आज के इस लेख में हम लिथियम – Lithium के बारे में जानेंगे कि लिथियम क्या है, इसका इस्तेमाल कहां होता है, इसकी वैल्यू क्या है और यह भविष्य के लिए कितना उपयोगी है?
तो आइए जानते हैं…….
चर्चा में क्यों?
भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लिथियम का भंडार मिला है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI – Geological Survey of India) ने पहली बार जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाह-हैमाना इलाके में करीब 59 लाख (5.9 मिलियन) टन लिथियम भंडार खोजे हैं। लिथियम के साथ ही सोने के भी 5 ब्लॉक मिले हैं।
क्या है लिथियम – what is lithium ?
लिथियम विश्व स्तर पर सबसे अधिक मांग वाले खनिजों में से एक रासायनिक खनिज है। इसकी खोज पहली बार 1817 में जोहान अगस्त और अरफवेडसन द्वारा की गई थी। लिथियम नाम ग्रीक शब्द लिथोस से आया है। इसका मतलब पत्थर होता है।
- लिथियम एक अलौह (जिसमें लोहे की मात्रा नहीं पाई जाती) धातु है।
- यह देखने में चांदी जैसा सफेद दिखता है।
- इसका रासायनिक चिन्ह Li है।
- इसकी परमाणु संख्या 3 है।
- रासायनिक श्रृंखला में यह क्षार धातु समूह का सदस्य है।
- यह एक सबसे कम घनत्व वाला ठोस पदार्थ है।
- कम घनत्व होने के कारण साधारण परिस्थितियों में यह प्रकृति की सबसे हल्की धातु मानी जाती है।
- अन्य क्षार धातुओं के समान ही यह भी अत्यंत अभिक्रियाशील है, यानी अन्य पदार्थों के साथ तेजी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है।
- यदि इसे खुले में रख दिया जाए, तो यह वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से जल्द ही अभिक्रिया कर लेता है, यानी जलने लगता है।
- अत्यंत अभिक्रियाशील होने की वजह से इसे तेल में डुबोकर रखा जाता है।
- तेल से निकाले जाने पर यह चमकीला दिखता है, लेकिन अपनी तीव्र अभिक्रियाशीलता की वजह से बहुत ही जल्द अपनी चमक खो कर भूरा दिखने लगता है और फिर काला होने लगता है।
- अपनी तीव्र अभिक्रियाशीलता की वजह से ही यह शुद्ध रूप से प्रकृति में कभी नहीं मिलता है, बल्कि अन्य तत्वों के साथ यौगिकों में पाया जाता है।
- धातु होने के बावजूद भी इसे आसानी से चाकू द्वारा काटा जा सकता है।
लिथियम का इस्तेमाल कहां होता है – Where is lithium used?
लिथियम का इस्तेमाल मोबाइल, लैपटॉप, गाड़ियों समेत सभी तरह की चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। मोटे तौर पर आप इसके इस्तेमाल को ऐसे समझ सकते हैं कि जितनी भी इलेक्ट्रिक से चलने वाली चीजें हैं, उन सभी में स्टोरेज के लिए लिथियम से बनी हुई लिथियम-ऑयन की बैटरियां ही लगी होती हैं।
- एलुमिनियम और मैग्नीशियम के साथ लिथियम को मिलाकर मजबूत मिश्र धातु बनाई जाती है, जिनका इस्तेमाल अन्य कई सामान बनाने में होता है। जैसे- कवच, एयरक्राफ्ट, हाई स्पीड ट्रेन, साइकिलों के फ्रेम…….. आदि।
- बाइपोलर डिसऑर्डर और मूड स्विंग जैसी बीमारियों के इलाज में भी लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है।
लिथियम की कीमत – lithium price
खरीद-फरोख्त बाजार में (Commodity Market) हर दिन कीमती धातुओं, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, ऊर्जा और मसालों जैसी चीजों की कीमत बदलती रहती है। यानी हर दिन अलग-अलग कीमत तय होती है। इस समय 1 टन लिथियम की कीमत 57.36 लाख रुपए है। भारत में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। वर्तमान में इसकी कीमत के अनुसार भारत में मिले लिथियम की कीमत 3,384 अरब रूपए होगी और आने वाले समय में इसकी कीमत बढ़ेगी ही, क्योंकि पूरे विश्व में लिथियम की बहुत ज्यादा मांग है।
लिथियम को सफेद सोना क्यों कहा जाता है – Why is lithium called white gold?
