Spy Balloon: जासूसी गुब्बारा क्या होता है? जासूसी गुब्बारों की खासियत और उनका इतिहास

जासूसी गुब्बारा

आज के इस लेख में हम जासूसी गुब्बारा – Spy Balloon के बारे में जानेंगे कि यह क्या होता है, इसकी क्या खासियत होती है? साथ ही इसके इतिहास के बारे में भी जानेंगे।

तो आइए जानते हैं…..

चर्चा में क्यों?

पिछले कुछ दिनों से अमेरिका में दिख रहे चीन के जासूसी गुब्बारे को अमेरिकी सेना के विमान ने अटलांटिक महासागर के ऊपर मार गिराया है और मलवा इकट्ठा कर जानकारी एकत्रित करने के लिए मौके पर टीमें भेजी गई।

क्या होता है जासूसी गुब्बारा – what is a spy balloon

दरअसल, कैप्सूल के आकार के ये गुब्बारे कई वर्ग फीट बड़े होते हैं। ये आमतौर पर जमीन से काफी ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता रखते हैं, जिसकी वजह से इनका ज्यादातर इस्तेमाल किसी क्षेत्र विशेष की मौसम से संबंधित जानकारी जुटाने के लिए किया जाता रहा है। हालांकि, आसमान में जबरदस्त ऊंचाई पर उड़ने की अपनी इन्हीं क्षमताओं की वजह से इनका इस्तेमाल जासूसी के लिए भी किया जाता है।

जासूसी गुब्बारों की खासियत – Features of Spy Balloons

  • जासूसी गुब्बारे जमीन से 24000 से 37000 फीट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ सकते हैं, जबकि चीन का जो जासूसी गुब्बारा अमेरिका के ऊपर उड़ रहा था, वह 60000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था।
  • जमीन से इनकी डिस्टेंस इतनी ज्यादा होने के कारण, इनकी निगरानी कर पाना काफी मुश्किल काम होता है।
  • इनके उड़ने की यह रेंज कमर्शियल विमानों से काफी ज्यादा होती है। अधिकतर कमर्शियल विमान 40000 फीट की ऊंचाई तक नहीं जा पाते हैं।
  • इतनी ज्यादा रेंज पर उड़ान भरने की क्षमता फाइटर जेट्स की होती है, जो कि 65000 फीट तक उड़ सकते हैं। हालांकि, कुछ जासूसी विमान 80000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम होते हैं।

जासूसी गुब्बारे सैटेलाइट से ज्यादा बेहतर जासूसी यंत्र होते हैं

अमेरिकी वायुसेना के एयर कमांड और स्टाफ कॉलेज की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये जासूसी गुब्बारे कई बार सैटेलाइट से भी ज्यादा बेहतर खुफिया यंत्र साबित होते हैं। दरअसल, ये सैटेलाइट के मुकाबले ज्यादा आसानी से और समय लेकर किसी क्षेत्र को स्कैन कर सकते हैं। इनके जरिए इन्हें भेजने वाले देश, दुश्मन के खिलाफ ऐसे संवेदनशील खुफिया जानकारी जुटा सकते हैं, जो कि सैटेलाइट की दूरी की वजह से स्कैन करना मुश्किल है। इतना ही नहीं सैटेलाइट के जरिए किसी एक क्षेत्र पर नजर रखना काफी महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि इसके लिए काफी कीमत वाले स्पेस लॉन्चर्स की जरूरत होती है। दूसरी तरफ जासूसी गुब्बारे, सैटेलाइट से काफी कम कीमत में यही काम कर सकते हैं।

जासूसी गुब्बारों का इतिहास – History of Spy Balloons

अमेरिका ने मोंटाना शहर के ऊपर जिस जासूसी गुब्बारे की बात कही है, उसका इतिहास काफी पुराना है।

