आज के इस लेख में हम ‘प्रोजेक्ट 15बी – Project 15B’ के बारे में जानेंगे कि यह क्या है? कब शुरू हुआ और इसके तहत कितने युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है।
तो आइए जानते हैं……
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रोजेक्ट 15बी के तहत बने युद्धपोत ‘मोरमुगाओ – Mormugao’ को भारतीय नेवी में शामिल किया गया। इसके कमीशनिंग समारोह में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा CDS जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई और गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत शामिल हुए थे।
क्या है प्रोजेक्ट 15बी – what is Project 15B
- जनवरी 2011 में 35 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट 15B को अप्रूवल मिला।
- इस प्रोजेक्ट के तहत 4 युद्धपोतों का निर्माण किया जाना था।
- इन्हें विशाखापट्टनम, मोरमुगाओ, इम्फाल और सूरत नाम दिए गए।
- 2013 में सबसे पहले विशाखापट्टनम पर काम शुरू हुआ।
- 2015 में मोरमुगाओ और 2017 में इम्फाल पर काम शुरू हुआ।
- 2025 तक प्रोजेक्ट के चारों युद्धपोतों के कमीशन होने की उम्मीद है।
चारों युद्धपोतों का निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड कर रहा है।
प्रोजेक्ट 15बी का इतिहास – History of Project 15B
- प्रोजेक्ट 15B के तहत भारत वर्ल्ड क्लास मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स तैयार कर रहा है, इनकी क़्वालिटी अमेरिका और यूरोप के नामी शिपबिल्डर्स को टक्कर देती है।
- सोवियत मूल के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स खरीदने के कुछ वक्त बाद नौसेना ने सोचा कि क्यों ना स्वदेशी डिजाइन तैयार किए जाएं। प्रोजेक्ट 15 डिस्ट्रॉयर्स इसी सोच का नतीजा है। इससे निकले जहाज- दिल्ली, मैसूर और मुंबई नौसेना के फ्रंटलाइन जहाजों में से हैं। जल्द ही आगे की तैयारी शुरू कर दी गई और अगले प्रोजेक्ट का नाम रखा गया प्रोजेक्ट 15ए। इस प्रोजेक्ट के तहत INS कोलकाता, INS कोच्चि और INS चेन्नई अस्तित्व में आए।
- प्रोजेक्ट 15ए की खास बात यह रही कि प्रमुख रुसी सिस्टम्स को स्वदेशी सिस्टम से बदला गया। इन्हें कोलकाता क्लास डिस्ट्रॉयर्स भी कहा जाता है।
- इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए स्वदेशी डिस्ट्रॉयर्स और ज्यादा बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट 15B लाया गया। प्रोजेक्ट 15बी के तहत बने जहाज विशाखापट्टनम क्लास में आते हैं। इस प्रोजेक्ट के हर जहाज को चार गैस टर्बाइन्स से चलाया जाता है।
प्रोजेक्ट 15ए और प्रोजेक्ट 15बी में अंतर – Difference between Project 15A and Project 15B
- दोनों प्रोजेक्ट्स के तहत बनने वाले हर डिस्ट्रॉयर्स का डिजाइन एक जैसा है। विशाखापट्टनम क्लास यानी प्रोजेक्ट 15बी के डिस्ट्रॉयर्स की प्रमुख तोप 127mm की है, जबकि कोलकाता क्लास यानी प्रोजेक्ट 15ए में 76mm की तोप लगी है।
- प्रोजेक्ट 15B के डिस्ट्रॉयर्स का मास्ट (एक प्रकार का ऑब्ज़र्वर) बदला गया है। इनमें पूरा कंट्रोल सिस्टम लगा है, जो क्रू को न्यूक्लिअर, केमिकल या बायोलॉजिकल युद्ध की स्थिति में ज्यादा प्रोटेक्शन देगा।
- प्रोजेक्ट 15ए के मुकाबले प्रोजेक्ट 15बी के डिस्ट्रॉयर्स को डिटेक्ट कर पाना और मुश्किल है। नए डिस्ट्रॉयर्स का पेंट रडार ऑब्जर्वेंट (तेज नजर) हैं और इसके प्रोपेलर्स (नोदक) कम आवाज करते हैं।
युद्धपोत सूरत
- युद्धपोत सूरत प्रोजेक्ट 15बी कार्यक्रम के तहत बनने वाला चौथा और अंतिम विध्वंसक पोत है।
- रडार को चकमा देने वाली प्रणाली से लैस।
- विध्वंसक गाइडेड मिसाइल से युक्त।
- प्रोजेक्ट 15ए (कोलकाता श्रेणी) विध्वंसक के एक महत्वपूर्ण बदलाव का परिचायक।
- गुजरात की वाणिज्यिक राजधानी सूरत पर नामकरण।
चीन की चार सौ बीसी से निपटने के लिए भारत का प्रोजेक्ट-75
- चीन के पास अभी 350 वॉरशिप्स हैं, उसका टारगेट 2030 तक इनकी संख्या 420 पहुंचाना है।
- हिन्द महासागर में चीन की घुसपैठ रोकने के लिए Indian Navy को अपनी ताकत बढ़ाना जरुरी है।
- भारत, नेवी प्रोजेक्ट-75 के तहत एंटी शिप क्रूज मिसाइल और लैंड अटैक क्रूज मिसाइल वाली सबमरीन्स बनाएगा।
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