स्मार्टफोन और लैपटॉप से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियों तक की बैटरियों में लिथियम का इस्तेमाल हो रहा है। इसी वजह से दुनिया भर की कंपनियां लिथियम के पीछे पड़ी हुई हैं। लिथियम को दुनिया की एनर्जी जरूरतों का भविष्य माना जा रहा है। भविष्य में जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल, डीजल, कोयला आदि की उपलब्धता कम होते जाने से ही दुनिया इनके विकल्प के रूप में लगातार क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है।
क्लीन एनर्जी ऐसी एनर्जी है, जिसके इस्तेमाल से वातावरण में प्रदूषण नहीं होता है। सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी ऐसी क्लीन एनर्जी हैं, जो रिन्यूएबल एनर्जी हैं, यानी कभी खत्म ना होने वाली एनर्जी।
सोलर और विंड से एनर्जी पैदा करने के लिए लिथियम बैटरियों की जरूरत पड़ेगी। साथ ही जब सूरज चमक न रहा हो यह हवा बह न रही हो, तब भी लिथियम बैटरियों में स्टोर एनर्जी इंसान की एनर्जी जरूरतों को पूरा करने के काम आ सकती है।
वर्तमान में इसकी कीमत और भविष्य में इसकी जरूरत और उपयोगिता के साथ ही भविष्य में इसकी उपलब्धता और इसके लिए होने वाली मारामारी को देखते हुए, चूँकि लिथियम का रंग भी सफेद होता है, इसलिए इसे सफेद सोना कहा जाता है।
लिथियम की विशेषताएं और उसका महत्व – Lithium characteristics and its importance
मन में एक सवाल जरूर चल रहा होगा कि लिथियम के अलावा अन्य चीजों से भी तो बैटरियां बनाई जा सकती है, फिर भी लिथियम ही क्यों? इससे पहले भी तो बैटरियां बनती रही होंगी? तो बता दूं कि लिथियम से बनने वाली बैटरियों की कुछ अलग विशेषताएं होती है, इस वजह से लिथियम का महत्व ज्यादा है। तो आइए उन विशेषताओं के बारे में जानते हैं।
- छोटा लेकिन शक्तिशाली – small yet powerful: लिथियम से बनी बैटरियां कम जगह में ज्यादा स्टोर करने की क्षमता रखती हैं। जिस प्रकार से दुनिया स्माल से माइक्रो और माइक्रो से नैनो की तरफ तेजी से बढ़ रही है, उस हिसाब से आने वाले समय में लिथियम अपने इस गुण की वजह से बहुत ही उपयोगी साबित होने वाला है।
- फास्ट चार्जिंग संभव – fast charging possible: लिथियम से बनी बैटरियों में बहुत जल्दी चार्ज होने का एक ख़ास गुण होता है, जो आज के दौर में लोगों को बहुत पसंद है। आप सभी ने एक बात देखा और महसूस जरूर किया होगा कि पहले की तुलना में अब जो मोबाइल आ रहें हैं, वो बहुत जल्दी चार्ज हो जाते हैं।
- खुद से डिस्चार्ज नहीं होते हैं – Do Not Self-Discharge: आप सभी ने आज से पहले बिजली चली जाने के बाद ये बात जरूर सुनी होगी कि मोबाइल चार्ज में लगा था, निकाल दो, नहीं तो, जो भी बैटरी चार्ज हुई है, वो भी उतर जाएगी। पर अब जो लिथियम ऑयन की बेटियां आ रही हैं, उनमें डिस्चार्ज होने का कोई रिस्क नहीं है।
- बार-बार चार्ज करने और डिस्चार्ज होने के टेंशन से मुक्ति – Freedom from the stress of frequent charging and discharging: जैसा कि मैंने बताया कि लिथियम से बनी बैटरियों में कम जगह में ज्यादा स्टोर करने की क्षमता होती है। इस वजह से एक बार पूरी तरह से बैटरी चार्ज हो जाने पर, जल्द ही दोबारा चार्ज करने की टेंशन नहीं रहती है, यानी कि अच्छा बैकअप मिल जाता है और यही कारण है कि लिथियम से बनी हुई बैटरियों में बार-बार चार्ज करने और डिस्चार्ज होने का टेंशन नहीं रहता है।
- बिना पिन लगाए चार्ज करो – Support Wireless Charging: लिथियम से बनी बैटरियों को बिना पिन लगाए भी चार्ज किया जा सकता है। मार्केट में बहुत सारे ऐसे प्रोडक्ट आ चुके हैं, जिन्हें आप केवल चार्जर के ऊपर रख दीजिए, वो अपने आप चार्ज हो जाएंगे। जैसे- मोबाइल, ब्लूटूथ, वॉकी टॉकी, एयर बर्ड्स आदि।
इन्हीं खासियतों की वजह से लिथियम का महत्व बहुत ज्यादा है और आने वाले समय में और ज्यादा बढ़ेगा।
भारत कहां से मंगाता है लिथियम – Where does India get lithium from?
