मिसाइल किसे कहते हैं? मिसाइल के प्रकार | क्रूज व बैलिस्टिक मिसाइल

Missile: आज के इस लेख में हम जानेंगे कि मिसाइल क्या है, मिसाइल क्या होती है, मिसाइल किसे कहते है और मिसाइल कितने प्रकार की होतीं हैं? साथ ही मिसाइल में राकेट की भूमिका के बारे में भी जानेंगे? | (Missile, Cruise Missile, Brahmos Missile, Missile Man of india).

तो आइए जानते हैं…..

मिसाइल – Missile – मिसाइल किसे कहते हैं?

मिसाइल

मिसाइल को हम सरल शब्दों में समझेंगे तो ज्यादा आसानी से समझ में आएगा। एक काम करते हैं, इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए सैटेलाइट को भी साथ में ले के चलते हैं। तो आइए शुरू करते हैं। एक शब्द है मिसाइल और दूसरा शब्द है सैटेलाइट। आप सभी ने दीपावली में राकेट चलते हुए जरूर देखें होंगे या फिर खुद भी चलाया होगा। राकेट एक ऐसी संरचना जिसके पीछे लगी तीली में आग लगा दी जाए, तो वह ऊपर की तरफ बड़ी तेजी से जाता है, क्योंकि इसमें फ्यूल के रूप में मसाला भरा होता है।

बिल्कुल ऐसा ही राकेट हम मिसाइल या सैटेलाइट के लिए उपयोग में लेते हैं। डिफेन्स के उद्देश्य से जब राकेट का इस्तेमाल किया जाता है, तो उसे मिसाइल कहा जाता है और मानवीय हित या भलाई (Humanitarian Interest) के उद्देश्य से जब उपयोग में लिया जाता है, तो उसे सैटेलाइट कहा जाता है।

आसान भाषा में मिसाइल और सैटेलाइट शब्द एक हीं हैं। अंतर ये है कि जब राकेट के ऊपर कैप नुमा संरचना (Payload -पेलोड) में बॉम्ब या अन्य कोई विस्फोटक सामग्री, जैसे- TNT (Trinitrotoluene) या डायनामाइट भर दिया जाता है, तो उसे मिसाइल कहा जाता है। यानी कि बॉम्ब फोड़ने वाले राकेट को मिसाइल कहा जाता है।

अगर इसी राकेट के ऊपर अंतरिक्ष से जानकारी या सेवा देने वाले यंत्र लगा दिए जाएं, जिन्हे सैटेलाइट कहा जाता है, तो इसे सैटेलाइट कहा जाएगा। सैटेलाइट से मतलब कुछ ऐसी संरचनाएं, जो अंतरिक्ष में तैरती रहती है और लोगों की भलाई या उनके हित और सेवा के उद्देश्य से काम करती हैं। जैसे- D2H (Direct to Home Services), GPS, मौसम की जानकारियां, इसके अलावा अंतरिक्ष से संबंधित अन्य बहुत सी जानकारियां।

देखिए, Missile और Satellite दोनों में राकेट कॉमन है। एक बार हमनें राकेट से बॉम्ब फेंका, तो उसे Missile नाम दिया गया और दूसरी बार हमनें राकेट का इस्तेमाल सैटेलाइट लांच करने में किया, तो उसे Satellite नाम दिया।

मिसाइल के प्रकार (Types of Missiles)

सामान्य तौर पर मिसाइलों को उनके रेंज, लांच मोड, वारहेड, प्रोपल्शन और गाइडेंस सिस्टम के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

लेकिन मुख्य रूप से मिसाइल्स दो प्रकार की होती हैं।

  • क्रूज मिसाइल (Cruise Missile)
  • बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile)

1. क्रूज मिसाइल – Cruise Missile

ऐसी Missile, जो जमीन से ऊपर उठे और कुछ ऊंचाई पर जाने के बाद जमीन के समानांतर उड़ने लगे, जैसे- अपना हवाई जहाज उड़ता है। हवाई जहाज जमीन से उड़ान भरने के बाद एक नियत ऊंचाई तक जाता है, उसके बाद जमीन के समानांतर उड़ने लगता है। तो इस प्रकार की मिसाइलों को क्रूज Missile कहा जाता है। जमीन के समानांतर चलने की वजह से Cruise Missiles ज्यादा दूर तक नहीं जा सकतीं, क्योंकि समानांतर पथ में गुरुत्वाकर्षण बल ज्यादा प्रभावी होता है। ये मिसाइलें कम दूरी की होतीं हैं।

