आज के इस लेख में हम जानेंगे कि एक सर्जन डॉक्टर से अल-जवाहिरी (Al-jawahiri) कैसे और क्यों बना आतंकी संगठन अल कायदा (Al Qaeda) का मुख्य लीडर। इसके अलावा उससे संबंधित अन्य तथ्यों के बारे में भी जानेंगे।
तो आइए जानते हैं…..
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में अमेरिका ने अल कायदा प्रमुख अल-जवाहिरी को ड्रोन हमले से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मार गिराया। यह ऐसा हमला था जिसकी तैयारी पिछले 6 महीने से चल रही थी। हाल फिलहाल के दिनों में यह भारत के आंतरिक मामलों में भी दखल (Interfere) दे रहा था। कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद में ये बयानबाजी करते हुए हिजाब के पक्ष में अपनी बात रखी थी। इसने कहा था कि हिजाब पहनना मुसलमानों का हक़ है और हम उनके साथ हैं।
अल-जवाहिरी का जीवन परिचय (Biography of Al-Jawahiri)
अयमान मुहम्मद रबी अल-जवाहिरी का जन्म 19 जून 1951 को मिस्र (इजिप्ट) के कायरों में हुआ था। उसके पिता प्रोफेसर थे और चाचा एक हजार साल पुरानी अल-अजहर यूनिवर्सिटी के ग्रांड इमाम थे। जवाहिरी के नाना कायरो यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट और रियाद में किंग साउद यूनिवर्सिटी के फाउंडर और डायरेक्टर थे। अल-जवाहिरी बहुत होशियार स्टूडेंट था। उसने बचपन से ही इस्लामिक लिटरेचर पढ़ना शुरू कर दिया था।
सय्यद कुत्ब के विचारों से था प्रभावित
अल जवाहिरी इस्लामिक थिंकर सय्यद कुत्ब के विचारों से बहुत प्रभावित था। कुत्ब दुनिया में केवल दो ही तरह के लोगों को मानता था। एक वे, जो अल्लाह को मानते थे और दूसरे वे, जो अल्लाह को नहीं मानते थे या इस्लाम में रहकर भी उसे कमजोर करने की कोशिश करते थे। जो अल्लाह को नहीं मानते थे या इस्लाम में रहकर भी उसे कमजोर करने की कोशिश करते थे, उन्हें यह काफिर कहता था।
काफिरों का खात्मा करना इसका एजेंडा हुआ करता था। ब्रिटेन को यह अपना दुश्मन मानता था। खासतौर से अंग्रेजों को, जिन्होंने इस्लाम के खिलाफ लड़ाइयां लड़ी थीं।
आँख का सर्जन अल जवाहिरी कैसे बना आतंकी संगठन अल कायदा का प्रमुख ?
अल-जवाहिरी बहुत होशियार स्टूडेंट था। बचपन से ही उसने इस्लामिक लिटरेचर पढ़ना शुरू कर दिया था। क्योंकि, वह इस्लामिक सय्यद कुत्ब के विचारों से बहुत प्रभावित था, इसलिए उसने 1966 में मेडिकल की पढ़ाई के साथ-साथ दूसरी तरफ अंडरग्राउंड मिलिटेंट सेल भी बनाना शुरू कर दिया था, जिसका मकसद इजिप्ट से सेकुलर सरकार को हटाकर इस्लामिक सरकार बनाना था। उस वक्त जवाहिरी केवल 15 साल का था। सोचिए इतनी कम उम्र में ही इसका क्या माइंड सेट था। शुरुआत में 5 मेंबर से शुरू हुए इस ग्रुप में, 1974 में 40 मेंबर हो गए थे।
