जानिए आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN के बारे में, आसान भाषा में

आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN

आज के इस लेख में आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN (Section 45ZN of RBI Act) के बारे में जानेंगे कि यह धारा क्या कहती है? साथ ही आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN से संबंधित अन्य जानकारियों के बारे में भी जानेंगे।

तो आइए जानते हैं……

चर्चा में क्यों?

आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN चर्चा में इसलिए है, क्योंकि इसी धारा की वजह से हाल ही में RBI को अपनी एक विशेष बैठक बुलानी पड़ी। चर्चा में इसलिए भी है, क्योंकि 6 साल में पहली बार RBI को बुलानी पड़ी है ये विशेष बैठक।

आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN (Section 45ZN of RBI Act)

आम धारणा है कि RBI का काम केवल नोट छापना व बैंको पर नियंत्रण स्थापित करना होता है, लेकिन जानकारी के लिये बता दूँ कि देश में महंगाई को निर्धारित मापदंड में नियंत्रित करके रखना RBI के महत्वपूर्ण कामों में से एक हैं और जब RBI लगातार 3 क्वार्टर्स यानी कि 9 महीने तक सरकार द्वारा निर्धारित महंगाई दर में देश की महंगाई को नियंत्रित नहीं रख पाती तब RBI पर आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN लागू हो जाती है।

आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN के तहत RBI को अपनी एक विशेष बैठक बुलानी पड़ती है। इस बैठक में मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य शामिल होते हैं। आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN कहती है कि जब आप लगातार 9 महीने तक महंगाई नियंत्रित करने में विफल रहें हैं, तो आप अन्य बैठकों के अलावा एक विशेष बैठक बुलाए और इस बात की समीक्षा करें कि आखिर हम महंगाई को निर्धारित मापदंड में नियंत्रित क्यों नहीं कर पा रहें हैं।

साथ ही इस बात पर विचार करें कि हमारी किस नीति या गलती की वजह से ऐसा हो रहा है और भविष्य में महंगाई को किस प्रकार से नियंत्रित किया जा सकता है। आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN के तहत मीटिंग में विचार, विमर्श और समीक्षा के बाद तैयार की गई रिपोर्ट RBI, सरकार को सौंपी जाती है।

अन्य प्रावधान, विनियम 7 क्या है (what is the other provision, Regulation 7)?

आरबीआई, एमपीसी (MPC – Monetary Policy Committee) और मौद्रिक नीति प्रक्रिया विनियम, 2016 का विनियमन 7 बताता है कि सामान्य नीति के हिस्से के रूप में एक अलग बैठक निर्धारित करने की आवश्यकता है, जो कि सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा और मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल होगी। हालांकि, एमपीसी मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।

इसमें इस बात का उल्लेख किया गया है कि विशेष बैठक में विचार, विमर्श के बाद जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी वो RBI लिखेगी। हालांकि, एमपीसी के साथ विचार विमर्श किया जाएगा, इसीलिए आरबीआई, एमपीसी की अतिरिक्त बैठक बुलाती है।

क्यों बुलाई जाती है RBI की विशेष बैठक (Why is a special meeting of RBI called)?

महंगाई पर नियंत्रण करने की असल जिम्मेदारी RBI की होती हैं। जब RBI महंगाई दर को सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य के तहत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को लगातार 9 महीने या 3 क्वार्टर्स तक लागू नहीं कर पाती या ऐसा कहे कि महंगाई दर को निर्धारित सीमा में लाने में नाकामयाब रहती है, तब RBI Recruitment द्वारा चयनित लोगो की एक विशेष बैठक बुलाती है।

लगातार 3 क्वार्टर तक यानी कि 9 महीने तक महंगाई सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड से ऊपर रहने की स्थिति में RBI को अपनी एक विशेष बैठक बुलानी पड़ती है। मौद्रिक नीति समिति (MPC -Monetary Policy Committee) ने यह निर्धारित कर रखा है कि भारत में महंगाई 4 +/- 2 होनी चाहिए। अर्थात 2 से लेकर 6 के बीच होनी चाहिए।

