अमृतपाल सिंह कौन है ? अमृतपाल सिंह का इतिहास और उससे जुड़े तथ्य

आज के इस लेख में हम अमृतपाल सिंह – Amritpal Singh के बारे में जानेंगे कि ये कौन है और यह किस प्रकार से पंजाब के अंदर देश-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ, खालिस्तान की मांग को लेकर खालिस्तानी समर्थकों का हौसला बढ़ाने के लिए उन्हें उत्साहित कर रहा था?

तो आइए जानते हैं……

विषय सूची

चर्चा में क्यों?

अमृतपाल सिंह ने पंजाब के अंदर देश-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ, खालिस्तानी समर्थकों का उत्साहवर्धन करने का कार्य किया। इसके अलावा इसने अपने दोस्त को छुड़ाने के लिए थाने पर अटैक किया। यहां तक कि इसने गृह मंत्री अमित शाह को भी धमकी दी। इस वजह से इसे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए गिरफ्तार करने की कोशिश की गई। आइए पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं…….

कौन है अमृतपाल सिंह – Who is Amritpal Singh?

अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख है। इसने 4 महीने पहले ही इस संगठन की बागडोर संभाली थी। अमृतपाल, अमृतसर के गांव जल्लूपुर खेड़ा का रहने वाला है। 2012 से पहले ही अमृतपाल का परिवार दुबई चला गया था। वहां जाकर परिवार ने ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया। 2013 में दुबई में ट्रांसपोर्ट का कामकाज अमृतपाल देखने लगा।

2022 में अमृतपाल दुबई से अकेला ही पंजाब आया। अक्टूबर में Amritpal Singh ने जरनैल सिंह भिंडरांवाले के गांव रोडे में वारिस पंजाब दे संगठन के नए मुखिया के तौर पर ओहदा संभाला। यह संगठन दिल्ली हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू ने बनाया था। इस दौरान अमृतपाल ने खुद को जरनैल सिंह भिंडरांवाले का अनुयायी बताते हुए सिख युवाओं को अगली जंग के लिए तैयार होने का आह्वान किया।

कौन था जरनैल सिंह भिंडरांवाले – Who was Jarnail Singh Bhindranwale?

जरनैल सिंह भिंडरांवाले का जन्म 2 जून 1947 को पंजाब के रोडे गांव में हुआ था। उसका नाम जरनैल सिंह ही था। जब वो सिख धर्म और ग्रंथों की शिक्षा देने वाली संस्था दमदमी-टकसाल का अध्यक्ष चुना गया, तो उसके नाम के साथ भिंडरांवाले जुड़ गया। जब भिंडरांवाले को दमदमी टकसाल का अध्यक्ष चुना गया था, तब उसकी उम्र 30 साल के आसपास थी।

दमदमी-टकसाल की कमान संभालने के कुछ ही महीनों बाद भिंडरांवाले ने पंजाब में उथल-पुथल शुरू कर दी थी। 13 अप्रैल 1978 को अकाली कार्यकर्ताओं और निरंकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में 13 अकाली कार्यकर्ताओं की मौत हो गई। इसके बाद रोष दिवस मनाया गया। इसमें जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने भी हिस्सा लिया था। भिंडरांवाले ने पंजाब और सिखों की मांग को लेकर कड़ा रवैया अपनाया और जगह-जगह भड़काऊ भाषण देने लगा।

80 के दशक की शुरुआत में पंजाब में हिंसक घटनाएं बढ़ने लगी। 1981 में पंजाब केसरी के संस्थापक और संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हो गई। पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं के लिए भिंडरांवाले को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

अप्रैल 1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी अटवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। कुछ दिन बाद पंजाब रोडवेज की बस में घुसे बंदूकधारियों ने कई हिंदुओं को मार दिया। बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच इंदिरा गांधी ने पंजाब की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करते हुए राष्ट्रपति शासन लगा दिया।