  • फ्रांसीसी क्रांति के दौरान 1794 में ऑस्ट्रियन और डच सैनिकों के खिलाफ फ्लेरस की लड़ाई में पहली बार जासूसी गुब्बारों का इस्तेमाल किया गया था।
  • 1860 के दशक में अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान भी जासूसी गुब्बारों का इस्तेमाल किया गया था।
  • शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ और अमेरिका द्वारा ऐसे गुब्बारों का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था। उस दौरान यह कम लागत में खुफिया जानकारी एकत्र करने का तरीका था।
  • दूसरे विश्व युद्ध में जापानी सेना ने इन गुब्बारों के जरिए अमेरिकी क्षेत्र पर बमबारी की कोशिश की थी। हालांकि, इनकी सीमित नियंत्रण क्षमताओं की वजह से अमेरिका के सैन्य निशानों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन कुछ बम रिहायशी क्षेत्रों में गिरे थे, जिससे कई आम लोगों की जान चली गई थी।

आखिर इस जासूसी गुब्बारे को ध्वस्त करने में अमेरिका को इतना समय क्यों लगा

3 दिनों तक यह जासूसी गुब्बारा अमेरिका के एयरस्पेस में देखा गया, लेकिन इंतजार किया गया कि यह गुब्बारा समुंद्र के ऊपर आ जाए। अगर स्थल क्षेत्र में ही अमेरिका इसे ध्वस्त करने की कोशिश करता, तो उसे खुद का नुकसान हो सकता था, क्योंकि ध्वस्त होने के बाद गिरता तो नीचे ही और यह कहीं भी और किसी पर भी गिर सकता था और इससे जान-माल की हानि होने का खतरा था। इस वजह से अमेरिकी सेना इस पर पैनी नजर रखे हुए थी और इंतजार कर रही थी कि ये समुंद्र क्षेत्र में आ जाए और जैसे ही यह समुद्री क्षेत्र में आया अमेरिकी सेना के विमान ने इसे मार गिराया।

अमेरिका के किस जगह की जासूसी कर रहा था चीन का जासूसी गुब्बारा

अमेरिका के मोंटाना शहर में चीन का जासूसी गुब्बारा देखा गया। अमेरिका का यह ऐसा शहर है, जहां एयरफोर्स के स्पेशल बेस हैं और यहीं से इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल ऑपरेट की जाती हैं। पूरे अमेरिका में ऐसे तीन ही एयरबेस हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन और अन्य अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह चीनी जासूसी गुब्बारा है, जिसका आकार 3 स्कूल बसों के आकार के बराबर है और यह लगभग 60,000 फीट की ऊंचाई पर अमेरिका के ऊपर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है।

बीबीसी की खबर के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि मोंटाना के बिलिंग्स शहर के ऊपर देखे जाने से पहले यह गुब्बारा अलास्का के अलेउतियन द्वीप समूह और कनाडा के आसमान में देखा गया था। एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बताया कि अगर वाइट हाउस की तरफ से इसे मार गिराने का आदेश जारी किया जाता, तो उस परिस्थिति के लिए F-22 जैसे लड़ाकू विमान तैयार कर लिए गए थे।

आखिर चीन, अमेरिका की जासूसी क्यों करना चाह रहा था

मोंटाना में अमेरिका का 341 वां मिसाइल विंग है, जो कि मैलमस्रारंस्ट्रॉर्म एयर फोर्स बेस पर है। इस विंग पर 150 लांच फैसिलिटीज की जिम्मेदारी है। अमेरिका की तरफ से चलाया जा रहा है यह एक ऐतिहासिक और जटिल प्रोग्राम है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा हित से जुड़ा है। अब ऐसे में कई लोग इस बात की आशंका जता रहे हैं कि इसी वजह से चीन का जासूसी गुब्बारा मोंटाना में पहुंचा।

इसके अलावा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने इस पूरे इलाके को क्रिटिकल जोन माना है। चीन द्वारा सिविल डिफेंस भर्ती का आयोजन कर कई गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। जिस समय यह घटना हुई उस समय पेंटागन की तरफ पूरे राज्य में मौजूद परमाणु मिसाइलों की ओवरहालिंग की योजना बनाई जा रही थी। बन रही योजना के तहत मिसाइलों को 2025 में अपग्रेड किया जाना था, लेकिन चीन की इस जासूसी वाली हरकत की वजह से यह काम पहले ही किया जाएगा। यह मिसाइल साइट करीब 13800 स्क्वायर मील पर फैली है। इस प्रोजेक्ट के तहत पुरानी हो चुकी मिनटमैन III इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल सिस्टम को हटाया जाएगा। इस जगह पर 1960 के दशक से मिसाइलों को रखा जा रहा है।

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