साल 2020 से भारत लिथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर है। भारत अपनी लिथियम-ऑयन बैटरियों का करीब 70 से 80% हिस्सा चीन से मंगाता है। भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलिविया जैसे लिथियम के धनी देशों की खदानों में हिस्सेदारी खरीदने पर काम कर रहा है। भारत लिथियम के लिए अभी पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर है, लेकिन अब देश में ही लिथियम मिलने से बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही अन्य देशों पर निर्भरता भी कम होगी।
भारत में लिथियम की उपलब्धता से भविष्य की संभावनाएं
भारत के जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में लिथियम के प्रचुर मात्रा में भंडार पाए जाने पर भविष्य के लिए बहुत सारी संभावनाएं व्यक्त की जा रही है। जैसे-
- आने वाले समय में चीन सहित विश्व के कई देशों पर लिथियम को लेकर भारत की निर्भरता कम होगी।
- इलेक्ट्रिक-इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी सेक्टर में क्रांति आएगी।
- बैटरी की पर्याप्त उपलब्धता की वजह से इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट बढ़ेगा।
- इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट बढ़ने की वजह से पेट्रोल और डीजल पर भारत की निर्भरता कम होगी।
- पेट्रोल और डीजल कम आयात करने की वजह से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा।
- पेट्रोल और डीजल वाली कार बनाने वाली कंपनियां धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक कार की ओर शिफ्ट होंगी।
- भारत लिथियम का निर्यात करके भी विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा सकेगा।
- आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बाद ऑटो सेक्टर में भारत तीसरे नंबर की ओर अग्रसर होगा।
- भारत में लिथियम की इतनी बड़ी खोज भविष्य में रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण होगी।
- अन्य कई सेक्टर भी प्रभावित होंगे।
भविष्य में लिथियम की मांग – Lithium demand in the future
अभी दुनिया में एक करोड़ इलेक्ट्रिक कारें हैं, जिनके इस दशक के अंत तक 14 करोड हो जाने का अनुमान है। ज्यादा इलेक्ट्रिक कारों का मतलब होगा, ज्यादा लिथियम बैटरियों की मांग। एक सिंगल इलेक्ट्रिक गाड़ी की बैटरी में भी कम से कम 8 किलोग्राम लिथियम की जरूरत पड़ती है। हर साल दुनिया में 7 अरब लिथियम-ऑयन बैटरियां बेची जाती हैं और इसके 2027 तक बढ़कर 15 अरब हो जाने का अनुमान है।
लिथियम भंडारण की मात्रा के आधार पर देशों का क्रम – Ranking of countries by the amount of lithium storage
ये जो आंकड़े दिए जा रहे हैं, ये 2021 तक के आंकड़े हैं। अभी हाल ही में भारत के जम्मू और कश्मीर में 5.9 मिलियन टन लिथियम होने की खबर आई है, इस हिसाब से इस आंकड़े में हम भारत को भी शामिल कर रहे हैं।
क्रम | देश | मात्रा (मिलियन टन) |
1. | चिली | 9.2 |
2. | भारत | 5.9 |
3. | ऑस्ट्रेलिया | 5.7 |
4. | अर्जेंटीना | 2.2 |
5. | पुर्तगाल | 1.5 |
6. | चीन | 1.5 |
7. | अमेरिका | 0.75 |
विश्व में लिथियम का बाजार – Lithium market in the world
2020 में लिथियम का वैश्विक व्यापार 6667 करोड़ रुपए था।
2020 के शीर्ष-5 निर्यातक देश – Top-5 exporting countries of 2020
क्रमांक | देश | निर्यात (रुपए में) |
1. | चीन | 4661 करोड़ रुपए |
2. | चिली | 555 करोड़ रुपए |
3. | अमेरिका | 547 करोड़ रुपए |
4. | रूस | 547 करोड़ रुपए |
5. | नीदरलैंड | 129 करोड़ रुपए |
2020 के शीर्ष-5 आयातक देश – Top-5 Importing Countries of 2020
क्रमांक | देश | आयात (रुपए में) |
1. | साउथ कोरिया | 2999 करोड़ रुपए |
2. | जापान | 2510 करोड़ रुपए |
3. | बेल्जियम | 325 करोड़ रुपए |
4. | भारत | 110 करोड़ रुपए |
5. | जर्मनी | 82 करोड़ रुपए |
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