Seaweed In Hindi: आज के इस लेख में समुद्री शैवाल (Seaweed) के बारे में जानेंगे कि ये क्या होता है, इसके क्या लाभ हैं, साथ ही इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार किस प्रकार से कार्य कर रही है? | Seaweed In Hindi, Seaweed Meaning In Hindi.
तो आइए जानते हैं……
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मन्नार की खाड़ी में समुद्री राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण करने वाले 21 निर्जन द्वीपों में से एक कुरुसादाई (तमिलनाडु) के पास मृत प्रवाल भित्तियाँ देखी गई हैं। इस क्षति का प्राथमिक कारण समुद्री शैवाल की एक प्रजाति कप्पाफाइकस अल्वारेजी को माना जा रहा है, जिसे व्यावसायिक रूप से पिछले दो दशक पहले पेश किया गया था।
समुद्री शैवाल क्या हैं (What Is Seaweed) – Seaweed In Hindi – Seaweed Meaning In Hindi
ये शैवाल जड़, तना और पत्तियों रहित बिना फूल वाले होते हैं, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। समुद्री शैवाल पानी के नीचे जंगलों का निर्माण करते हैं, जिन्हें केल्प फॉरेस्ट (Kelp Forest) कहा जाता है। ये जंगल मछली, घोंघे आदि के लिए नर्सरी का कार्य करते हैं। सीवीड की अनेक प्रजातियां हैं, जैसे- ग्रेसिलेरिया एडुलिस, ग्रेसिलेरिया क्रैसा, ग्रेसिलेरिया वेरूकोसा, सरगस्सुम एसपीपी और टर्बिनारिया एसपीपी आदि (ये लाल, हरे, भूरे या काले कोई से भी रंग में साथ ही छोटे से लेकर बड़े साइज के होते है)।
समुद्री शैवाल के लाभ – Benefits of Seaweed
पोषण के लिए: समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और फाइबर का स्रोत होते हैं तथा कई समुद्री शैवाल स्वादिष्ट भी होते हैं। इस वजह से इनका उपयोग खाने के लिए भी किया जाता है। सर्वप्रथम इसका खाने में प्रयोग जापान के लोगों ने किया था।
औषधीय उद्देश्य के लिए: कई समुद्री शैवाल में एंटी इन्फ्लेमेटरी (सूजन रोधी) और एंटीमाइक्रोबियल्स (रोगाणु रोधी) एजेंट विद्वान होते हैं, उनके ज्ञात औषधीय प्रभाव हजारों वर्षों से विरासत में प्राप्त हुए हैं। कुछ सीवीड में कैंसर से लड़ने वाले शक्तिशाली एजेंट भी पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह अंततः लोगों में घातक ट्यूमर और ल्यूकेमिया के उपचार में प्रभावी साबित होंगे।
आर्थिक विकास के लिए: समुद्री शैवाल आर्थिक विकास में भी सहायक होते हैं। विनिर्माण (Manufacturing) में उनके कई उपयोगों में टूथपेस्ट और फलों की जेली जैसे वाणिज्यिक सामानों में प्रभावी बाध्यकारी एजेंट (पायसीकारक) और कार्बनिक सौंदर्य प्रसाधन तथा त्वचा देखभाल उत्पादों में लोकप्रिय सॉफ़्नर (इमोलियेंट्स) के रूप में उपयोग किया जाता है।
जैव संकेतक: जब कृषि, जलीय कृषि (Aquaculture), उद्योगों और घरों से निकलने वाला कचरा समुद्र में प्रवेश करता है, तो यह समुद्र के जल में उपस्थित पोषक तत्वों में असंतुलन पैदा कर देता है, यानी कि पोषक तत्वों में बढ़ोतरी हो जाती है। इन बढे हुए पोषक तत्वों को समुद्री शैवाल अवशोषित करके बड़ी तेजी से वृद्धि करते हैं, जिसे एल्गी ब्लूम (शैवाल प्रस्फुटन) कहा जाता है। इस प्रकार से सीवीड बढे हुए पोषक तत्व को अवशोषित करके समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाते हैं।
आयरन के अवशोषक: समुद्री शैवाल प्रकाश संश्लेषण के लिए लौह खनिज पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं। समुद्र में आयरन की मात्रा जब बहुत तेजी से बढ़ जाती है, तो सीवीड इसका अवशोषण करके समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान से बचा लेते हैं। समुद्री शैवालों द्वारा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में पाए जाने वाले अधिकांश भारी धातुओं को अवशोषित कर लिया जाता है।
