क्या आप जानते हैं, नमस्ते और नमस्कार में क्या है अंतर ? जानें आसान भाषा में….

नमस्ते और नमस्कार के बीच अंतर

आज के इस लेख में हम समान प्रतीत होने वाले और दिनचर्या में प्रयोग किए जानें वाले दो शब्दों नमस्ते और नमस्कार – Namaste और Namaskar के बीच अंतर के बारे में जानेंगे।

तो आइए जानते है…..

अपनी हिंदी भाषा में कुछ शब्द समानार्थी या समरूपी लगते हैं या हमें ऐसा लगता है कि दोनों का मतलब एक ही है, लेकिन उनके अर्थ में भिन्नता होती है। ऐसे कई शब्द हैं जिनका इस्तेमाल हम अक्सर करते हैं, किन्तु गलत शब्दों का चुनाव करने के कारण वाक्य के मायने या उसका मतलब बदल जाता है या कई बार उनके मायने होते ही नहीं। तो आइए ऐसे ही शब्दों में से दो शब्द नमस्ते और नमस्कार के बीच अंतर को समझते हैं।

नमस्ते और नमस्कार

हर धर्म में अभिवादन स्वरूप किसी-न-किसी शब्द का प्रयोग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार से हिन्दू धर्म में अभिवादन स्वरूप सबसे ज्यादा नमस्ते और नमस्कार शब्द का प्रयोग किया जाता है। ये दोनों बहुत ही पुराने शब्द है, जिनका हिन्दू सभ्यता और संस्कृति में बहुतायत में प्रयोग किया जाता रहा है। ये एक बार सुर्खियों में फिर से तब आए जब कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा था।

कोरोना महामारी के चलते हाथ मिलाने की वजाय नमस्ते या नमस्कार करने या बोलने को प्रोत्साहित किया गया। जन-जन तक विभिन्न माध्यमों से ये सन्देश पहुँचाया गया कि हाथ मिलाने की वजाय नमस्ते या नमस्कार करो। तो आइए, अब इन दोनों शब्दों के बीच क्या अंतर है, उसके बारे में जान लेते हैं।

नमस्ते – Namaste

यह एक तत्सम शब्द है। सही मायने में देखा जाय तो यह एक वाक्य है। नमस्ते में दो शब्द है नमः और ते। ते का अर्थ होता है आपको और नमः मतलब नमन, तो पूरा अर्थ हुआ मैं आपको नमन करता हूँ। अभिवादन के लिए नमस्ते शब्द एक बार में एक ही व्यक्ति को बोलना चाहिए, यदि एक से ज्यादा व्यक्ति हैं तो उन्हें अलग-अलग नमस्ते बोलना चाहिए। नमस्ते एक वाक्य है इसलिए हम नमस्ते करते नहीं हैं, बोलते हैं।

उदाहरण के तौर पर ऐसे समझिए कि आपके घर में कोई मेहमान आया है, तो आप अपने घर के बच्चों से बोले की नमस्ते करो, तो यहाँ पर नमस्ते करो अशुद्ध प्रयोग है। आपको बोलना चाहिए की नमस्ते बोलो। नमस्ते दो शब्दों का एक वाक्य है इसलिए इसके भेद नहीं हैं।

नमस्कार – Namaskar

नमस्कार भी एक तत्सम शब्द है, जो दो शब्दों नमः और कार से मिलकर बना है। नमस्कार एक नमन की क्रिया है, जिसका अर्थ होता है मैं नमस्कार करता हूँ। नमस्कार एक या एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ कर सकते हैं। नमस्कार शब्द और वाक्य है, साथ ही नमन करने की क्रिया भी, इसलिए नमस्कार करते हैं, किन्तु नमस्ते कहकर हम नमस्कार कर सकते हैं।

चूँकि नमस्कार शब्द, वाक्य और क्रिया है इसलिए इसके तीन भेद भी हैं-

कायिक

इसका अर्थ होता है शरीर संबंधी। जब हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर और घुटनों पर बैठकर पैर छूते या सिर झुकाते हैं, तो यह कायिक नमस्कार है। यानी शरीर के अंगो से किया गया नमस्कार है।

वाचिक

अगर सिर्फ मुख से नमस्ते, नमस्कार कहते हैं, तो वह वाणी द्वारा किया गया नमस्कार है।

कायिक और वाचिक नमस्कार साथ में भी हो सकता है, जैसे कि हाथ जोड़कर सिर झुकाकर हम नमस्ते बोलें

मानस

जो मन ही मन कहा जाए, वो मानस नमस्कार है।

सरल शब्दों में नमस्ते और नमस्कार में अंतर

अभिवादन के रूप में नमस्ते शब्द का प्रयोग हमेशा अपने से बड़ों के लिए किया जाता है, जबकि नमस्कार शब्द का प्रयोग अपने बराबर या अपने से छोटे व्यक्ति के लिए किया जाता है।

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