आज के इस लेख में हम ‘पृथ्वी-2 मिसाइल – Prithvi-2 Missile’ और उसकी खासियत के बारे में जानेंगे साथ ही पृथ्वी मिसाइलों के बारे में भी जानेंगे कि सामरिक दृष्टिकोण से ये भारत के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं।
तो आइए जानते हैं……
विषय सूची
चर्चा में क्यों?
रात में हमला करने की क्षमता और सटीकता की जांच करने के उद्देश्य से 10 जनवरी 2023 की रात ओडिशा के चांदीपुर से भारत के स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड ने कम दूरी की परमाणु बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 का सफल परीक्षण किया। यह एक यूजर ट्रेनिंग लांच था, यानी कमांड में आए नए अधिकारियों को मिसाइल लॉन्चिंग की ट्रेनिंग देना, साथ ही मिसाइल की क्षमताओं की जांच करना।
इससे पहले अक्टूबर 2020 में भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर DRDO Vacancy में चयनित लोगो द्वारा आंख दिखाने वाले पड़ोसियों को साफ संदेश दिया था।
रात में परीक्षण क्यों किया गया?
दिन में उजाला होने की वजह से लक्ष्य के प्रति इनकी सटीकता और हमला करने की क्षमता की उचित तरीके से जांच नहीं हो पाती है, इस वजह से इन दोनों ही चीजों की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए रात में परीक्षण किया गया।
पृथ्वी-2 मिसाइल
- पृथ्वी-2 देश में विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली पृथ्वी बैलेस्टिक मिसाइल श्रृंखला की एक शॉर्ट-रेंज बैलेस्टिक मिसाइल है, जिसकी रेंज लगभग 250-350 किलोमीटर है। यह 500 से 750 किलो पेलोड ले जाने में सक्षम है।
- यह मिसाइल एकल चरण तरल ईंधन (सिंगल स्टेज लिक्विड फ्यूल) मिसाइल है, जिसमें 500 से 750 किलोग्राम की वारहेड माउंटिंग क्षमता है।
- यह दुश्मन के एंटी बैलेस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी को धोखा देने में सक्षम है। यह सात तरह के हथियारों से लैस हो सकती है, जिसमें पारंपरिक से लेकर परमाणु तक शामिल हैं।
- इस मिसाइल में छेद करने वाले, क्लस्टर बम, टुकड़े करने वाले, गर्मी पैदा करने वाले और टैक्टिकल परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं।
- पृथ्वी-2 मिसाइल में हाई एक्सप्लोसिव, पेनिट्रेशन, क्लस्टर, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन लगा सकते हैं।
- यह अत्याधुनिक मिसाइल अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने के लिए प्रक्षेपवक्र के साथ उन्नत जड़त्वीय दिशा-निर्देश प्रणाली (Inertial Navigation System) का उपयोग करती है, इस वजह से लक्ष्य की सटीकता में 10 मीटर सर्कुलर एरर की संभावना रहती है।
- 2003 में जब इस मिसाइल को पहली बार भारत के सामरिक बल कमांड में शामिल किया गया था, तब यह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP – Integrated Guided Missile Development Programme) के तहत विकसित पहली मिसाइल थी।
- साल 2019 से अब तक चौथी बार इसका यूजर नाइट ट्रायल किया गया है। हर बार इसने सफलतापूर्वक टारगेट को ध्वस्त किया है।
- इस मिसाइल को 8×8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर मोबाइल लॉन्चर से दागा जाता है।
- पृथ्वी-2 मिसाइल भारत की सभी मिसाइलों में सबसे छोटी और हल्की मिसाइल है।
- असल में पृथ्वी-2 मिसाइल का असली नाम SS-250 है।
- प्राथमिक उपयोगकर्ता के रूप में शुरू में इसे भारतीय वायु सेना के लिए बनाया गया था। हालांकि, बाद में इसे भारतीय सेना में शामिल कर दिया गया। वहीं, पृथ्वी-1 को थलसेना और पृथ्वी-3 को नौसेना के लिए बनाया गया था।
पृथ्वी मिसाइल
पृथ्वी मिसाइल श्रृंखला में सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की विभिन्न सामरिक बैलेस्टिक मिसाइल शामिल हैं। इनका विकास 1983 में शुरू हुआ। यह भारत की पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल थी।
क्रमांक | मिसाइल | परीक्षण | संस्करण | वजन | लंबाई | चौड़ाई | पेलोड ले जाने की क्षमता | रेंज |
1. | पृथ्वी-1 | 25 फरवरी 1988 | थल सेना | 4000 से 5000 किलोग्राम | 8.55 मीटर | 1.1 मीटर | 1000 किलो | 150 किलोमीटर |
2. | पृथ्वी-2 | 27 जनवरी 1996 | वायु सेना | 4000 से 5000 किलोग्राम | 8.55 मीटर | 1.1 मीटर | 500 से 750 किलो | 250 से 350 किलोमीटर |
3. | पृथ्वी-3 | 23 जनवरी 2004 | जल सेना | 4000 से 5000 किलोग्राम | 8.55 मीटर | 1.1 मीटर | 1000 किलो | 350 से 750 किलोमीटर |
पृथ्वी मिसाइल सिस्टम को बेस बनाकर DRDO Recruitment में चुने गए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने प्रलय मिसाइल, पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) यानी प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर का कांसेप्ट बनाया और सफलता भी मिली। प्रलय की सफलता को देखते हुए इसे चीन सीमा पर तैनात करने की हरी झंडी मिल गई है। बात करें प्रद्युम्न मिसाइल की, तो इसकी एक खास बात यह है कि यह वायुमंडल के बाहर जाकर दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त कर सकती है, वह भी 6174 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से।
अंतरिक्ष में दुश्मन के सैटेलाइट को मार गिराने के लिए मार्च 2019 में किया गया ‘मिशन शक्ति’ परीक्षण भी पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर ही बनाया गया था, यानी एंटी-सैटेलाइट वेपन (ASAT) मिसाइल, पृथ्वी मिसाइल का ही अपग्रेडेड वर्जन था, जिसने परीक्षण के उद्देश्य से अंतरिक्ष में पुराने निष्क्रिय सैटेलाइट को ध्वस्त किया था।
पृथ्वी मिसाइलों का विकास और परीक्षण
भारत में DRDO के माध्यम से DRDO Sarkari Result एवं नौकरी में चुने गए लोगो द्वारा परिक्षण किया जाता है।भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा अपने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के अंतर्गत पृथ्वी शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल को विकसित किया गया, वहीं स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड (SFC) ने परीक्षण किया।