आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का संपूर्ण विश्लेषण | परीक्षा की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण

आज के इस लेख में हम ‘आर्थिक सर्वेक्षण – Economic Survey’ के बारे में जानेंगे कि आर्थिक सर्वेक्षण क्या होता है? साथ ही ये भी जानेंगे कि किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए आर्थिक सर्वेक्षण क्यों और कितना महत्वपूर्ण होता है?

तो आइए जानते हैं…….

चर्चा में क्यों?

बजट 2023-24 के लिए 31 जनवरी 2023 से शुरू हुए बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इकोनामिक सर्वे यानी कि आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया गया।

आर्थिक सर्वेक्षण क्या होता है – What is Economic Survey?

हम उस देश में रहते हैं, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। आप सभी ने देखा होगा ज्यादातर घरों में पैसा कमाने वाला व्यक्ति या मालिक एक डायरी बनाता है और इस डायरी में साल भर के खर्च का हिसाब रखता है। साल खत्म होने के बाद जब डायरी देखी जाती है, तो पता चलता है कि हमारा घर कैसे चला? हमने कहां और कितना खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर वह तय करता है कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है? कितनी बचत करनी है और आने वाले समय में हमारी हालत कैसी रहने वाली है।

ठीक इसी डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से 1 दिन पहले पेश किया जाता है।

आर्थिक सर्वेक्षण कौन तैयार करता है – Who prepares the Economic Survey?

वित्त मंत्रालय के अधीन एक विभाग है इकोनॉमिक अफेयर्स और इसके अधीन होता है इकोनॉमिक डिवीजन। इकोनॉमिक डिवीजन, CEA यानी चीफ इकोनामिक एडवाइजर की देख-रेख में इकोनॉमिक सर्वे तैयार करता है। अभी फिलहाल, 2022-23 का जो इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया, उसके CEA डॉ. वी अनंत नागेश्वरन हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण क्यों जरूरी होता है – Why is economic survey necessary?

बात की जाए इकोनॉमिक सर्वे की, तो ये कई मायने में जरूरी है। इकोनॉमिक सर्वे एक तरह से हमारी अर्थव्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश की तरह काम करता है, क्योंकि इसी का विश्लेषण करने से पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और इसमें सुधार करने के लिए हमें क्या करने की जरूरत है।

आर्थिक सर्वेक्षण वॉल्यूम

पहले इकोनॉमिक सर्वे एक ही वॉल्यूम में पेश किया जाता था। 2014-15 से इसे दो वॉल्यूम में पेश किया जाने लगा। पार्ट A में पिछले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा परफॉर्म किया, इसकी जानकारी होती है। वहीं पार्ट B में समाज सुरक्षा, गरीबी, ह्यूमन डेवलपमेंट, एजुकेशन, हेल्थ केयर, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण और शहरी विकास जैसे मुद्दे शामिल होते हैं। हालांकि, 2021-22 का इकोनॉमिक सर्वे दो वॉल्यूम फॉर्मेट से सिंगल वॉल्यूम प्लस स्टैटिकल टेबल के लिए एक अलग वॉल्यूम में शिफ्ट हो गया था।

क्या सरकार के लिए आर्थिक सर्वेक्षण सर्वे पेश करना जरूरी होता है?

सरकार इस सर्वे को पेश करने और इसमें दिए गए सुझावों यह सिफारिशों को मारने के लिए बाध्य नहीं है। अगर सरकार चाहे, तो इसमें दिए गए सारे सुझावों को खारिज कर सकती हैं। क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा मिलता है, इसलिए सरकार इसकी अहमियत को समझते हुए इसे पेश करना जरूरी समझती है। अगर सरकार इसे ना पेश करें, तो कुछ मूल मुद्दों में सरकार से ही चूक हो सकती है, क्योंकि इस सर्वे में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमान, महंगाई दर अनुमान, विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार घाटे की जानकारी शामिल होती है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का निष्कर्ष

विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार की योजना

सर्वेक्षण के मुताबिक आने वाले साल में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 25% तक करने का लक्ष्य है। यह वर्तमान समय में देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15 से 16 प्रतिशत है। इसके लिए सरकार ‘मेक इन इंडिया 2.0’ को ला रही हैं। इसके लिए 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में 15 विनिर्माण और 12 सर्विस क्षेत्र शामिल हैं। साथ ही फर्नीचर, कपड़ा, कृषि उत्पाद, रोबोटिक्स, टेलीविजन और एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

14 क्षेत्रों के लिए पीएलआई (PLI) योजना

विनिर्माण क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 14 क्षेत्रों के लिए प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) शुरू की है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा देश में स्टार्टअप कल्चर को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है। इसके तहत स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (SISFS), स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (CGSS) और फंड आफ फंड्स फॉर स्टार्टअप जैसी योजनाएं पहले से काम कर रही हैं।

200000 करोड रुपए हो रहा है खर्च

पीएलआई योजना को बढ़ावा देने के लिए सरकार ₹200000 के खर्च कर रही है। सितंबर 2022 तक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग (LSEM ) में पीएलआई योजना से 4784 करोड़ों का निवेश मिल चुका है। इसमें उत्पादन के लिए 2,03,952 करोड रुपए का प्रस्ताव किया गया है, जबकि ₹80769 का निर्यात किया जाएगा। बता दें कि पीएलआई से जुड़ी 13 योजनाओं के तहत अब तक 650 से ज्यादा आवेदनों को मंजूरी दी जा चुकी है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के विश्लेषण से निकली कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां

  • सर्वे में बताया गया कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सर्वे के अनुसार परचेसिंग पावर पैरिटी (PPP) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
  • सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5% होने का अनुमान लगाया गया है इस आंकड़े के अनुसार यह पिछले 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी, वहीं नॉमिनल जीडीपी का अनुमान 11 प्रतिशत लगाया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए रियल जीडीपी का अनुमान 7% है।
  • सर्वे के अनुसार सामाजिक सेवा कार्यों और शिक्षा पर खर्च में वृद्धि देखने को मिली, वहीं स्वास्थ्य पर खर्च लगभग दोगुना हो गया है।
  • वर्तमान CEA अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था इस दशक की शेष अवधि में बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है।
  • आगे उन्होंने कहा कि अब महामारी से उबरने की बात नहीं करनी चाहिए। रिकवरी पूरी हो चुकी है। अब हमें आगे बढ़ना होगा।
  • बैंकिंग सेक्टर की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार और क्रेडिट ग्रोथ बढ़ रही है। गैर बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में अब हेल्दी बैलेंस शीट है।
  • जुलाई-सितंबर 2019 में बेरोजगारी दर 8.3% से घटकर जुलाई-सितंबर 2022 में 7.2% हुई।
  • 2022 में कृषि में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले 12 साल में सबसे अधिक रही।
  • भारत के पास करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) को फाइनेंस करने के लिए पर्याप्त फॉरेक्स रिजर्व है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के आधार पर भविष्य

  • वित्तीय सेवाओं को परिवर्तित करने के लिए 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयों की घोषणा।
  • 2027 तक भारतीय ई-वाणिज्य बाजार का लगभग दो-तिहाई हिस्सा, फैशन किराना और सामान्य वस्तुओं का होगा।
  • स्थापित विद्युत क्षमता में गैर जीवाश्म ईंधन स्रोतों की हिस्सेदारी में वृद्धि।
  • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन द्वारा 2030 तक न्यूनतम 5 एमएमटी प्रतिवर्ष उत्पादन क्षमता।
  • सॉवरन ग्रीन बॉन्ड फ्रेमवर्क जारी किया गया।

आर्थिक सर्वेक्षण के बारे में दी गई उपरोक्त जानकारी आप सभी को कैसी लगी? कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं। अगर अच्छी लगी हो, तो अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर जरूर करें।

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