टैम्पोन टैक्स (Tampon Tax) क्या है? | मासिक गरीबी (Period Poverty)

टैम्पोन टैक्स (Tampon Tax) | मासिक गरीबी (Period Poverty)

आज के इस लेख में हम टैम्पोन टैक्स (Tampon Tax) के बारे में जानेंगे कि टैम्पोन टैक्स क्या होता है और महिलाओं के जीवन में इसका क्या महत्व है? साथ ही मासिक गरीबी (Period Poverty) के बारे में भी जानेंगे।

तो आइए जानते हैं……

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विश्व भर की करोड़ों लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म चक्र (Menstrual Cycles) से गुजरना पड़ता है। इस दौरान ये सभी लड़कियां और महिलाएं खुद को बेहतर और सुरक्षित रखने के लिए सैनिटरी पैड या टैम्पोन का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अधिकतर लड़कियां और महिलाएं इन प्रोडक्ट्स के महंगे होने या जागरूकता में कमी होने की वजह से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक (World Bank) ने टैम्पोन टैक्स पर एक रिसर्च किया, जिसमें पाया गया कि दुनिया भर में 50 करोड़ महिलाएं या लड़कियां अभी भी पीरियड से संबंधित सामान को नहीं खरीद पाती हैं, जिसकी सबसे प्रमुख वजह महंगाई या जागरूकता में कमी को बताया गया है।

टैम्पोन टैक्स (Tampon Tax) क्या है?

टैम्पोन टैक्स (Tampon Tax) या पीरियड टैक्स, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं या लड़कियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सैनिटरी पैड या उससे संबंधित प्रोडक्ट्स पर लगाया जाने वाला वैट (VAT) या जीएसटी (GST) है। टैम्पोन से आशय रूई (कपास) या रूई जैसी किसी अन्य सोख्ता सामग्री से बनी से वस्तु से है। चूँकि सैनिटरी पैड बनाने में रुई का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इस पर लगाए जाने वाले टैक्स को टैम्पोन टैक्स कहा जाता है।

विडंबना तो ये है कि दुनियाभर के कई देशों में जहां सैनिटरी पैड और उससे संबंधित वस्तुओं पर टैम्पोन टैक्स लगाया जाता है, वहीं सौंदर्य प्रसाधन, टॉयलेट पेपर, कंडोम और ओवर-द-काउंटर दवाओं सहिंत कई आइटम टैक्स मुक्त है या फिर बहुत कम टैक्स लगाया जाता है।

टैम्पोन टैक्स की वजह से महिलाओं को होने वाली परेशानियां

सैनिटरी पैड या महिलाओं द्वारा मासिक धर्म के दौरान उपयोग में ली जाने वाली किसी वस्तु में टैम्पोन टैक्स लगाने या उसमें इजाफा करने की वजह से सैनिटरी पैड या संबंधित अन्य वस्तुओं की कीमतों में और इजाफा हो जाता है, जिस वजह से गरीब या पिछड़े वर्ग कि महिलाओं या लड़कियों के लिए यह पहुंच से बाहर हो जाता है। जैसा की हम सभी जानते है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को बहुत सारी मुश्किलों को सामना करना पड़ता है, जैसे- असहनीय दर्द, तेज बुखार, शरीर में ढीलापन, कमजोरी…… आदि।

इस प्रकार की स्थिति में कम से कम इतना तो जरूर होना चाहिए कि वो सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कर अपने नित्य कार्यों को सुचारु रूप से कर सके। जैसे किसी लड़की को मासिक धर्म के दौरान स्कूल या कॉलेज जाना है, तो वह बिना सैनिटरी पैड के कैसे जा सकती है। जो अमीर परिवार से हैं, वो तो आसानी से सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कर अपने नित्य कार्यों को आसानी से कर सकती है।

लेकिन जो लड़कियां या महिलाएँ गरीब या पिछड़े वर्ग से हैं, वो टैम्पोन टैक्स की वजह से बढ़ी हुई कीमतों की वजह से अपने नित्य कार्यों को करने, यहां तक की शिक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं और अधिकारों से भी वंचित रह जाती है।

मासिक गरीबी (Period Poverty)

सैनिटरी पैड ब्रांड अपने प्रोडक्ट को लगभग 200 से 300 रुपये में बेचते हैं। यानी एक महिला को सुरक्षित मासिक धर्म से गुजरने और खुद के हाइजीन का ख्याल रखने के लिए हर महीने 500 रुपये की जरूरत होती है। भारत जैसे देश में एक सामान्य घर और निचले स्तर में जीवन यापन करने वाले घरानों की लड़कियों और महिलाओं के लिए हर महीने सैनिटरी पैड और उससे संबंधित वस्तुओं में ₹500 खर्च करना बहुत कठिन काम है।

सामान्य परिस्थितियों या टैम्पोन टैक्स या टैम्पोन टैक्स रेट बढ़ने से जब महिलाएं अपने सुरक्षित मासिक धर्म के लिए सैनिटरी पैड या उससे संबंधित अन्य वस्तुएं, जैसे- पैंटी लाइनर्स, मासिक धर्म कप…..आदि खरीदने में असमर्थ होती हैं, तो इसे मासिक गरीबी (Period Poverty) कहां जाता है। यह अक्सर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है।

पीरियड पावर्टी को टैम्पोन टैक्स के साथ-साथ मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता की कमी, शौचालय का नहीं होना, हाथ धोने की सुविधा ना होना और अपशिष्ट प्रबंधन की कमी के साथ भी जोड़ा जाता है। पीरियड पावर्टी जैसी चिंता से निपटने के लिए विश्व स्तर पर टैम्पोन टैक्स खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं।

भारत में क्या है हाल?

भारत में इस पर पहले से ही टैक्स लगता आ रहा था, लेकिन जब भारत में GST लागू किया गया, तो इसे लक्जरी आइटम मानते हुए 12% के GST स्लैब में डाल दिया गया। सरकार के इस फैसले का बहुत विरोध हुआ। सरकार के इस फैसले को वापस लेने के लिए अदालतों में कई याचिकाएं पेश की गई।

अंततः भारत के अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल द्वारा घोषणा की गई की निश्चित रूप से सभी माताओं और बहनों को यह सुनकर बहुत खुशी होगी कि सैनिटरी पैड अब कर से 100% मुक्त है।

टैम्पोन टैक्स से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां

  • 2004 में सैनिटरी पैड और टैम्पोन पर वैट खत्म करने वाला दुनिया का पहला देश केन्या था।
  • केन्या के बाद कम से कम 17 देशों ने इसी तरह के कदम उठाए हैं।
  • टैम्पोन टैक्स को खत्म करने के लिए कानून पारित करने वाले नवीनतम देशों में ब्रिटेन, मेक्सिको और नामीबिया हैं।
  • 2022 में स्कॉटलैंड टैम्पोन और सैनिटरी पैड को टैक्स मुफ्त करने के साथ-साथ सामुदायिक केंद्रों, युवा क्लबों और फार्मेसियों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने वाला पहला देश बना।
  • महिला अधिकारों के कुछ पैरोकारों का मानना है कि सभी को मुफ्त पैड का वितरण पीरियड प्रबंधन उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका हो सकता है।

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