E-Waste: ई-वेस्ट यानी कि ई-कचरा क्या है? | ई-वेस्ट प्रबंधन नियम 2022

आज के इस लेख में हम ई-कचरा प्रबंधन (E-waste Management) टॉपिक के अंतर्गत जानेंगे कि ई-वेस्ट यानी कि इलेक्ट्रॉनिक-कचरा क्या है, इसका प्रबंधन कैसे किया जाए, इसको लेकर भारत की स्थिति क्या है और भारत सरकार ने इसको लेकर क्या नियम बनाए हैं, इसको लेकर भारत का इतिहास क्या रहा है? इससे जुड़े हुए अन्य समस्त मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे।

तो आइए जानते हैं……..

विषय सूची

चर्चा में क्यों?

तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण, डिजिटलीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण दुनिया भर में ई वेस्ट यानी ई-कचरा लगातार तेजी से बढ़ रहा है। ई-कचरे के प्रबंधन की बढ़ती समस्या और इससे निपटने की निरंतर बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए नवंबर 2022 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने ई-कचरा नियमों का एक नया सेट अधिसूचित किया, जो 1 अप्रैल 2023 से लागू होगा।

चर्चा इसलिए भी है, क्योंकि पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा 1 अप्रैल 2023 से लागू होने वाले जिन नियमों को अधिसूचित किया गया है, वो नियम कुछ मुद्दों को संबोधित करते हैं और कुछ मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं।

ई-कचरा क्या है – What is E-Waste (ई-वेस्ट क्या है)?

ई-कचरा यानी ऐसे इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक सामान जिसे खराब होने या ठीक से काम न करने पर फेंक दिया जाता है। ई-कचरा इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट के लिए इस्तेमाल होने वाला छोटा स्वरूप है और इस शब्द का प्रयोग पुराने या अंत में छोड़े गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इसमें अनेक घटक, उपभोग्य वस्तुएं और पुर्जे शामिल हैं।

ई-कचरा

भारत में ई-कचरा नियमों के प्रमुख घटक – Major components of e-waste regulations in India

विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (EPR- Extended Producer Responsibility)

ई-कचरा नियमों का पहला सेट 2011 में अधिसूचित किया गया और 2012 में लागू हुआ। 2011 में जो नियम अधिसूचित किए गए थे, उनमें विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (EPR) का उल्लेख था। इसके तहत उपभोक्ता द्वारा किसी भी इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का त्याग कर देने के पश्चात, उसके सुरक्षित निपटान के लिए निर्माता जिम्मेदार होंगे।

प्राधिकरण और उत्पाद प्रबंधन (Authorization and Product Stewardship)

ई-कचरा नियम 2016, जिसमें प्राधिकरण और उत्पाद प्रबंधन को बढ़ावा देने का प्रावधान किया गया था, उसमें 2018 में संशोधन करते हुए हित धारकों की अन्य श्रेणियां, जैसे- उत्पादक उत्तरदायित्व संगठन भी शामिल कर दिया गया।

ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 – E-waste Management Rules 2022

ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने ई-कचरे से जुड़े नियमों को नवंबर 2022 में ही अधिसूचित कर दिया था, जो अब 1 अप्रैल 2023 से अमल में लाए जाएंगे। अधिसूचित नियमों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक जागरूकता अभियान चलाए जाने की पेशकश की गई। इस अभियान के दौरान सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उत्पादों से जुड़े उद्योगों को इससे जुड़ी जानकारी दी जाएगी।

  • 1 अप्रैल 2023 से लागू होने वाले इस नियम के तहत ई-कचरा पैदा करने वाले ब्रांड उत्पादों की जवाबदेही तय होगी, यानी कि उन्हें किसी भी अधिकृत री-साइक्लर से पैदा किए जाने वाले ई-कचरे के बराबर या फिर निर्धारित मात्रा के बराबर री-साइक्लिंग उत्पाद का सर्टिफिकेट लेना होगा।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022, अपशिष्ट या इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण, बिक्री, हस्तांतरण, खरीद, नवीनीकरण, निराकरण, पुनर्चक्रण और प्रसंस्करण में शामिल सभी व्यवसायों और व्यक्तियों पर लागू किए जाएंगे।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 में सभी विद्युत उपकरण और रेडियोथैरेपी उपकरण, परमाणु चिकित्सा उपकरण और सहायक उपकरण, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई), एयर कंडीशनर, माइक्रोवेव, बिजली के खिलौने, टेबलेट, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, आईपैड और भी अन्य कई सामग्रियों को शामिल किया गया है।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 में इलेक्ट्रॉनिक घटक, उपभोग्य वस्तुएं और पुर्जों को शामिल किया गया है, लेकिन ये नियम बेकार बैटरियों पर लागू नहीं होते हैं। बेकार बैटरियों पर बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2022 लागू होते हैं।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए भी लागू नहीं है क्योंकि प्लास्टिक की पैकेजिंग, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अंतर्गत आती हैं।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022, विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण के लिए खतरनाक पदार्थों के उपयोग को प्रतिबंधित करता है इस नियम के तहत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माताओं के लिए सीसा, पारा, कैडमियम और अन्य ऐसे ही खतरनाक पदार्थों के उपयोग को कम करना अनिवार्य है, जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा खतरनाक पदार्थों के कम उपयोग के अनुपालन की निगरानी और सत्यापन के लिए बाजार में बिकने के लिए उपलब्ध बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की यादृच्छिक (अचानक, कभी भी) गुणवत्ता की जांच की जा सकेगी।
  • ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 के तहत नए इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात या बिक्री की अनुमति केवल तभी दी जाएगी, जब वह सरकारी नियमों का पालन करते हों, यदि उत्पाद नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो निर्माता को बाजार से अपने सभी उत्पाद वापस लेने होंगे।

ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 की पृष्ठभूमि – Background of E-Waste Management Rules 2022

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अधीन ई-कचरा प्रबंधन नियम 2022 को अधिसूचित किया है, जो कि 1 अप्रैल 2023 से लागू होंगे। कचरा प्रबंधन नियम 2022 के तहत केंद्र सरकार ने ई-कचरा श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की संख्या 21 से बढ़ाकर 106 कर दी है।

भारत में ई-कचरा – e-waste in india

  • भारत में 2019-20 में उत्पन्न कुल 10,14,961.21 टन ई- कचरे में से केवल 22.7% कचरे को ही एकत्रित, विघटित पुनर्चक्रण या निपटान किया जा सका।
  • ये जो डाटा दिया गया है, यह ई-कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत अधिसूचित 21 प्रकार के विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का है।
  • संयुक्त राष्ट्र वैश्विक ई-कचरा निगरानी रिपोर्ट के अनुसार चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत ई-कचरे का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • महाराष्ट सभी भारतीय राज्यों में सबसे अधिक ई-कचरा का उत्पादन करता है।
  • उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और तमिलनाडु भारत के ऐसे राज्य हैं, जिनके पास ई-कचरे को खत्म करने या रीसायकल करने की बड़ी क्षमता है।
  • ई-कचरा आमतौर पर नगरपालिका की ठोस कचरे की सूची में शामिल नहीं होता है, इसलिए शहरों के लिए उन्हें इकट्ठा करना, परिवहन करना और प्रबंधित करना बहुत ही जटिल समस्या है। यही कारण है कि भारत के लगभग 78% ई-कचरे का प्रबंधन या निपटारा सरकार द्वारा नहीं किया जा सका है।
ई-कचरा

भारत में ई-कचरे के प्रबंधन से संबंधित चुनौतियां – Challenges related to e-waste management in India

लोगों की कम भागीदारी

उपयोग किए जा चुके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रीसाइक्लिंग के लिए उपलब्ध कराने में बहुत कम लोग रुचि दिखाते हैं, यानी कि यदि कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान खराब हो गया, तो उसको इधर-उधर ऐसे ही फेंक दिया जाता है। ऐसा करने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि बाजार में बहुत सारे ऐसे प्रोडक्ट उपलब्ध हैं, जो एक बार खराब हो जाते हैं, तो उनको बनाया नहीं जा सकता है। कहने का आशय यह है कि सामान खराब होने की अवस्था में जब आप बाजार पहुंचते हैं, तो संबंधित दुकानदार द्वारा यह कहा जाता है कि इस प्रोडक्ट की रिपेयरिंग नहीं की जा सकती है।

इस वजह से ई-कचरा और बढ़ रहा है। इसे ही देखते हुए हाल के कुछ वर्षों में दुनिया भर के कई देशों में मरम्मत के अधिकार (Right to Repair) कानूनों को पारित करने का प्रयास किया जा रहा है। अगर ई-कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन करना है, तो यह केवल जनभागीदारी से ही संभव होगा।

बाल श्रम की भागीदारी

भारत में 10 से 14 आयु वर्ग के लगभग 4.5 लाख बाल श्रमिक विभिन्न ई-कचरा गतिविधियों में लगे हुए हैं और वह भी विभिन्न यार्डों और रीसाइक्लिंग कार्यशाला में पर्याप्त सुरक्षा और सुरक्षा उपायों के बिना।

स्वास्थ्य को खतरा

ई-कचरे में लगभग 1,000 से अधिक जहरीले पदार्थ होते हैं, जो मिट्टी और भू-जल को दूषित करते हैं और इसका प्रभाव समस्त जीव-जंतुओं पर पड़ता है।

प्रोत्साहन योजनाओं का अभाव

असंगठित क्षेत्र के लिए ई-कचरे के निपटान के लिए कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। साथ ही ई-कचरे के निपटान के लिए औपचारिक रास्ता अपनाने हेतु लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए आज तक सरकार द्वारा कोई भी योजना नहीं लाई गई।

संबंधित अधिकारियों की अनिच्छा

नगर पालिकाओं और गैर भागीदारी सहित ई-कचरा प्रबंधन और निपटान के लिए जिम्मेदार विभिन्न प्राधिकरणों के बीच हमेशा समन्वय का अभाव देखा गया है।

ई-कचरे के निपटान और प्रबंधन में प्रारंभिक कदम क्या हो सकते हैं?