ऑपरेशन ब्लू स्टार – Operation Blue Star

1982 में भिंडरांवाले ने स्वर्ण मंदिर को अपना घर बना लिया था। कुछ महीनों बाद भिंडरांवाले ने सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त से अपने विचार रखने शुरू कर दिए थे। पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए भिंडरांवाले को पकड़ना जरूरी था। इसके लिए इंदिरा गांधी की सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार लॉन्च किया। इस ऑपरेशन के सैन्य कमांडर मेजर जनरल केएस बराड़ का कहना था कि कुछ ही दिनों में खालिस्तान की घोषणा होने वाली थी और उसे रोकने के लिए इस ऑपरेशन को जल्द से जल्द अंजाम देना जरूरी था।

1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया गया। 1 जून से ही सेना ने स्वर्ण मंदिर की घेराबंदी शुरू कर दी थी। पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों को रोक दिया गया था। बस सेवाएं रोक दी गई थी। फोन कनेक्शन काट दिए गए थे और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर जाने को कह दिया गया था।

3 जून 1984 को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया। 4 जून की शाम से सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी। अगले दिन सेना की बख्तरबंद गाड़ियों और टैंक भी स्वर्ण मंदिर पर पहुंच गए। भीषण खून खराबा हुआ और 6 जून को भिंडरांवाले को मार दिया गया।

स्वर्ण मंदिर पर केंद्र सरकार की इस कार्यवाही का देश भर में विरोध हुआ। सिख समुदाय ने इसकी आलोचना की। कांग्रेस में भी फूट पड़ गई। इस कार्यवाही में आम लोगों की मौत के विरोध में कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया था। कई सिख लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस ऑपरेशन में 83 सैनिक शहीद और 249 घायल हुए थे। वहीं 493 चरमपंथी या आम नागरिक मारे गए और 86 घायल हुए थे। 1592 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

चर्चा में कब आया अमृतपाल सिंह – When did Amritpal Singh come in discussion?

दरअसल, रूपनगर जिले के चमकौर साहिब के वरिंदर सिंह ने लवप्रीत सिंह व अमृतपाल समेत उनके 30 समर्थकों पर थाने में अपहरण व मारपीट की शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत पर कार्यवाही करते हुए पुलिस ने लवप्रीत व एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। एक आरोपी को तो पुलिस ने रिहा कर दिया था, लेकिन लवप्रीत को रिहा नहीं किया। लवप्रीत को भी रिहा करने के लिए पुलिस पर दबाव बनाने के लिए Amritpal Singh ने थाने के बाहर धरने की चेतावनी दी थी।

लेकिन जब पुलिस ने रिहा नहीं किया, तो 23 फरवरी को Amritpal Singh श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप के साथ अपने समर्थकों सहित थाने पहुंचा और हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की, तो उसके समर्थकों ने बैरिकेड तोड़ आगे बढ़ते हुए तलवारों व बंदूकों के साथ थाने पर हमला कर दिया, जिसमें एसपी समेत छह पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।

अमृतपाल सिंह ने गृह मंत्री को दी धमकी – Amritpal Singh threatened the Home Minister

अजनाला घटना से कुछ दिन पहले पंजाब में खालिस्तान समर्थकों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पंजाब में खालिस्तान समर्थकों पर हमारी कड़ी नजर है। इस पर अजनाला थाने पर हमले के दौरान ही Amritpal Singh ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दी थी। अमृतपाल ने कहा था कि शाह का हाल भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा होगा। 1984 में इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

अजनाला केस के बाद का घटनाक्रम

जैसा कि ऊपर बताया गया कि 23 फरवरी को अमृतपाल अपने समर्थकों के साथ पुलिस थाने पर हमला किया और अपने साथी लवप्रीत को छुड़ा ले गया। उसके बाद…..

