सिख समुदाय का काली बेईं नदी से है पुराना नाता, जिसकी सफाई का जिम्मा बाबा बलवीर सिंह सीचेवाल ने अकेले ही उठा लिया था

काली बेईं नदी का सिख समुदाय के लिए है खास महत्व | काली बेईं नदी और बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल

आज के इस लेख में पंजाब में बहने वाली काली बेईं नदी के बारे में जानेंगे, जिसका सिख समुदाय से है पुराना नाता, साथ ही बाबा बलवीर सिंह सीचेवाल के बारे में भी जानेंगे की किस प्रकार से इन्होने काली बेईं नदी को अकेले के दम पर साफ करने की ठान ली थी और करके दिखाया भी।

काली बेईं नदी

काली बेईं नदी पंजाब के होशियारपुर जिले के मुकेरियां तहसील के घनोआ गांव से ब्यास नदी से निकलती है और 165 किलोमीटर बहते हुए पंजाब में ही ‘हरिके’ नामक स्थान में ब्यास नदी में ही मिल जाती है। यह नदी पहले बहुत गंदी थी, इसमें लोग कूड़ा-कचड़ा फेका करते थे, कई नालों का पानी इसमें आकर मिलता था, गंदगी इतनी ज्यादा हो गयी थी की इसका पानी काला दिखने लगा था इसलिए इसे काला नाला भी कहा जाता था।

सिख समुदाय का काली बेईं नदी से नाता

पंजाब में काली बेईं नदी के किनारे सुल्तानपुर लोधी (Sultanpur Lodhi) नाम की एक जगह है, यही पर सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी अपनी बहन नानकी बाई के घर में रहते थे। गुरु नानक देव जी इसी नदी के किनारे 14 साल 9 महीने और 13 दिन व्यतीत किये थे। इसके बाद उन्होंने इसी नदी के तट पर सिख धर्म के मूल मंत्र ‘एक ओंकार सतनाम’ का सृजन किया था।

गुरु नानक देव जी को मूल मंत्र या आध्यात्मिक चेतना (Enlightment) इसी नदी में डुबकी लगाने के पश्चात प्राप्त हुई थी। कहते है कि डुबकी लगाने के बाद नानक जी एक दिन के लिए अदृश्य हो गए थे और जब वो बाहर निकले तो उन्हें मूलमंत्र प्राप्त हो चुका था। मूलमंत्र प्राप्त होने से पहले गुरु नानक देव जी को नानक के नाम से जाना जाता था।

अब आप को सिख समुदाय में काली बेईं नदी का क्या महत्व है समझ में आ गया होगा। इसलिए सिख समुदाय के लोग इस नदी में डुबकी लगाकर अपने आप को गौरान्वित और पवित्र महसूस करते है।

बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल

सिख धर्मगुरु बलबीर सिंह सीचेवाल पंजाब राज्य के एक पर्यावरण कार्यकर्ता है। पर्यावरण के प्रति इनके स्वैच्छिक कार्य खासतौर से काली बेईं नदी की सफाई को देखते हुए टाईम पत्रिका ने दुनियाभर से चुने गए हीरोज ऑफ एन्वायरमेंट या दुनिया के पर्यावरण नायक में शामिल किया है। 2019 में इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्तमान में ये आम आदमी पार्टी से राजयसभा सांसद है।

बलबीर सिंह सीचेवाल का काली बेईं नदी को साफ़ करने में योगदान

इस नदी से लगे हुए गांव और नगर के लोग इसमें अपना कूड़ा डालते थे। नगरों की गंदी नालियों का पानी इसमें मिला दिया जाता था इसकी वजह से यह नदी गंदे नाले में बदलती जा रही थी। पानी ज्यादा गन्दा होने की वजह से नदी से लगे हुए आसपास के खेतों की सिंचाई भी नहीं हो पाती थी। ये सब देख बाबा बलबीर सिंह ने नदी की सफाई के लिए अभियान छेड़ा।

शुरुआत में तो लोगो ने उनका मजाक उड़ाया मगर दृढ़ संकल्पित बाबा बलबीर सिंह ने किसी की परवाह किए बिना अभियान को जारी रखा। 16 जुलाई 2000 को बाबा बलबीर सिंह ने अकेले के दम पर बिना किसी की मदद के नदी को साफ करना शुरू किया। उनके स्वैच्छिक काम को देखते हुए लोग धीरे-धीरे उनकी मदद के लिए आगे बढ़ने लगे और नदी साफ करने का कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ चला।

आपको जानकर हैरानी होगी की जिस नदी के किनारे खड़े होने पर लोगों को नाक में रुमाल लगाना पड़ता था उसी नदी के किनारे लोग आजकल पिकनिक मनाने जाते है।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की तारीफ ने बाबा बलबीर सिंह को दिलाई थी एक अलग पहचान

बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल ने बिना किसी सरकारी सहायता के लोगों को एकजुट करके इस नदी को स्वच्छ करने का कार्यक्रम शुरू किया था, उनके इस काम को पहचान तब मिली जब अपने कार्यकाल के दौरान भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल से मिलने पहुंचे थे।

कलाम साहब ने बाबा बलबीर सिंह की जमकर तारीफ की थी। कलाम साहब ने कहा कि बाबा बलबीर सिंह जी द्वारा नदी की सफाई के लिए ये जो कार्य किया जा रहा है वो काबिले तारीफ़ है। कलाम साहब द्वारा तारीफ किए जाने के बाद बाबा बलबीर सिंह लोगों के चहेते (Public Figure) बन गए और एक अलग पहचान प्राप्त की।

गंगा नदी की सफाई में अपनाया गया था बाबा बलबीर सिंह का मॉडल

जिस तरीके से बाबा बलबीर सिंह ने काली बेईं नदी को स्वच्छ करने का तरीका अपनाया था वो इतना पसंद किया गया कि गंगा जैसी भारत की बड़ी व पवित्र नदी के लिए जब स्वच्छता अभियान ‘नमामि गंगे’ चलाया गया तो बाबा बलबीर सिंह का मॉडल अपनाया गया। इस प्रकार से बाबा बलबीर सिंह का मॉडल रोल मॉडल बन गया।

2015 में जब उमा भारती जल संसाधन मंत्री थी तो उन्होंने कहा कि मैं काली बेईं नदी देखने गयी थी, बहुत ही शानदार तरीके से कायाकल्प किया गया है उस नदी का, उसी के तर्ज पर गंगा नदी का भी कायाकल्प (Rejuvenation) किया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि मैं मानती हूँ कि गंगा प्रोजेक्ट का गुरु स्थान यही नदी बनेगी।

मतलब इस नदी की जिस प्रकार से सफाई की गयी है उसे देखते हुए हम गंगा नदी को साफ करने की प्रेरणा लेते है।

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