आज के इस लेख में हम रासायनिक हथियार के बारे में जानेंगे कि रासायनिक हथियार (Chemical Weapons) क्या होते हैं, कितने प्रकार के होते हैं, कितने खतरनाक होते हैं और इनका उपयोग कब से होता आ रहा है? (Chemical Weapons, Types of Chemical Weapons, Chemical Weapons Convention Upsc, Organization for Prohibition of Chemical Weapons, Chemical Weapons Convention)
तो आइए जानते हैं…….
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साल 2023 के अंत तक अपने सारे रासायनिक हथियार नष्ट करने की घोषणा की है। दरअसल, उन्होंने यह घोषणा चीन और रूस के द्वारा जॉइंट स्टेटमेंट जारी करने के बाद की। इस जॉइंट स्टेटमेंट में रूस और चीन ने अमेरिका पर रासायनिक हथियार रखने को लेकर निशाना साधा तथा रासायनिक हथियार नष्ट करने को लेकर दबाव भी बनाया।
रासायनिक हथियार क्या है (What is Chemical Weapon) ?
ऑर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स यानी OPCW के मुताबिक, रासायनिक हथियार ऐसे हथियार होते हैं, जिनमें जहरीले केमिकल का इस्तेमाल जानबूझकर लोगों को मारने या नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है।
ऐसे सैन्य उपकरण, जो खतरनाक केमिकल को हथियार बना सकते हैं, उन्हें भी केमिकल हथियार या रासायनिक हथियार माना जा सकता है। रासायनिक हथियार इतने घातक होते हैं कि ये पल भर में हजारों लोगों को मौत की नींद सुला सकते हैं और साथ ही उन्हें अलग-अलग बीमारियों के प्रभाव से घुट-घुट कर मरने को मजबूर कर सकते हैं।
रासायनिक हथियार बायोलॉजिकल हथियार से अलग होते हैं। बायोलॉजिकल हथियार में बैक्टीरिया और वायरस के जरिए लोगों को मारा या बीमार किया जाता है। रासायनिक हथियार सामूहिक विनाश के हथियारों की कैटेगरी में आते हैं।
रासायनिक हथियारों के प्रकार (Types of Chemical Weapons)
- नर्व एजेंट: इसे सबसे घातक रासायनिक हथियार माना जाता है। इसकी छोटी सी डोज पल भर में जान ले सकती है। घातक तत्व: VX, सरीन, ताबुन।
- चोकिंग एजेंट: इसे दम घोटने वाला रासायनिक हथियार माना जाता है। प्रथम विश्वयुद्ध में क्लोरीन, फॉस्जीन के इस्तेमाल से लाखों लोग मारे गए थे। घातक तत्व: क्लोरीन, फॉस्जीन, क्लोरोपिक्रिन, डिफोसजीन।
- ब्लड एजेंट: ब्लड सेल पर हमला बोलकर दम घोंट देते हैं। घातक तत्व: हाइड्रोजन सायनाइड, आर्सिन।
- ब्लिस्टरिंग एजेंट: शरीर पर फफोले हो जाते हैं, व्यक्ति अंधा हो जाता है, जान जा सकती है। घातक तत्व: सल्फर मस्टर्ड, नाइट्रोजन मस्टर्ड, लेविसाइट।
- रॉयट कंट्रोल एजेंट: कम घातक होते हैं। आँख, मुंह, स्किन, फेफड़े में जलन पैदा करते हैं। इनका इस्तेमाल भीड़ को काबू करने में किया जाता है। जैसे आंसू गैस और पेपर स्प्रे। घातक तत्व: आंसू गैस में ब्रोमोएसीटोन और पेपर स्प्रे में कैप्साइसिन।
रासायनिक हथियार का इतिहास (History of Chemical Weapons)
रासायनिक हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल 429 ईसा पूर्व में हुआ था। प्लाटिया की घेराबंदी के दौरान स्पार्टन सैनिकों ने शहर की दीवार के बाहर एक बड़ा लकड़ी का ढेर लगाकर उस पर तारकोल और सल्फर डालकर आग लगा दी थी। इससे नीली लपटें निकली और तीखी बदबू पैदा हुई। सल्फर जलाकर स्पार्टन सैनिकों ने जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड गैस रिलीज की, जिसकी बदबू से प्लाटिया के लोग अपनी जगह छोड़ कर जल्द ही भाग गए।
जिनेवा प्रोटोकोल 1925 और जिनेवा प्रोटोकोल 1949 के जरिए 38 देशों के बीच हुई संधि से केमिकल हथियारों पर प्रतिबंध के साथ ही युद्ध में इन हथियारों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाने के लिए समझौता हुआ था। इन संधियों पर हस्ताक्षर के बावजूद अमेरिका, सोवियत रूस, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और फ्रांस जैसे ताकतवर देशों ने गुप्त तरीके से रासायनिक हथियार (Chemical Weapons) बनाना जारी रखा।
पहले और दूसरे विश्व युद्ध में हुआ इस्तेमाल
- आधुनिक युग में रासायनिक हथियारों का सबसे पहला इस्तेमाल प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ। इस युद्ध में घातक रासायनिक गैसों के इस्तेमाल से करीब 1 लाख लोग मारे गए थे।
