आज के इस लेख में गोल्डन बिलियन थ्योरी के बारे में जानेंगे कि गोल्डन बिलियन थ्योरी क्या है? किस देश से है इसका संबंध और ये अभी हाल ही में चर्चा में क्यों आई।
तो आइये जानते है…..
गोल्डन बिलियन थ्योरी (Golden )
गोल्डन बिलियन शब्द का प्रयोग विकसित देशों की आबादी के लिए रूस द्वारा किया जाता है या फिर ऐसा कहे की दुनिया के अमीरों के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक़ ऐसा कहा जाता है कि पूरे विश्व में लगभग 100 करोड़ अमीर लोग है। ये अमीर लोग खासतौर से G-7 देश से आते है। G-7 मतलब Group Of Seven, जिसमें कनाड़ा, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूनाइटेड किंगडम और जापान शामिल है।
पहले यह G-8 हुआ करता था, क्योंकि रूस भी इसमें जुड़ा हुआ था लेकिन 2014 में क्रीमिया पर कब्ज़ा करने की वजह से इसे G-8 से निकाल दिया गया और बन गया G-7
गोल्डन बिलियन थ्योरी यह बताने का प्रयास करती है कि दुनिया में जो अमीर लोगों का देश है वह अमीर ही रहना चाहता है और बाकी के अन्य देशों को यह पहले या दूसरे दर्जे के देशों में विभाजित करना चाहता है।
इसको ऐसे समझे की हमारी पृथ्वी में प्राकृतिक संसाधन सीमित मात्रा में है, अभी तक ये अमीर लोग ही इन संसाधनों का उपभोग करते आए है, यदि वैश्विक आबादी का कम से कम आधा हिस्सा भी उसी हद तक संसाधनों का उपभोग करना शुरू कर दे, तो ये संसाधन पर्याप्त नहीं होंगे। मतलब संसाधनों की कमी हो जायेगी।
G-7 देशों की कुल जनसंख्या लगभग 80 करोड़ है और ये जनसंख्या पर नियंत्रण भी बनाए हुए है। इनकी जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 10 प्रतिशत ही है, लेकिन इसकी तुलना में जी-7 की जीडीपी पूरी दुनिया का 40 प्रतिशत है। गोल्डन बिलियन थ्योरी में दावा किया गया है कि, यही असमानता आगे चलकर इतनी बढ़ जाएगी कि सिर्फ अमीर और चालाक देश ही अपने नागरिकों को बचा पाएंगे।
गोल्डन बिलियन थ्योरी को उदाहरण के माध्यम से समझे
जैसा की आप सभी जानते है कि 24 फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है, ऐसी स्थिति में यूरोपियन देश, अमेरिका और अमेरिका समर्थित कई देशों ने रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगाए है, खासतौर से व्यापार को लेकर। इससे हुआ क्या की यूरोपियन देश, अमेरिका और अमेरिका समर्थित कई देश तो पूरे विश्व में व्यापार कर रहे है लेकिन रूस नहीं कर पा रहा, जबकि रूस के पास प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है।
इस प्रकार से प्राकृतिक संसाधनों की पर्याप्ता होने के बावजूद भी रूस उनका उपयोग नहीं कर पा रहा है। इससे हो क्या रहा है कि रूस धन संग्रहण के मामले में विकसित देशों से पीछे हो रहा है। उम्मीद करता हूँ आपको ये बात ठीक से समझ में आई होगी।
चर्चा में क्यों आया ?
गोल्डन बिलियन थ्योरी चर्चा में तो रूस यूक्रेन विवाद से ही है, लेकिन इसकी चर्चा और भी ज्यादा सुर्खियों में तब आ गयी जब रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी भरी सभा में इस शब्द का प्रयोग कर दिया। पुतिन ने कहा कि गोल्डन बिलियन बिना शक के किसी मकसद से गोल्डन है। इसने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन इन्होने जो हासिल किया है वह किसी अवधारणा की वजह से हासिल नहीं किया, बल्कि एशिया और अफ्रीका को लूटकर किया है।
आगे पुतिन ने कहा कि अगर भरोसा न हो तो भारत का उदाहरण का देख सकते है कि उन्होंने भारत को किस प्रकार से लूटा। पुतिन का ये भी कहना था कि ये थ्योरी लोगों को अलग-अलग दर्जे में बांटती है इसलिए ये उप-निवेशवादी और नस्लभेदी है। पुतिन ने खुलेतौर पर ये सवाल भी किया कि अमीर देशों (पश्चिमी देशों) को दुनिया पर अपनी मर्जी स्थापित करने की इजाज़त क्यों दी जानी चाहिए?
गोल्डन बिलियन देशों की रणनीति
ये गोल्डन बिलियन देश इस रणनीति पर काम करते है कि गरीब देश गरीब ही रह जाए। ये समस्त प्राकृतिक संसाधनों पर अपना हक़ समझते है और ऐसा सोचते है कि उसका उपभोग केवल वही करे। ये इस प्रकार की रणनीति और जाल फैलाते है कि केवल वह ही अव्वल रहे और दुनिया में उनका ही बोलवाला हो। ये दुनिया को सेकंड या थर्ड क्लास बनाकर छोड़ देना चाहते है।
गोल्डन बिलियन थ्योरी की पृष्ठभूमि
जब USSR का विघटन होने वाला था उससे थोड़ा सा पहले रूस में एक किताब पब्लिश हुई जिसका नाम था, ‘द प्लॉट ऑफ़ वर्ल्ड गवर्नमेंट: रशिया एंड द गोल्डेन बिलियन।’ इसको अनातोली त्सिकुनोव ने अपना नाम छुपाकर फर्जी नाम ए कुज्मिच नाम से लिखा था। यहीं से गोल्डन बिलियन थ्योरी पहली बार चर्चा में आई।
त्सिकुनोव ने लिखा कि पश्चिमी दुनिया के प्रभावशाली लोग एक प्लान पर काम कर रहे हैं, उन्हें पता है कि पर्यावरण में बदलाव और प्राकृतिक आपदा से दुनिया में मौजूद संसाधन घट जाएंगे। ये संसाधन इतने कम हो जाएंगे कि धरती पर बस एक अरब लोग ही ज़िंदा रह पाएंगे बाकी लोगों का अस्तित्व खतरे में रहेगा।
इस समय दुनिया की आबादी लगभग आठ अरब है, अगर इस थ्योरी में दम हुआ तो समझ लीजिए कि सात अरब लोगों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा या खतरे में रहेगा। पश्चिमी देश भविष्य की चिंताओं से भली-भांति वाकिफ हैं। चूंकि रूस के पास पर्याप्त ज़मीन है, पर्याप्त संसाधन हैं, इसलिए पश्चिमी देश रूस पर नियंत्रण करने की फ़िराक़ में हैं, ताकि उनके लोगों के पास संसाधन की कमी ना रहे।
किताब पब्लिश होने के एक वर्ष बाद ही अनातोली त्सिकुनोव की मौत हो गई। उसकी मौत की असली वजह कभी पता नहीं चल सकी। उसकी मौत और गोल्डन बिलियन थ्योरी का रहस्य समय के साथ और गहराता गया। बाकी दुनिया ने तो इस थ्योरी को उतनी गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन रूस में इसका जमकर प्रचार-प्रसार किया गया। 1990 के दशक में सर्गेई कारा-मुर्ज नाम के एक रूसी बुद्धिजीवी ने गोल्डन बिलियन की परिभाषा तय की और तब से यह बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो गयी।
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