के मुताबिक इस फंगस में प्रोटीन, पेप्टाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन B-1, B-2 और B-12 जैसे पोषकतत्व बहुतायत में पाए जाते हैं। ये फौरन ताकत देते हैं और खिलाड़ियों का जो डोपिंग टेस्ट किया जाता है, उसमें ये पकड़ा नहीं जाता।

कीड़ा जड़ी के लिए भारतीय क्षेत्र में चीन क्यों करता है घुसपैठ

चीन कीड़ा जड़ी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। एक रिसर्च सेंटर, जिसका नाम है- Indo Pacific Centre for Strategic Communications (IPCSC)। इस रिसर्च सेंटर के मुताबिक, पिछले दो सालों में चीन के सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्र किंघाई में फंगस की कमी की वजह से कीड़ा जड़ी की फसल में काफी कमी देखी गई है। इसी दौरान पिछले एक दशक में बेशकीमती इस जड़ी की मांग तेजी से बढ़ी है।

एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादा डिमांड और सीमित संसाधनों की वजह से कीड़ा जड़ी की अधिक कटाई हुई है, इसकी वजह से चीन में 2018 से ही इसके उत्पादन में कमी देखने को मिली। 2018 में 41,200 किलोग्राम कीड़ा जड़ी का उत्पादन हुआ, जो 2017 के मुकाबले 5.2% कम था। 2017 में कीड़ा जड़ी का 43,500 किलोग्राम उत्पादन हुआ था। IPCSC के मुताबिक 2010 और 2011 में चीन की प्रोविंशियल मीडिया इसका उत्पादन 1.5 किलोग्राम बताया था।

ऊपर जो आंकड़े दिखाए गए है, उसके अनुसार मांग तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन ठीक इसके उल्टा उत्पादन लगातार घट रहा है। इस वजह से चीन, भारत के क्षेत्र से यह जड़ी चुराने के उद्देश्य से घुसपैठ करने की कोशिश करता है, ऐसा IPCSC का कहना है। हालांकि, घुसपैठ करने के पीछे चीन के मंसूबे कुछ और ही रहते हैं, ऐसा हमारा कहना है।

किंघाई में चीनी कार्डिसेप्स कंपनियां हाल के सालों में स्थानीय लोगों को लाखों युआन का भुगतान कर रहीं हैं, ताकि कीड़ा जड़ी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पूरे पहाड़ों को बंद किया जा सके, यानी कि पहाड़ी क्षेत्रों में वहां के स्थानीय लोग केवल इस जड़ी का उत्पादन करें।

IPCSC के मुताबिक, हिमालय रीजन के कुछ क्षेत्रों में लोगों की जीविका का साधन ही कीड़ा जड़ी है। यहां के लोग पहले इसे इकट्ठा करते हैं और फिर बेचते हैं। हिमालय और तिब्बती पठार में घरेलू आय का 80% सोर्स कीड़ा जड़ी है। जंगलों में कीड़ा जड़ी काफी दुर्लभ है।

इसके अलावा एक अन्य जानकारी और देना चाहता हूं, जो हैरान करने वाली लगेगी। जानकारी ये है कि चीन बहुत ज्यादा मात्रा में गधों का आयात करता है, ऐसा क्यों करता है, तो आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं

गधों का आयात क्यों करता है चीन ?

चीन गधों का इस्तेमाल एजियाओ नाम की दवा बनाने में करता है।चीन दावा करता है कि इससे एनीमिया, नींद न आना, सर्दी-जुकाम, उम्र का प्रभाव कम करना और कई दूसरी बीमारियां ठीक होती हैं। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं, बल्कि सिर्फ यह पारंपरिक चीनी मेडिसिन का हिस्सा है।

गधों के चमड़े से बनने वाली जिलेटिन यानी गोंदनुमा पदार्थ से चीन में एजियाओ (Ejiao) नाम की दवा बनाई जाती है। Traditional Chinese Medicine (TCM) के तहत आने वाली ये दवा शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दी जाती है। इसके अलावा जोड़ो के दर्द में भी यह दवा कारगर मानी जाती है। रिप्रोडक्टिव समस्या (प्रजनन संबंधी समस्या) में भी गधे की चमड़ी से बना जिलेटिन दवा के रूप में लिया जाता है और साथ में गधे का मांस भी खाया जाता है।

चीन में इस दवा की भारी मांग है और इसका कारोबार लगभग 130 बिलियन डॉलर का माना जाता है। TCM के तहत आने वाली दूसरी दवाएं भी जानवरों से तैयार होती हैं। दावा किया जाता है कि सांप, बिच्छू, मकड़ी और कॉकरोच जैसे- जीव-जंतुओं से बनने वाली इन दवाओं से कैंसर, स्ट्रोक, पार्किंसन, हार्ट डिसीज और अस्थमा तक का इलाज होता है।

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