उर्वरक क्षमता बढ़ाने में सहायक: समुद्री शैवाल का उपयोग जैविक उर्वरक के रूप में भी किया जाता है। कई अध्ययनों से यह पता चलता है कि सीवीड के उपयोग से आलू, टमाटर, मिर्च, स्ट्रोबेरी और मक्का में पैदावार में बढ़ोत्तरी होती है। इसके अलावा फूल वाले पौधों में प्रति पौधा ज्यादा फूल आते हैं। पौधों की रोगों और कीट आदि से लड़ने की क्षमता में भी सुधार देखा गया है। यानी कि सीवीड का उपयोग जैविक उर्वरक एवं कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है।
समुद्री शैवाल कप्पाफाइकस अल्वारेजी का प्रभाव
- कप्पाफाइकस अल्वारेजी समुद्री शैवाल की प्रजातियां तमिलनाडु में मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान के 21 द्वीपों में से 6 द्वीपों में विस्तारित हैं और इसने कुरुसादाई के पास पाई जाने वाली प्रवाल भित्तियों को काफी क्षति पहुंचाई है।
- इसने हवाई में नारियल द्वीप, वेनेजुएला में क्यूबागुआ द्वीप, तंजानिया में जांजीबार और पनामा तथा कोस्टा रिका में अलमीरांटे एवं क्रिस्टोबल को भी काफी नुकसान पहुंचाया है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने कप्पाफाइकस अल्वारेजी को विश्व की 100 सबसे आक्रामक प्रजातियों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है।
समुद्री शैवाल पार्क की योजना क्यों बनाई जा रही है?
मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए देश में पहली बार तमिलनाडु में सीवीड पार्क स्थापित किया जाएगा। राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान और कंपनियां कप्पाफाइकस अल्वारेजी की खेती में वृद्धि करने के पक्ष में हैं, ताकि आजीविका और लाभ में सुधार किया जा सके और कप्पा-कैरेजेनन कि भारत में आयात को कम किया जा सके, जो शैवाल से निकाला गया एक पॉलीसेकेराइड है, जिसका उपयोग उद्योग, मसूड़ों, आइसक्रीम, टूथपेस्ट, जेली, दवाएं और पेट में स्मूथनिंग एजेंट के रूप में किया जाता है।
भारत में समुद्री शैवाल का उत्पादन – Seaweed Production in India
- भारत ने वर्ष 2021 में लगभग 34,000 टन सीवीड की खेती की और केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक सीवीड का उत्पादन बढ़ाकर 11.85 मिलियन टन करने हेतु 600 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
- वर्तमान में तमिलनाडु के रामनाथपुरम के 18 गांवों में लगभग 750 किसान समुद्री शैवाल मुख्य रूप से कप्पाफाइकस अल्वारेजी की खेती में लगे हुए हैं। साथ ही तमिलनाडु के प्रस्तावित समुद्री शैवाल पार्क में भी इसकी खेती किए जाने की संभावना है।
- राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान और कई कंपनियां कप्पाफाइकस की खेती में वृद्धि हेतु कार्यरत हैं, ताकि लाभ एवं आजीविका में सुधार हो सके। इसके अलावा भारत में कप्पा-कैरेजेनन के आयात को कम किया जा सके।
निष्कर्ष
प्रवाल समुद्री जीवो के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं तथा तूफानों से सुरक्षा करते हैं। इसके अलावा मत्स्य पालन और पर्यटन के माध्यम से आजीविका प्रदान करते हैं। इसलिए मन्नार की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए कप्पाफाइकस अल्वारेजी समुद्री शैवाल के प्रसार को रोकना आवश्यक है।
FAQ:
प्रश्न 1. भारत में कुल कितने समुद्री राष्ट्रीय उद्यान हैं?
उत्तर: 4 (मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, इंदिरा गांधी, रानी झांसी)
प्रश्न 2. मन्नार की खाड़ी में कुल कितने द्वीप हैं?
उत्तर: 21
प्रश्न 3. मन्नार की खाड़ी में स्थित कुल द्वीपों में से कितने द्वीपों पर सीवीड (Seaweed) ने कब्जा कर लिया है?
उत्तर: 6
प्रश्न 4. समुद्री शैवाल के तीन प्रमुख उत्पादक देश कौन से हैं?
उत्तर: चीन, फ्रांस और ब्रिटेन
सीवीड के बारे में दी गई ये जानकारी आप सभी को कैसी लगी? कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
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