25 फरवरी 2023: पंजाब में खालिस्तान की मांग को लेकर आगे बढ़ रहे खालिस्तानी समर्थकों और बारिश पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल को लेकर गृह मंत्रालय ने हस्तक्षेप करने की तैयारी की। पंजाब में खालिस्तान की मांग को लेकर जो घटनाक्रम चल रहा था, आइबी ने उसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर गृह मंत्रालय को दी।

26 फरवरी 2023: मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों को पाकिस्तान और अन्य देशों से पैसा मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने खालिस्तानी तत्वों से निपटने के लिए किसी ठोस रणनीति का तो खुलासा नहीं किया, लेकिन कहा कि कुछ ही लोग पंजाब में इसका समर्थन कर रहे हैं और पंजाब पुलिस इस मुद्दे से निपटने में पूरी तरह से सक्षम है।

मार्च के शुरुआत से ही पंजाब सरकार, केंद्र सरकार के साथ मिलकर अमृतपाल की गिरफ्तारी की योजना बना रही थी। इसी कड़ी में 2 मार्च को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उनके साथ राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की। इस दौरान फैसला लिया गया कि आंतरिक सुरक्षा संबंधी सभी मुद्दों में सख्ती से निपटने के लिए केंद्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियां मिलकर साथ में काम करेंगी।

अजनाला कांड के बाद से सीएम की शाह से मुलाकात काफी अहम थी। सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान अजनाला कांड पर विशेष रुप से चर्चा हुई थी। करीब 40 मिनट की इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री को सीमा पार से नशे और हथियारों की सप्लाई के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी थी।

11 मार्च 2023: अमृतपाल के सहयोगियों पर कार्यवाही शुरू की गई। पंजाब पुलिस के बाद जम्मू और कश्मीर की पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की। कार्यवाही के दौरान अमृतपाल के दो करीबी साथियों तलविंदर सिंह और वरिंदर सिंह के हथियारों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए।

13 मार्च 2023: अजनाला थाने पर हमले के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को घटनास्थल पर ले जाने के मामले में गठित 16 सदस्य कमेटी ने अपनी रिपोर्ट श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सौंप दी। कमेटी के कोऑर्डिनेटर करनैल सिंह पीर मुहम्मद ने सील बंद लिफाफे में यह रिपोर्ट उन्हें दी।

दिल्ली से सेंट्रल फोर्स मिलने के बाद पंजाब पुलिस के टॉप ऑफिशियल्स ने ऑपरेशन अमृतपाल को अंजाम देने पर आगे मंथन शुरू किया। इसमें चीफ सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी, लॉ एंड ऑर्डर, इंटेलिजेंस चीफ, काउंटर इंटेलिजेंस के एडीजीपी ने जॉइंट मीटिंग की। इनके बीच करीब आठ मीटिंग हुई। इसके बाद ही ऑपरेशन को अंतिम रूप देकर 18 मार्च को इसे लांच किया गया।

ऑपरेशन अमृतपाल के लिए 18 मार्च को ही क्यों चुना गया – Why was March 18 chosen for Operation Amritpal?

ऑपरेशन अमृतपाल को अंजाम देने के लिए पंजाब पुलिस ने 18 मार्च का ही दिन क्यों चुना, इसकी दो बड़ी वजहें हैं। पहली- अमृतपाल का खालसा वहीर मुक्तसर में रोका गया था और इसे वह 19 मार्च से फिर शुरू करने वाला था। पुलिस अगर इससे पहले एक्शन ना लेती, तो 19 मार्च से फिर वहां बड़ी संख्या में अमृतपाल के समर्थक एकत्रित होते, जिससे उसे गिरफ्तार करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता। पुलिस द्वारा 19 मार्च से पहले अमृतपाल पर कार्यवाही करने की सबसे बड़ी वजह यही थी।

दूसरी- पंजाब में जी-20 देशों के डेलिगेट्स की मुख्य मीटिंग 15 से 17 मार्च तक अमृतसर में होने वाली थी, इसलिए 17 मार्च तक सरकार किसी प्रकार का हंगामा नहीं चाहती थी। 17 मार्च को जैसे ही यह मीटिंग सफलतापूर्वक खत्म हुई, वैसे ही पुलिस ने अगले ही दिन एक्शन ले लिया। क्योंकि अमृतसर ही अमृतपाल सिंह का मुख्य बेस है। इसलिए कार्यवाही के लिए 17 मार्च तक रुकने की यही दूसरी बड़ी वजह रही।