1981 में इजिप्ट के पूर्व राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या की साजिश में जवाहिरी को गिरफ्तार किया गया। जेल के अंदर भी यह कैदियों को मोटीवेट करता था और सरकार के खिलाफ नारेबाजी। 1984 में जैसे ही वह जेल से बाहर आया, इजिप्ट छोड़ दिया। इसके बाद वह सऊदी अरब और पेशावर पहुंचा। वहां वह ओसामा बिन लादेन से मिला और उसका पर्सनल डॉक्टर बन गया।
कहते है कि डॉक्टर होने के साथ-साथ ओसामा बिन लादेन का असली दिमाग यही था। मतलब ओसामा बिन लादेन को गाइड यही करता था। भले ही 2001 में हुए 9/11 आतंकी हमले के समय अल कायदा का लीडर ओसामा बिन लादेन था, लेकिन अमेरिकी खूफिया एजेंसियों का मानना ये था कि इस हमले का मास्टरमाइंड अल जवाहिरी ही था। 2011 में अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को तो मार गिराया था, लेकिन उसके टारगेट में अल जवाहिरी भी था।
इसलिए अमेरिका ने भले ही देर से, लेकिन अपने दुश्मन को उसके ही घर में मार गिराया। 2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल जवाहिरी अलकायदा का मुख्य लीडर बना था। अब आइये अल जवाहिरी को अमेरिका ने किस प्रकार से प्लान टारगेट करके मारा, उसके बारे में जान लेते हैं।
कैसे लिया अमेरिका ने 9/11 आतंकी हमले का बदला ?
अमेरिका में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले 9/11 का मास्टर माइंड अल-जवाहिरी को माना जाता है, जिसमें करीब 2977 लोग मारे गए थे। उस समय भले ही अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन था, लेकिन समस्त आतंकवादी घटनाओं का जिम्मेदार या मास्टरमाइंड इसी को माना जाता है। मतलब ऐसा कहें की ओसामा बिन लादेन का निजी डॉक्टर होने के साथ-साथ प्रमुख सलाहकार भी यही था।
तो इसे मारने के लिए अमेरिकी खूफिया एजेंसी CIA पिछले 6 महीने से अल जवाहिरी की ट्रैकिंग कर रही थी। इस ट्रैकिंग के दौरान पता चला की वह रोज सुबह बालकनी में टहलता है। जैसे ही कंफर्म हुआ सुबह ड्रोन द्वारा इस पर हमला कर दिया गया और इस हमले में वह मारा गया। अमेरिका की छवि बनी रहे इसके लिए यह सफलता उसके लिए बहुत जरुरी थी।
सोचिए जो काम अमेरिका अफगानिस्तान में 20 साल रहकर नहीं कर पाया, वह काम वह अफगानिस्तान से जाने के बाद कर दिखाया। बदला तो लेना ही था। हालांकि, 9/11 आतंकी हमले के दौरान अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन था और अमेरिका ने 2011 में ही उसे पाकिस्तान में मार गिराया था, लेकिन 9/11 आतंकी हमले का मास्टर माइंड अल जवाहिरी को माना जा रहा था, इसलिए अमेरिका इसे भी मारने की फिराक में बहुत लंबे समय से था और आखिरकार उसने मारकर बदला ले लिया।
अमेरिका ने कैसे पता लगाया अल-जवाहिरी के ठिकाने का ?