क्रूज मिसाइल अगर तेज नहीं चलाई गई तो वो जमीन पर भी गिर सकती है, क्योंकि इन पर गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव ज्यादा होता है। इसलिए ये तेज गति की मिसाइलें कहलाती हैं और तुलनात्मक रूप से इनकी गति बैलिस्टिक मिसाइलों से ज्यादा होती है। क्रूज मिसाइल के रूप में भारत के पास ब्रम्होस मिसाइल (Brahmos Missile) है। इसे दुनिया की सबसे तेज गति की क्रूज मिसाइल कहा जाता है।

2. बैलिस्टिक मिसाइल – Ballistic Missile

ऐसी मिसाइलें जो जमीन से ऊपर उठें और परवलयाकार पथ पर चलते हुए लक्ष्य तक जाएं। यानी कि ऐसी मिसाइलें जो परवलयाकार पथ में चलती हैं, उन्हें Ballistic Missile कहा जाता है। परवलयाकार पथ में चलने की वजह से ballistic Missiles बहुत दूरी तक जा सकतीं हैं, क्योंकि परवलयाकार पथ में गुरुत्वाकर्षण बल ज्यादा प्रभावी नहीं होता है। ये मिसाइलें ज्यादा दूरी की होती हैं।

बैलेस्टिक मिसाइल

Cruse और Ballistic Missiles के पथ को आप ऐसे समझ सकते हैं कि यदि कोई खिलाड़ी मैदान में थोड़ी सी ऊंचाई लेते हुए गेंद को मैदान के समानांतर फेंकेगा तो गेंद ज्यादा दूर तक नहीं जाएगी और कम दूरी तय करते हुए जमीन में गिर जाएगी। वहीं दूसरी तरफ यदि कोई खिलाड़ी ज्यादा ऊंचाई लेते हुए यानी कि ऊंचाई को कवर करते हुए दूर तक गेंद को फेंकने की कोशिश करेगा, तो वो ग्राउंड के बाहर तक गेंद को फेंकने में सक्षम होगा। यानी ज्यादा ऊंचाई लेते हुए गेंद को फेंकेगा, तो वो परवलयाकार पथ होगा।

Missile Man of India: भारत में Ballistic मिसाइलें बनाने के लिए मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने एक प्रोग्राम चलाया था, जिसका नाम था IGMDP – Intigrated Guided Missile Developement Programme. इसके अंतर्गत 05 प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइलें बनाने के बारे में योजना बनाई गयी और इसे संक्षिप्त नाम PATNA दिया गया।

PATNA

P – पृथ्वी

A – आकाश

T – त्रिशूल

N – नाग

A – अग्नि

इनमें से अग्नि, बैलिस्टिक मिसाइल के मामले में हमारा सबसे सक्सेसफुल मॉडल रहा। अग्नि मिसाइल के अंतर्गत हमनें कई प्रकार की अग्नि मिसाइलें बनाई। कहने का आशय ये है कि पहले अग्नि-1 बनाई, फिर उसको और अधिक बढ़िया बनाने के लिए प्रयोगों के आधार पर उसमें कुछ परिवर्तन करते हुए उसका उन्नत संस्करण (Upgraded Version) अग्नि-2 बनाया। ऐसे आगे बढ़ते हुए हम अग्नि-5 तक पहुँच गए है और अब अग्नि-6 और अग्नि-7 के बारे में सोच रहें हैं।

इनके Upgraded Version में जो सबसे प्रमुख अंतर है, वह मारक क्षमता का है। जैसे अग्नि-1 की मारक क्षमता 500 से 1000 किलोमीटर तक की है। फिर जब अग्नि-2 बनाई गयी, तो उसकी मारक क्षमता 1500 से 2000 किलोमीटर तक की गयी। इसी क्रम में जब अग्नि-5 बनी तो उसकी मारक क्षमता 4500 से 5000 किलोमीटर की हुई।

अग्नि-5 अपनी मारक क्षमता का उपयोग करते हुए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में भी मार कर सकती है। यानी कि यह एशिया से अफ्रीका और यूरोप तक मार कर सकती है या ऐसा कहे कि पूरे एशिया को कवर कर सकती है। इनकी मारक क्षमताओं की वजह से इन्हें अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल (Intercontinental Missile) कहा जाता है। तो अग्नि-5 भारत की Intercontinental Missile है।

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