आज के इस लेख में हम चीन के साथ लगने वाली भारत की सीमा यानी कि ‘भारत-चीन बॉर्डर – India-China Border’ के बारे में जानेंगे, क्योंकि यह अक्सर विवादों में रहती है और चीन इन सीमाओं के अंदर बार-बार घुसपैठ करने की कोशिश करता रहता है।
तो आइए जानते हैं……
चर्चा में क्यों ??
अभी हाल ही में 9 दिसंबर 2022 को चीन की सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग वाले क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की और दोनों देशों के सेनाओं के बीच हाथापाई हुई। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने इसका मुहतोड़ जवाब देते हुए उन्हें यहां से धक्के मारकर खदेड़ दिया। इससे पहले 1975 में तवांग में विवाद हुआ था। तो आइए, अब चीन से लगने वाली भारत की सीमा के बारे में जानते हैं।
भारत की चीन से लगने वाली सीमा – India-China Border
भारत, चीन के साथ लगभग 3488 किलोमीटर (सीमा की लंबाई का अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग उल्लेख मिलता है) लंबी सीमा सांझा करता है। ये सीमा जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में लगती है। इस सीमा को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है- पश्चिमी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र।
पूर्वी क्षेत्र – Eastern Sector
इसके अंतर्गत अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम का चीन से लगने वाला क्षेत्र आता है।
मध्य क्षेत्र – Central Sector
इसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का चीन से लगने वाला क्षेत्र आता है।
पश्चिमी सेक्टर – Western Sector
इसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का चीन से लगने वाला क्षेत्र आता है।
लाइन ऑफ एक्चुअलकंट्रोल (LAC – Line of Actual Control)
यह भारत और चीन के बीच सीमांकन को दर्शाता है, लेकिन कई इलाकों में दोनों देश के बीच आपसी मतभेद के चलते अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हो सका है। सीमांकन पूरा न हो पाने का सबसे बड़ा कारण रहा है चीन का दोगलापन। समझिएगा जरा, भारत से लगने वाली चीन की सीमा को लेकर चीन एक तरफ जहां अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच की मैकमोहन रेखा को नहीं मानता, वहीं दूसरी तरफ अक्साई चीन पर भारत के दावे को भी खारिज करता है, जिस पर उसने 1962 के युद्ध के दौरान कब्जा कर लिया था।
भारत और चीन के बीच सीमा रेखा के मतभेद के चलते कभी भी सीमा का निर्धारण नहीं हो सका, यथास्थिति बनाए रखने के लिए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी (LAC – Line of Actual Control) टर्म का इस्तेमाल किया जाने लगा। हालांकि, अभी ये भी स्पष्ट नहीं है। दोनों देश अपनी अलग-अलग लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल बताते हैं। चीन की वर्षों से फितरत रही है, LAC का उल्लंघन करने की। बीच-बीच में अपना रौब दिखाने और माहौल बाजी करने के लिए चीनी सैनिक भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करते रहते हैं।
मैकमोहन रेखा को न मानने के पीछे चीन का ये तर्क है कि 1914 में, जब ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने ये समझौता किया था, तब चीन वहां पर मौजूद नहीं था। चीन का कहना है कि तिब्बत, चीन का हिस्सा है, इसलिए तिब्बत खुद उस पर कोई निर्णय नहीं ले सकता।
जानकार बताते है कि 1914 में तिब्बत में एक स्वतंत्र और कमजोर मुल्क था, लेकिन चीन ने तिब्बत को कभी स्वतंत्र मुल्क नहीं माना। अपनी आजादी के एक साल बाद 1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया था।
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