जितना आवश्यक हो उतना ही सामान खरीदें

कुछ लोग शौक बस अन्य-अन्य वैरायटी के कई सामान खरीद लेते हैं, हालांकि उनका उपयोग नहीं कर पाते हैं और एक दिन कचरे में ही फेंक देते हैं या फिर सामान खरीदते समय इन बातों का ध्यान नहीं रखते हैं कि ये जो समान मैं खरीद रहा हूं, निर्माता इसका पुनर्चक्रण या पुनः उपयोग नहीं कर सकता है। इस वजह से ई-कचरा और बढ़ता है, इसलिए कचरे के निपटान और प्रबंधन में योगदान देने के लिए कोई भी सामान खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि निर्माता इसका पुनर्चक्रण कर सकता है या नहीं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि ऐसा सामान खरीदें जो लंबी अवधि तक चले।

ई-कचरे का दान करें

कई बार ऐसा होता है कि हमारे ही पास ऐसी कई चीजें होती हैं, जिनका उपयोग करने के पश्चात या पुरानी हो जाने पर हम घर में ही रखा रहने देते हैं और नई खरीद लेते हैं। जब भी कोई इलेक्ट्रॉनिक चीज काफी दिनों तक बिना उपयोग में लिए हुए रखी रहती है, तो वह रखे-रखे खराब हो जाती है और फिर उसको कचरे में फेंक दिया जाता है। जैसे- मोबाइल है, लैपटॉप है, खिलौने हैं… आदि। तो इस प्रकार की स्थिति में हमें ऐसी चीजों को ऐसे लोगों को दे देना चाहिए, जो उनका उपयोग कर सकें और उन्हें जरूरत भी है। ऐसे में ई-कचरा भी नहीं होगा और वस्तु का उपयोग भी हो जाएगा।

अप्रयुक्त उत्पाद बेचना – sell unused products

हमारे पास या घर में रखी हुई ऐसी कोई वस्तु जो हमारे उपयोग की नहीं है या फिर खराब हो चुकी है, तो उनको इधर-उधर फेंकने से अच्छा होगा कि उसको बेच दें। ऐसा करने से उस वक्त का उचित प्रबंधन किया जा सकेगा, जोकि ई-कचरे के निपटान और प्रबंधन में बेहतरीन भूमिका निभाएगा।

पुनर्चक्रण संभावनाओं के बारे में जागरूकता

लोगों-लोगों तक इस बात की जानकारी पहुंचाना की कोई भी सामान खरीदते समय यह जरूर देखें कि जो सामान हम खरीद रहे हैं, उसका पुनर्चक्रण किया जा सकता है या नहीं। जिस किसी भी वस्तु का पुनर्चक्रण किया जा सकता है, तो उस वस्तु के माध्यम से कचरा नहीं फैलता है, यानी कि उसको पुनः उपयोग के लिए बनाया जा सकता है। इसके अलावा ऐसा प्रोडक्ट खरीदे जो लंबे समय तक चले। ऐसा करने से बार-बार कोई चीज खरीदनी नहीं पड़ती है और इस वजह से पुरानी चीजें हमारे पास इकट्ठा नहीं होती हैं, जिन्हें कचरा बोला जाता है।

ई-वेस्ट संबंधित प्रश्न

प्रश्न: ई-कचरा प्रबंधन का नया नियम कब लागू हुआ?

उत्तर: 1 अप्रैल 2023

प्रश्न: ई-कचरा प्रबंधन जो नया नियम 1 अप्रैल 2030 को लागू हुआ, उसे कब अधिसूचित किया गया था?

उत्तर: नवंबर 2022

प्रश्न: ई-कचरा श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की संख्या 21 से बढ़ाकर कितनी कर दी गई है?

उत्तर: 106

प्रश्न: ई कचरा प्रबंधन नियम 2022 मैं किस इलेक्ट्रॉनिक वस्तु को सम्मिलित नहीं किया गया है?

उत्तर: बेकार बैटरियों को

प्रश्न: घरेलू और व्यावसायिक इकाइयों से कचरे को अलग करने, प्रसंस्करण और निपटान के लिए भारत का पहला ई-कचरा क्लिनिक कहां स्थापित किया गया है?

उत्तर: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में

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