जनवरी 2022 से ही अमेरिकी खूफिया एजेंसियां अल जवाहिरी और उसके परिवार को ट्रैक कर रही थी। फरवरी 2022 में परिवार का काबुल में होने का पता चला, फिर बारीकी से नजर रखी जाने लगी। मार्च से मई के बीच अल जवाहिरी के भी होने की पुख्ता जानकारी मिली और फिर उसकी दिनचर्या पर नजर रखी जाने लगी।
25 जुलाई 2022 को अमेरिका खूफिया एजेंसियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को जवाहिरी की जानकारी दी और बताया की हमलें को कैसे अंजाम दिया जाएगा। 01 अगस्त 2022 को काबुल के शेरपुर इलाके के इस बेहद सीक्रेट घर पर ड्रोन के जरिए मिसाइल दागी गयी और अंततः अल जवाहिरी को मार गिराया गया।
अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमले के पीछे था अल-जवाहिरी का दिमाग
वैसे तो ओसामा बिन लादेन को 9/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड के तौर पर जाना जाता है, क्योंकि 11 सितम्बर 2001 में जब आतंकी हमला किया गया, उस समय अल कायदा का यही मुख्य लीडर था। लेकिन अमेरिका की खूफिया एजेंसी CIA और FBI अधिकारियों का कहना है कि ये अल जवाहिरी का दिमाग था, जिसे बिन लादेन का दिमाग (प्रमुख सलाहकार) कहा जाता था। अल जवाहिरी ही सभी हमलों की जिम्मेदारी और निगरानी को अंजाम देता था।
2004 में एक हार्ड डिस्क से साबित हुआ था कि 9/11 हमलों से पहले जवाहिरी अलकायदा की सभी प्रक्रियाओं के केंद्र में था। वह ओसामा बिन लादेन और शीर्ष कमांडरों के बीच सूचना का आदान प्रदान करता था। जवाहिरी इराक और पाकिस्तान के अलकायदा लीडर्स के साथ गहरा रिश्ता बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका में था।
किस प्रकार से किया गया था 9/11 का आतंकी हमला ?
इस हमलें के लिए अलकायदा के आतंकियों द्वारा 11 सितम्बर 2001 को चार कामर्शियल प्लेन हाईजैक किए गए। इस हमले में 19 आतंकवादी शामिल थे। हाईजैक किए प्लेन में से दो प्लेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ और साउथ टावर से टकरा दिए गए। वहीं, तीसरे प्लेन से पेंटागन में हमला किया था और चौथे प्लेन को क्रैश कर दिया गया था। इस हमले में 93 देशों के 2977 लोग मारे गए थे। हमला आतंकी संगठन अलकायदा ने किया था।
9/11 हमले में मारे गए थे 2977 लोग
इस आतंकी हमलें को 4 देशों के 19 आतंकियों ने अंजाम दिया था। आतंकियों में सऊदी अरब के 15, UAE के 2 और मिस्र और लेबनान के 1-1 शामिल थे। इस हमले में 93 देशों के लोगों की जान गयी थी। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुए हमलें में 2753 लोगों की जान गयी थी। वहीं, पेंटागन में हुए हमले में 184 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। जिस प्लेन को क्रैश किया गया था, उसमें सवार 40 लोगों की भी जान चली गयी थी।
अल-जवाहिरी के अन्य आतंकी कारनामें
- 1993 में सोमालिया में अमेरिकी सैनिकों की हत्या करवाने में जवाहिरी का ही दिमाग माना जाता है। 04 अक्टूबर 1993 का दिन था, अमेरिकी रेंजर्स और सोमालिया में अल कायदा से जुड़े मिलिशिया के बीच जबरदस्त युद्ध छिड़ा था। इस बीच मिलिशिया लीडर जनरल आईदीद के लड़ाकों ने राजधानी मोगादिशु में दो अमेरिकी हेलीकॉप्टर गिरा डाले, इसमें 18 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
- 07 अगस्त 1998 को नैरोबी, केन्या और तंजानिया के दार-ए-सलाम में अमेरिकी दूतावासों के सामने एक साथ धमाके कराने के पीछे भी जवाहिरी का ही दिमाग था। इस हमले में 224 लोग मारे गए थे, जिसमें 12 अमेरिकी शामिल थे।
- वर्ष 2000 में यमन के अदन बंदरगाह पर अलकायदा से जुड़े आतंकियों ने लदी नाव से अमेरिकी युद्धपोत USS कोल पर आतंकी हमला किया, इसमें 17 अमेरिकी नौसैनिक मारे गए थे।
- 2005 में लंदन में हुए बम धमाकों के पीछे भी जवाहिरी का हाथ माना जाता है। इसमें 56 लोगों ने जान गंवाई थी। जवाहिरी, ब्रिटेन को इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताता था।
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