- 1915 में जर्मनी ने बेल्जियम के खिलाफ 168 टन क्लोरीन गैस का इस्तेमाल किया, जिसमें लगभग 5 हजार सैनिक मारे गए थे।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान क्लोरीन, फॉस्जीन और सल्फर मस्टर्ड गैसों जैसे रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। प्रथम विश्व युद्ध में 1 लाख 90 हजार टन रासायनिक हथियारों पर इस्तेमाल किया गया था, जिसमें से 93 हजार टन क्लोरीन और 36 हजार टन फास्जीन थी।
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रासायनिक हथियारों से हुई कुल मौतों में से करीब 80% मौतें फॉस्जीन गैस से हुई थी।
- 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने पोलैंड के वॉरसा शहर पर कुछ मस्टर्ड गैस बम गिराए थे।
आधुनिक समय में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल
- प्रथम विश्व युद्ध के बाद, दो खाड़ी देशों (ईरान-इराक युद्धों) समेत कम से कम 12 लड़ाइयों में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल हो चुका है।
- इराक ने 1980 के दशक में पहले खाड़ी युद्ध के दौरान ईरान के खिलाफ रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया था, जिसमें कम से कम 50 हजार ईरानी मारे गए थे।
- 1988 में सद्दाम हुसैन के निर्देश पर इराकी सेना ने अपने ही देश के कुर्दों के खिलाफ घातक मस्टर्ड और नर्व एजेंट रासायनिक गैसों का इस्तेमाल किया था। इस घटना में लगभग एक लाख कुर्दों की मौत हो गई थी।
- 2013-17 के सीरिया में गृह युद्ध के दौरान, राष्ट्रपति बशर अल असद ने कथित तौर पर रूस की मदद से कई बार अपने देश के विद्रोहियों के खिलाफ रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया।
- 90 के दशक में जापान में आतंकियों ने सरीन गैस से रासायनिक हमला किया था, जिससे 1994 में 7 और 1995 में टोक्यो मेट्रो में 12 लोगों की मौत हो गई थी।
- यूएन के मुताबिक, सोवियत संघ (USSR) और अमेरिका के बीच शीत युद्ध के दौरान कम-से-कम 25 देशों में केमिकल हथियार बनाने और इकट्ठा करने का काम हुआ। हालांकि, प्रथम विश्व युद्ध के बाद रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल पहले के मुकाबले काफी कम हुआ है।
रासायनिक हथियारों को लेकर रूस और चीन
रासायनिक हथियारों को लेकर रूस का कहना है कि 2017 में ही उसने अपने सारे रासायनिक हथियार नष्ट कर दिए थे। हालांकि, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने आशंका जताई थी कि रुस, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। वहीं, रूस ने इसके पहले ही अमेरिका पर यूक्रेन में रासायनिक और बायोलॉजिकल हथियार बनाए जाने के आरोप लगाए थे।
रासायनिक हथियारों को लेकर चीन का कहना है कि उसने कभी भी रासायनिक हथियार नहीं बनाएं। हालांकि, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने चीन में बड़ी मात्रा में, जो रासायनिक हथियार छोड़े थे, उन्हें चीन द्वारा अब नष्ट करने की बात कही जा रही है।
CWC और OPCW
CWC | OPCW |
CWC – Chemical Weapons Convention | OPCW – Organization for Prohibition of Chemical Weapons |
यह केमिकल हथियारों पर नियंत्रण का समझौता है। | CWC को व्यवस्थित करने और नियमों का पालन कराने के लिए 1997 में OPCW का गठन किया गया। |
1993 में केमिकल हथियारों के डेवलपमेंट, प्रोडक्शन, स्टोरेज और ट्रांसफर पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए इस पर साइन किया गया तथा 1997 में लागू हुआ। | OPCW, CWC सदस्य देशों के सरकारों का एक संगठन है। |
यह समझौता युद्ध के दौरान केमिकल हथियारों के इस्तेमाल पर बैन लगाता है। | OPCW का मुख्यालय नीदरलैंड (द हेग) में है। |
CWC से 193 देश जुड़ चुके हैं तथा रूस, भारत और अमेरिका समेत 165 देश इस पर साइन कर चुके हैं। | इजराइल, मिस्र, साउथ सूडान और नॉर्थ कोरिया इससे नहीं जुड़े हुए हैं। |
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FAQ:
प्रश्न: CWC पर भारत ने कब हस्ताक्षर किया?
उत्तर: 1993
प्रश्न: CWC पर कुल कितने देशों ने हस्ताक्षर किए हैं?
उत्तर: 165
प्रश्न: CWC में कुल कितने देश जुड़ चुके हैं?
उत्तर: 193
प्रश्न: OPCW का मुख्यालय कहां है?
उत्तर: नीदरलैंड (द हेग)
प्रश्न: OPCW संगठन की स्थापना कब हुई?
उत्तर: 1997
प्रश्न: रासायनिक हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल कब हुआ?
उत्तर: 429 ईसा पूर्व
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