इस रास्ते रूस से भारत मात्र आधे समय में पहुंचेगा सामान | पहले लगता था 41 दिन का समय

आज के इस लेख में हम अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा – INSTC (International North-South Transport Corridor) के बारे में जानेंगे कि ये कैसा गलियारा है कि रूस से भारत सामान पहले की अपेक्षा बहुत कम समय में पहुँच जाएगा।

तो आइये जानते है…..

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा – INSTC

हाल ही में ये चर्चा में इसलिए है क्योंकि रूस ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा के माध्यम से भारत के लिए माल की पहली खेप भेजकर मार्ग का परीक्षण किया है और यह परीक्षण सफल रहा। माल भारत तक सफलतापूर्वक पहुँच गया, जिसकी वजह से भविष्य के लिए INSTC संचालन को गति मिली है। यह भारत और रूस के बीच व्यापार के लिए सबसे छोटा मार्ग है। INSTC माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-मोड (मल्टीमॉडल) परिवहन नेटवर्क है।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा की नींव

सबसे पहले यह ख्याल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के दौरान आया था। इसकी नींव 12 सितम्बर 2000 को रूस, ईरान और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में रखी गयी थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देना था।

भारत के लिए इस गलियारे के मायने

भारत के लिए यह गलियारा बहुत मायने रखता है, क्योंकि इस गलियारे से अगर भारत-रूस का व्यापार होता है तो भारत की लागत और समय दोनों बचेगा। पहले जहां रूस से भारत सामान आने में लगभग 41 दिन लगता था वही यह घटकर 21 दिन हो जाएगा साथ ही लागत में भी 30% की कमी आएगी।

इसके अलावा मध्य एशिया के तटीय (Coastal) और स्थल रुद्ध (Landlocked) देशों के साथ व्यापार करने में जो समस्या आती थी उसमें भी अब फायदा होगा। इस गलियारें की मदद से भारत अब आसानी से अपने व्यापार को मध्य एशिया में बढ़ा पायेगा।

इसके अलावा भारत अश्गाबात समझौते से भी जुड़ा हुआ है इसलिए अब मध्य एशिया में व्यापार करने में भारत को कोई दिक्कत नहीं। इस हिसाब से पहले की अपेक्षा भारत का व्यापार बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। कुलमिलाकर अश्गाबात समझौता चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा के बीच की कड़ी है। यहाँ एक शब्द आया अश्गाबात समझौता, तो आइये थोड़ा अश्गाबात समझौते को समझ लेते है तभी हम इस मामले को ठीक से लिंक कर पाएंगे।

अश्गाबात समझौता से जुड़ना भारत के लिए फायदेमंद

अश्गाबात समझौता दरअसल मध्य एशिया और फारस की खाड़ी के बीच सामान के आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और परागमन गलियारा है। 2018 में अश्गाबात समझौते से जुड़ने के बाद भारत को इसके सदस्य देशों से होकर transit मार्ग मिल गया। इसके तहत भारत को फारस की खाड़ी के रास्ते मध्य एशिया में दाखिल होने की सुविधा हासिल हो गयी। यह समझौता ट्रांजिट और माल परिवहन से जुड़ा है।

मध्य एशिया भौगोलिक रूप से भारत से अधिक दूर नहीं है लेकिन पाकिस्तान के चलते भारत की इन क्षेत्रों के साथ व्यापारिक संबंध न के बराबर थे, क्योंकि बाक़ी रास्ते इतने लम्बे और घुमावदार हैं कि उनके जरिये सामान भेजने की लागत कई गुना तक बढ़ जाती थी।

भारतीय उत्पादकों को अपना सामान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक कीमतों में बेचना पड़ता है। ऐसे में एक सस्ता परिवहन मार्ग तलाशना जरुरी था, जो कि अश्गाबात समझौते से जुड़ने पर मिल गया साथ ही ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के लिए बेहतरीन विकल्प है।

INSTC में सदस्य देश

जब इसकी नींव रखी गयी तब इसमें रूस, भारत और ईरान सदस्य देश थे। 2005 में अजरबैजान शामिल हुआ। वर्तमान में इसमें कुल 13 सदस्य है। इन 13 सदस्य देशों में रूस, ईरान, भारत, अजरबैजान, बेलारूस, बुल्गारिया, आर्मेनिया, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ओमान, ताजिकिस्तान, तुर्की और यूक्रेन शामिल है।

INSTC व्यापार मार्ग

इस मार्ग का अभी हाल ही में परीक्षण हुआ और सफल भी रहा। इस मार्ग का परीक्षण इसलिए किया गया क्योंकि रूस और भारत का व्यापार अभी तक जिस मार्ग से होता आ रहा था वह बहुत ही लंबा और ज्यादा खर्चे वाला था। तो आइये इस मार्ग के बारे में जान लेते है।

इस मार्ग के अनुसार रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से भारत का सामान ट्रेन के माध्यम से पहले रूस की राजधानी मास्को आएगा, मास्को से कैस्पियन सागर में स्थित रूस के बंदरगाह अस्त्राखान पहुंचेगा। अस्त्राखान से आगे बढ़ते हुए कैस्पियन सागर में ही एक तेल उत्पादक देश है अजरबैजान उसकी राजधानी बाकू पहुंचेगा। बाकू बिल्कुल कैस्पियन सागर से किनारे से अपनी सीमा सांझा करता है।

बाकू से आगे बढ़ते हुए पहुंचेगा ईरान के बंदरगाह बंदर-ए-अंजली, बंदर-ए-अंजली से आगे बढ़ते हुए ईरान के ही बंदरगाह बंदर-ए-अव्वास पहुंचेगा। बंदर-ए-अव्वास बंदरगाह भारत द्वारा विकसित बंदरगाह चाबहार के बगल में ही है। यहाँ से आगे बढ़ते हुए अरब सागर होते हुए पहुंचेगा मुंबई।

पहले इस रास्ते आता था रूस से भारत सामान

अभी जो INSTC का पहली बार परीक्षण हुआ इससे पहले रूस और भारत का व्यापार जिस रास्ते होता था वह बहुत लंबा था, तो आइये उस मार्ग के बारें में जान लेते है।

जिस प्रकार से मुंबई भारत का औद्योगिक केंद्र है ठीक उसी प्रकार से सेंट पीटर्सबर्ग रूस का, तो सेंट पीटर्सबर्ग से सामान सबसे पहले बाल्टिक सागर में जाता था, बाल्टिक सागर से उत्तरी सागर, उत्तरी सागर से उत्तरी अटलांटिक सागर, उत्तरी अटलांटिक सागर से जिब्राल्टर जलसंधि होते हुए भूमध्य सागर में पहुँचता था। भूमध्य सागर से स्वेज नहर, स्वेज नहर से लाल सागर, लाल सागर से अरब की खाड़ी, अरब की खाड़ी से भारत पहुँचता था

इस लम्बे घुमावदार मार्ग के माध्यम से रूस से भारत सामान आने में लगभग 40 से 41 दिन का समय लगता है। फोटो देखकर आप तुलनात्मक रूप से ये अंदाजा लगा सकते है कि पहले वाला मार्ग कितना लंबा व घुमावदार है।

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