लेकिन, जब इस प्रकार की स्थिति निर्मित हो जाए कि लगातार 3 क्वार्टर तक यानी कि 9 महीने तक महंगाई, सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड से ऊपर ही चल रही हो, तब आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN कहता है कि आप एक विशेष बैठक बुलाइए और विश्लेषण करिए कि क्यों लगातार हम निर्धारित लक्ष्य को नहीं लागू कर पा रहे है, कहां कमिया रह गयी और आगे निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए क्या नीतियां अपनानी चाहिए और फिर इसकी रिपोर्ट सरकार को दीजिए।

मौद्रिक नीति समिति (MPC- Monetary Policy Committee)

मौद्रिक नीति समिति का गठन वर्ष 2016 में किया गया था। इस समिति का मुख्य कार्य है देश में महंगाई को नियंत्रित करना और मौद्रिक नीति से संबंधित आवश्यक नीतियां बनाना और उन पर समय-समय विचार, विमर्श करना। वर्तमान में, एमपीसी की बैठक एक वित्तीय वर्ष में छह बार होती है, जो कि प्रत्येक दो महीने में एक बार होती है। संपूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए एमपीसी के बैठकों के कार्यक्रम की घोषणा पूर्व में ही कर दी जाती है।

जैसे वित्तीय वर्ष की शुरुआत अप्रैल में होती है, तो पहली बैठक अप्रैल में, फिर उसके दो महीने बाद दूसरी बैठक जून में, इसी क्रम में तीसरी बैठक अगस्त में, चौथी बैठक अक्टूबर में, पांचवी बैठक दिसंबर में और छठवीं बैठक फरवरी में। यही क्रम क्रमशः चलता रहता है।

लेकिन अगर RBI, सरकार द्वारा निर्धारित महंगाई दर को लगातार 3 क्वार्टर्स या 9 महीने तक नियंत्रित नहीं कर पाती, तो इन 6 बैठकों के अलावा RBI को अपनी एक विशेष बैठक बुलानी पड़ती है। इस विशेष बैठक में RBI के गवर्नर सहित कुल 6 सदस्य होते हैं या फिर ऐसा कहे कि मौद्रिक नीति समिति में गवर्नर सहित कुल सदस्य होते हैं। इन 6 सदस्यों में 3 सरकार के सदस्य होते हैं और 3 RBI के। RBI का गवर्नर इस समिति का अध्यक्ष होता है।

ये सब पढ़ने के बाद आप लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर महंगाई बढ़ानी ही क्यों हैं? तो महंगाई इसलिए बढ़ानी हैं कि हमारे पास संसाधन सीमित हैं। हम महंगाई बढ़ा नहीं रहे, हमारी जनसँख्या बढ़ रही है और जब जनसँख्या बढ़ेगी तो मांग भी बढ़ेगी, तो इस स्थिति में स्वाभाविक है कि अगर महंगाई नहीं बढ़ाई गयी तो मांग और आपूर्ति (Demand and Supply) में गड़बड़ हो जाएगी। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि हमारी GDP में भी महंगाई का बहुत बड़ा योगदान होता है।

इसके अलावा दूसरा सवाल, क्या महंगाई का यही नियम दूसरे देशों या विश्वभर में चलता है? तो आपको बता दे कि जो विकसित देश हैं वहां विकासशील देशों की तुलना में महंगाई कम अनुपात में बढ़ती है, क्योंकि वहां पर जनसँख्या नियंत्रण है। मतलब इतनी तेजी से जनसँख्या नहीं बढ़ रही होती है जितना की हम विकासशील देशों की बढ़ रही होती है।

और नियम भी यही कहता है कि जब जनसँख्या नियंत्रित रहेगी, तो मांग भी नियंत्रित ही होगी। यानी कि मांग और आपूर्ति (Demand and Supply) में संतुलन बना रहेगा। विकसित और विकासशील देश का उदाहरण लें तो विकसित देश ब्रिटेन में महंगाई का जो विस्तार (Range) है वह 2% का है, वहीँ विकासशील देश भारत में महंगाई का विस्तार (Range) 4 +/- 2 है, यानी कि 2% से लेकर 6% तक।

उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN (Section 45ZN of RBI Act) के बारे में जरूर समझ में आया होगा।

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