आज के इस लेख में हम मिसाइल और सैटेलाइट में अंतर (Difference between Missile and Satellite) के बारे में जानेंगे? साथ ही, मिसाइल और सैटेलाइट में राकेट की भूमिका के बारे में भी जानेंगे।
तो आइए जानते हैं…….
चर्चा में क्यों?
मिसाइल और सैटेलाइट का मामला अभी हाल ही में चर्चा में इसलिए आया, क्योंकि जैसे ही चीन को ये जानकारी मिली कि भारत अपने बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 के सबमरीन से चलने वाले Version K-4 के परीक्षण के लिए Notam (Notice to Airmen ) जारी कर दिया है, वैसे ही चीन ने अपने जासूसी जहाज युआन वांग-6 को हिन्द महासागर की तरफ भेज दिया।
असल में चीन अपने द्वारा बनाए गए जासूसी जहाजों (Spy Ship) को केवल यह कहकर किसी भी समुद्री क्षेत्र में भेज देता है कि वह अपने द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट्स को ट्रैक करता रहता है कि सब कुछ ठीक है न, सभी सैटेलाइट्स सही तरीके से काम रहें हैं न !! लेकिन चीन की इसके पीछे चाल कुछ और ही रहती है।
असल में चीन का उद्देश्य Satellite की आड़ में Missile को ट्रैक कर उसकी खुफिया जानकारी निकालना होता है। इसी सिलसिले में आज हम मिसाइल और सैटेलाइट में अंतर के बारे में जानेंगे।
मिसाइल और सैटेलाइट में अंतर (Difference between Missile and Satellite)
इसे हम सरल शब्दों में समझेंगे तो समझ में भी आएगा और मजा भी आएगा, तो आइए शुरू करते हैं। एक शब्द है मिसाइल और दूसरा शब्द है सैटेलाइट। हमें जानना है इन दोनों शब्दों, मिसाइल और सैटेलाइट में अंतर के बारे में। आप सभी ने दीपावली में राकेट चलते हुए जरूर देखें होंगे या फिर खुद भी चलाया होगा। राकेट एक ऐसी संरचना जिसके पीछे लगी तीली में आग लगा दी जाए, तो वह ऊपर की तरफ बड़ी तेजी से जाता है, क्योंकि इसमें फ्यूल के रूप में मसाला भरा होता है।
बिल्कुल ऐसा ही राकेट हम मिसाइल या सैटेलाइट के लिए उपयोग में लेते हैं। डिफेन्स के उद्देश्य से जब इस्तेमाल किया जाता है, तो इसे मिसाइल कहा जाता है और लोगों के हित या भलाई (Humanitarian Interest) के उद्देश्य से जब उपयोग में लिया जाता है, तो इसे सैटेलाइट कहा जाता है।
आसान भाषा में मिसाइल और सैटेलाइट शब्द एक हीं है। अंतर ये है कि जब राकेट के ऊपर कैप नुमा संरचना (Payload -पेलोड) में बॉम्ब या अन्य कोई विस्फोटक सामग्री जैसे- TNT ((Trinitrotoluene) या डायनामाइट भर दिया जाता है, तो उसे मिसाइल कहा जाता है। यानी कि बॉम्ब फोड़ने वाले राकेट को मिसाइल कहा जाता है।
अगर इसी राकेट के ऊपर अंतरिक्ष से जानकारी या सेवा देने वाले यंत्र लगा दिए जाएं, जिन्हे सैटेलाइट कहा जाता है, तो इसे सैटेलाइट कहा जाएगा। सैटेलाइट से मतलब कुछ ऐसी संरचनाएं जो अंतरिक्ष में तैरती रहती है और लोगों के लिए भलाई या उनके हित में काम करती हैं। जैसे- D2H (Direct to Home Services), GPS, मौसम की जानकारियां इसके अलावा अंतरिक्ष से संबंधित अन्य जानकारियां।
देखिए राकेट कॉमन है। एक बार हमनें राकेट से बॉम्ब फेंका, तो उसे मिसाइल नाम दिया गया और दूसरी बार हमनें राकेट का इस्तेमाल सैटेलाइट लांच करने में किया, तो उसे सैटेलाइट नाम दिया गया। इस प्रकार से मिसाइल और सैटेलाइट में अंतर समझने के साथ-साथ आप को चीन की रणनीति के बारे में भी समझ में आया होगा।
चीन के जो जासूसी जहाज हैं, चीन का उनके बारे में कहना है कि ये जहाज चीन द्वारा भेजे गए सैटेलाइट्स को ट्रैक करते रहते है, इसलिए चीन इन्हें समुद्रो में भेजता है। पर ये तो कॉमन सेन्स की बात हुई न कि जब मिसाइल और सैटेलाइट में केवल अंतर रखे सामान का है, तो जो जहाज सैटेलाइट को ट्रैक कर सकता है तो वह मिसाइल को भी ट्रैक कर सकता है।
क्या है न कि चीन अपने आप को होशियार तो बहुत समझता है, लेकिन डरपोक भी बहुत है, इसीलिए वह सैटेलाइट ट्रैक करने के बहाने से भारत के K-4 मिसाइल को ट्रैक करना चाहता है, ताकि उसकी खुफिया जानकारी निकाली जा सके। इसके अलावा चीन अन्य देशों की मिसाइलों की जानकारी निकालने में लगा ही रहता है, उसके जीवन का उद्देश्य ही है जासूसी करना।
उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मिसाइल और सैटेलाइट में अंतर (Difference between Missile and Satellite) जरूर समझ में आया होगा।
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