पंजाब पुलिस का एक्शन – Punjab Police Action

वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल को शनिवार यानी 18 मार्च को गिरफ्तार करने की कोशिश की गई, मगर वह पुलिस को चकमा देकर भाग निकला और उसकी गाड़ी नकोदर में खड़ी मिली। लेकिन उसकी मां समेत उसके परिवारजनों और उसके वकील को शक है कि पुलिस उससे गिरफ्तार करके कहीं ले गई।

अमृतपाल सिंह पर विदेश से फंडिंग का शक – Suspicion of funding from abroad on Amritpal Singh

अमृतपाल सिंह के लिंक ISI के साथ जुड़े होने के प्रारंभिक संकेत मिलने के बाद जल्द ही केंद्र सरकार अलर्ट हो गई। अमृतपाल सिंह पर विदेश से फंडिंग मिलने का शक है। महंगी गाड़ियों में उसके सफर करने को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में इस केस में जल्द ही NIA की एंट्री हो सकती है।

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (National Security Act) क्या है?

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) एक ऐसा कानून है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति विशेष से कोई खास खतरा समझ में आता है, तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। यदि सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति देश के लिए खतरा है, तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। 1980 में देश की सुरक्षा के लिहाज से सरकार को ज्यादा शक्ति देने के उद्देश्य से इसे बनाया गया था। यह सरकार को शक्ति प्रदान करता है कि यदि उसे लगे कि किसी को देश हित में गिरफ्तार करने की आवश्यकता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के प्रावधान

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट के अनुसार संदिग्ध व्यक्ति को 3 महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है और इसकी अवधि आवश्यकता के अनुसार बढ़ाई भी जा सकती है। इसके साथ ही हिरासत में रखने के लिए आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती है। हिरासत की समयावधि को 12 महीने तक किया जा सकता है। संदिग्ध व्यक्ति के पक्ष में इस बात का प्रावधान किया गया है कि वह हाईकोर्ट के एडवाइजरी के सामने अपील कर सकता है और राज्य सरकार को यह बताना होता है कि इस व्यक्ति को संदेह के आधार पर हिरासत में रखा गया है।

NSA के प्रावधान का प्रयोग अमृतपाल सिंह के वकील ने किया

अमृतपाल के वकील ईमान सिंह खारा ने अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के शक पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। इस याचिका में दावा किया गया कि पंजाब पुलिस अमृतपाल सिंह को पकड़ चुकी है, मगर उसकी गिरफ्तारी शो नहीं की जा रही है। पिटीशन में मांग की गई है कि अमृतपाल सिंह को अदालत में पेश कराया जाए। याचिका पर सुनवाई हाईकोर्ट के जस्टिस शेखावत के घर पर हुई। इसमें कोर्ट ने अमृतपाल को पेश करने के लिए वारंट अफसर नियुक्त करने से तो इंकार कर दिया, लेकिन पंजाब सरकार से नोटिस जारी करते हुए गिरफ्तारी संबंधी जवाब मांग लिया।

नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) का इतिहास

ब्रिटिश शासन से जुड़ा यह एक प्रिवेंटिव कानून है, जिसका मतलब होता है कि किसी घटना के होने से पहले ही संदिग्ध को गिरफ्तार किया जा सकता है। 1881 में ब्रिटिशर्स ने अपने बंगाल रेगुलेशन थर्ड नाम का कानून बनाया था, जिसमें घटना से पहले ही गिरफ्तारी की व्यवस्था थी। उसी के बाद 1919 में रॉलेट एक्ट लाया गया, जिसमें व्यक्ति को ट्रायल तक की छूट नहीं थी। आजाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार 1950 में प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट लेकर आई। 1980 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी और उनकी सरकार ने 23 सितंबर 1980 को संसद से पास कराकर इसे कानून बना दिया।

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