भारतीय परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत | जानिए, विश्व के कितने देशों के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं?

आज के इस लेख में हम भारतीय परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत (INS Arihant) के बारे में जानेंगे कि यह दुश्मन के लिए कितनी खतरनाक है? साथ ही ये भी जानेंगे कि इसे भारतीय नौसेना में कब शामिल किया गया?

चर्चा में क्यों?

भारत बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि 5 के सबमरीन से चलने वाले वर्जन K-4 का INS अरिहंत परमाणु पनडुब्बी से परीक्षण करने वाला था और भारत के परमाणु विभाग ने जैसे ही NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया, वैसे ही चीन अपने मिसाइल या सैटेलाइट जासूसी जहाज (Missile/Satellite Tracking Ship) युआन वांग-6 को हिन्द महासागर की तरफ K-4 की जासूसी करने के लिए भेज दिया, ताकि ये पता लगाया जा सके कि K-4 की मारक क्षमता कितनी है।

रक्षा विशेषज्ञों जोकि सिविल डिफेन्स भर्ती द्वारा नियुक्त किये जाते है उनका मानना है कि K-4 इतनी शक्तिशाली मिसाइल है कि इसके लपेटे में पूरा चीन आ सकता है। इसलिए चीन इस बात से बहुत परेशान है और वह इस मिसाइल के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारियां इकट्ठा करना चाहता है।

चीन से जब इस विषय में पूछा जाता है कि आप इधर-उधर अपनी ये जासूसी जहाजें क्यों घुमाते रहते हैं, तो इस विषय में चीन का कहना होता है कि वह अपने द्वारा भेजे गए सैटेलाइट को ट्रैक करता रहता है कि सब सही तरीके से काम कर रहे हैं न। असल में चीन का उद्देश्य Satellite की आड़ में Missile को ट्रैक करना होता है।

INS Arihant – आईएनएस अरिहंत

INS अरिहंत भारत की एक सामरिक परमाणु पनडुब्बी है। परमाणु पनडुब्बी मतलब यह परमाणु ऊर्जा से चलती है जो की Department Of Atomic Energy विभाग द्वारा DAE Recruitment में चुने गए लोगो द्वारा देखी जाती है एवं इसका उपयोग Indian Navy Recruitment द्वारा चुने गए प्रसिक्षित लोगो द्वारा किया जाता है। INS अरिहंत पनडुब्बी में परमाणु भट्ठी (nuclear reactor) लगी हुई है, जिसकी मदद से ईंधन (Fuel) के लिए बिजली का उत्पादन कर लिया जाता है।

पनडुब्बियाँ पानी के अंदर चलती हैं इसलिए इन्हें दिखता कुछ नहीं है। ये आसपास किसी भी वस्तु की स्थिति का पता लगाने के लिए सोनार तकनीकी का उपयोग करती हैं। जैसा की आप सभी जानते ही होंगे कि सोनार (Sonar – Sound Navigation And Ranging) एक तकनीक है जो नौचालन, जल के अन्दर संचार करने तथा जल के अन्दर या सतह पर वस्तुओं का पता करने के लिए ध्वनि संचरण का उपयोग करती है।

चूँकि यह परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बी है, इसलिए सोनार (Sonar) तकनीकी द्वारा इसका पता नहीं लगाया जा सकता। ऐसा इसलिए, क्योंकि सोनार तकनीकी ध्वनि संचरण के माध्यम से किसी वस्तु की स्थिति का पता लगा पाती और हमारी INS अरिहंत पनडुब्बी परमाणु ऊर्जा यानी कि बिजली से चलती है, इसलिए सोनार तकनीकी द्वारा इसका पता नहीं लगाया जा सकता।

साधारण भाषा में ऐसे समझें, आप सभी ने ऑटो-रिक्शा तो जरूर देखा होगा। एक ऑटो चलता है डीजल से, जिसकी आवाज दूर से ही सुनाई देने लगती है और हम जान जाते हैं कि ऑटो आ रहा है। दूसरा, ई-रिक्शा (इलेक्ट्रानिक रिक्शा) जिसको आप सभी ने देखा होगा। ई-रिक्शा एक भी आवाज नहीं करता। आकर हमारे पीछे खड़ा हो जाए तब भी हम नहीं जान पाएंगे कि ई-रिक्शा हमारे पीछे खड़ा है। वो जो हल्की सी घुन-घुन की आवाज आती है, उसे तो सरकार ने दुर्घटना से बचने के लिए अतिरिक्त रूप से लगाने के लिए आवश्यक करके रखा है। बाकि ई-रिक्शा की अपनी कोई आवाज नहीं है।

2016 में नौसेना में शामिल हुआ INS अरिहंत (INS Arihant joined the Navy in 2016)

INS अरिहंत भारत की एक सामरिक परमाणु पनडुब्बी है, जिसे 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लांच किया था। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने INS अरिहंत को भारतीय नौसेना में शामिल किया। इसके बाद से भारत तीनों सेनाओं जल, थल और वायु में परमाणु शक्ति संपन्न हो गया। अब भारत के पास तीनों जगहों से परमाणु हथियारों को फायर करने की क्षमता है।

दुश्मनों के लिए कितना खतरनाक है INS अरिहंत? (How dangerous is INS Arihant to enemies?)

  • इस पर K-15 या बीओ-5 शार्ट रेंज मिसाइलें तैनात हैं, ये 700 किलोमीटर तक टारगेट हिट कर सकती है।
  • अरिहंत, K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों से भी लेस है, इनकी रेंज 3500 किलोमीटर तक है।
  • यह 6 हजार टन वजनी न्यूक्लिअर सबमरीन है।
  • इससे पानी के अंदर और पानी की सतह से न्यूक्लिअर मिसाइल दागी जा सकती है।
  • पानी के अंदर से किसी एयरक्राफ्ट को भी यह निशाना बना सकता है।

विश्व में कितने देशों के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं (How many countries in the world have nuclear powered submarines)

अभी तक विश्व में केवल 6 देशों के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां हैं। इन 6 देशों में अमेरिका, रूस, चीन, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और भारत शामिल हैं। इनमें से सबसे ज्यादा परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां अमेरिका के पास हैं। भारत के पास अभी INS अरिहंत के रूप में केवल एक परमाणु पनडुब्बी है। हालांकि, भारत 2 अन्य परमाणु पनडुब्बियों का परीक्षण कर रहा है।

पनडुब्बियां डीजल, इलेक्ट्रिक या परमाणु-संचालित हो सकती हैं, ये सभी परमाणु हथियार ले जा सकती हैं। परमाणु पनडुब्बी का रक्षा के क्षेत्र में इतना ज्यादा महत्व है कि ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम से परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के पक्ष में फ्रांस से डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के लिए एक बहु-अरब डॉलर के ऑर्डर को रद्द कर दिया।

चीन का मुकाबला करने के लिए एक नए सुरक्षा समझौते (AUKUS) के तहत, अमेरिका और ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया को सातवां परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी देश बनाने में सक्षम बनाएंगे।

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