अन्योन्यता या परस्परता, जिसे अंग्रेजी में रेसिप्रोसिटी (Reciprocity) कहते हैं, को समझिए आसान भाषा में…..

अन्योन्यता या परस्परता | रेसिप्रोसिटी (Reciprocity)

आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हम अन्योन्यता या परस्परता या रेसिप्रोसिटी (Reciprocity) के बारे में जानेंगे। बता दे कि परस्परता एक बहुत ही महत्वपूर्ण शब्दावली है।

तो आइये जानते है…… 

अन्योन्यता/परस्परता या रेसिप्रोसिटी (Reciprocity) – Social Psychology।

अन्योन्यता को प्रतिफल चुकाना कहा जाता है। रेसिप्रोसिटी यानी अन्योन्यता या परस्परता का नियम। यह अन्योन्यता के राजनयिक सिद्धांत पर आधारित नियम है। इसका अर्थ है “वैसा करना जैसा आपके साथ किया गया है” यह सामाजिक मनोविज्ञान से लेकर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तक में जरुरी धारणा है। परस्परता वह विचार है जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को समान प्रतिक्रिया देता है।

अंग्रेजी में एक कहावत आपने जरूर सुनी होगी। यह बहुत ही लोकप्रिय कहावत है- ‘Tit for Tat’। इसका मतलब होता है ‘जैसे को तैसा’। इसको अपने शब्दों में समझाए तो ऐसा बोलेंगे कि जैसा आप मेरे साथ करेंगे वैसा ही हम भी आपके साथ करेंगे। इसी वजह से अन्योन्यता को प्रतिफल चुकाना कहा जाता है।

अन्योन्यता/परस्परता या रेसिप्रोसिटी/Reciprocity

रेसिप्रोसिटी को उदाहरण के माध्यम से समझते है। 

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धो में रेसिप्रोसिटी/ परस्परता को हाल में भारतीय नागरिको के लिए यूके में बनाए गए क्वारेंटाइन नियमो से समझा जा सकता है। यह तब शुरू हुआ जब ब्रिटेन ने भारत से आने वाले यात्रियों को 10 दिन का क्वारेंटाइन अनिवार्य कर दिया। नियम उन पर भी लागू था जिन्हे वैक्सीन के दोनों डोज लग गए थे।

भारत में कोविशील्ड लगवाने वालो को यूके बिना वैक्सीन का मान रहा था। मतलब दोनों डोज लगवाने वाले भारतीयों को यूके में क्वारेंटाइन किया जा रहा था, जबकि इसी तरह टीका लगवाने वाले अन्य देशो से आ रहे यात्रियों पर यह प्रतिबन्ध नहीं था।

भारत सरकार के निवेदन पर भी यूके सरकार ने क्वारेंटाइन नियमो में छूट नहीं दी। यह अतार्किक था कि जो वैक्सीन यूके खुद के नागरिको को लगा रहा था, वही वैक्सीन लगवाने वाले भारतीय नागरिको पर वह रोक लगा रहा था। फिर उसने भारतीय वैक्सीन सर्टिफिकेट पर सवाल उठाए।

हालांकि, भारतीय सर्टिफिकेट यूके और अमेरिका के सर्टिफिकेट से बेहतर था। जैसे अमेरिका में अब भी हाथ से लिखे हुए वैक्सीन कार्ड मिल रहे है। यूके में सर्टिफिकेट पाने में पांच दिन तक लगते है, जबकि भारत में तुरंत डाउनलोड हो जाता है।

निवेदन के बाद भी जब ब्रिटेन नहीं माना तो भारत भी अन्योन्यता के नियम पर उतारू हो गया। फिर क्या भारत ने भी यहाँ आने वाले ब्रिटिश नागरिको पर यात्रा प्रतिबन्ध लागू कर दिए। भारत आने वाले यूके के नागरिको के लिए निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट और 10 दिन का क्वारेंटाइन अनिवार्य कर दिया।

इन समान प्रतिबंधों के लागू होने के 10 दिन के अंदर ही ब्रिटेन ने कोविशील्ड के दोनों डोज लगवा चुके भारतीयों के लिए अनिवार्य क्वारेंटाइन अवधि खत्म कर दी। सोचिए अगर भारत अन्योन्यता के नियम पर उतारू नहीं हुआ तो ब्रिटेन ऐसे ही हम पर हावी बना रहता। तो इस प्रकार से भारत ने ‘Tit for Tat’ वाला फंडा अपनाकर ब्रिटेन को करारा जवाब दिया।   

तो इस प्रकार से अन्योन्यता/परस्परता समझ में आ गयी होगी। अब इसे एक दूसरे उदाहरण से भी समझते है। ऐसे उदाहरण भी है जहां एक देश दूसरे से उसे बाजार उपलब्ध कराने की उम्मीद करता है, जबकि खुद ऐसा नहीं करना चाहता।

भारत के कृषि निर्यात का उदाहरण देखे।

अमेरिकी और अन्य विकसित देशो ने भारत के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP -Minimum Support Price) के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन (WTO – World Trade Organization) में कई शिकायते की है। हालांकि, अमेरिका और ईयू खुद किसानों को सब्सिडी देते है और दोनों खाद्य गुणवत्ता सुरक्षा व् स्वास्थ्य सम्बन्धी कई मानक भी लागू करते है। ताकि, भारतीय कृषि निर्यातक उनकी बाजार में न आए।

इस प्रकार भारत आज जो पारस्परिक बाधाए लगाएगा, वे भविष्य में उदारीकृत बाजार मे पहुँच का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।  

यह भी पढ़े: भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का उद्विकास

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